चारधाम यात्रा 2025 शुरू होने में अब एक महीने से भी कम समय बचा है, लेकिन इससे पहले ही एक नई समस्या ने सरकार और श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ा दी है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले इक्वाइन इन्फ्लूएंजा (घोड़ों-खच्चरों में फैलने वाली एक खतरनाक बीमारी) के मामले सामने आए हैं. यह बीमारी बेहद संक्रामक है और तेजी से फैल सकती है, जिससे यात्रा के दौरान ट्रांसपोर्टेशन प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है. राज्य सरकार ने तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया है और घोड़ों-खच्चरों की गहन जांच के आदेश दिए हैं.
रुद्रप्रयाग जिले के वीरों और बस्ती गांवों में 18 घोड़े और खच्चर इस बीमारी से संक्रमित पाए गए हैं. यह जानकारी मिलते ही पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मंगलवार को सचिवालय, देहरादून में समीक्षा बैठक बुलाई. उन्होंने इस गंभीर स्थिति पर चर्चा करते हुए आदेश दिया कि चारधाम यात्रा में इस्तेमाल होने वाले सभी घोड़ों-खच्चरों की स्क्रीनिंग अनिवार्य होगी.
इतना ही नहीं, उत्तराखंड में बाहर से लाए जा रहे घोड़े और खच्चर अब बिना हेल्थ सर्टिफिकेट और इक्वाइन इन्फ्लूएंजा निगेटिव रिपोर्ट के प्रवेश नहीं कर सकेंगे. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि अन्य जिलों या राज्यों से आने वाले संक्रमित जानवरों से बीमारी और न फैले.
80-90% ट्रांसमिशन रेट
विशेषज्ञों के अनुसार, इक्वाइन इन्फ्लूएंजा का संक्रमण दर 80-90% तक होता है, यानी यह बेहद तेजी से फैल सकता है. हाल ही में रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और बागेश्वर जिलों में 422 सैंपल लिए गए, जिनमें से 18 मामले रुद्रप्रयाग में कंफर्म हुए हैं. इस बीमारी के फैलने के कारण सरकार ने फिलहाल चारधाम यात्रा के लिए घोड़ों-खच्चरों का रजिस्ट्रेशन अस्थायी रूप से रोक दिया है. बता दें कि उत्तराखंड के इन पांच जिलों में कुल 23,120 घोड़े और खच्चर पंजीकृत हैं, जबकि यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी हजारों घोड़े-खच्चर लाए जाते हैं.
यात्रा पर असर और सरकार की तैयारी
* सभी घोड़ों-खच्चरों का हेल्थ चेकअप किया जाएगा.
* संक्रमित जानवरों को क्वारंटीन किया जाएगा.
* यात्रा मार्गों पर स्पेशल वेटरनरी मेडिकल टीमों की तैनाती होगी.
* उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले घोड़ों-खच्चरों की सीमा पर जांच अनिवार्य होगी.
चारधाम यात्रा उत्तराखंड की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण तीर्थयात्राओं में से एक है, जिसमें हर साल हजारों श्रद्धालु यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा करते हैं. इन कठिन पहाड़ी रास्तों में घोड़े और खच्चर ही यात्रियों का मुख्य सहारा होते हैं. ऐसे में इस बीमारी के चलते यात्रा के सुचारू संचालन पर खतरा मंडराने लगा है.