अगर आप शहर की भीड़भाड़ से दूर किसी शांत, अगर आप शांति, रोमांच और अध्यात्म का संगम चाहते हैं, तो आदि कैलाश आपका इंतज़ार कर रहा है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बसा यह दिव्य पर्वत सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति और एडवेंचर का भी अद्भुत मेल है. यहां आप बिना किसी गाइड के भी इस शानदार यात्रा को प्लान कर सकते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं.............
शहर की भागदौड़ से दूर खुद को ब्रेक देने के लिए अगर आप शांति, रोमांच और दिव्यता की तलाश में हैं, तो कैलाश यात्रा आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता है. कैलाश पर्वत जैसा दिखने वाला यह पवित्र स्थान उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और पंच कैलाशों में एक माना जाता है.
इस यात्रा की शुरुआत आप दिल्ली से बाई रोड काठगोदाम या हल्द्वानी तक कर सकते हैं. इसके बाद हल्द्वानी से धारचूला होते हुए आदि कैलाश तक का सफर करना होगा. यह यात्रा न सिर्फ रोमांच से भरपूर है, बल्कि रास्ते में मिलने वाले पहाड़ी नजारे और आध्यात्मिक ऊर्जा हर पल आपको एक नया एहसास कराएंगे.
पिथौरागढ़ में बसा धारचूला, आदि कैलाश यात्रा का मुख्य पड़ाव है. नेपाल सीमा से लगा यह छोटा-सा शहर आपकी यात्रा के लिए अंतिम बाजार और तैयारी का केंद्र है. यही से आपके इनर लाइन परमिट बनते हैं और यहीं से आप गूंजी, कालापानी, नाबी गाँव जैसे शानदार ट्रैकिंग पॉइंट की ओर बढ़ते हैं.
धारचूला से आगे, आपकी यात्रा व्यास घाटी में जाती है – जहां कुदरत का जादू और रोमांच आपका इंतजार कर रहा है. घने जंगल, बर्फीली चोटियां, और पथरीले रास्ते इस सफर को मुश्किल पर यादगार बना देंगे. रास्ते में एक दिन आराम के बाद, आप ज्योलिंगकांग की ओर बढ़ेंगे. यहीं से आपको आदि कैलाश पर्वत और गौरीकुंड के दिव्य दर्शन होंगेय
इस पूरे रास्ते पर भारतीय सेना आपके साथ है, जो सुरक्षा और सही राह दिखाकर आपको भरोसा देती है. ज्योलिंगकांग वो खास जगह है, जहां से आप आदि कैलाश को एकदम नजदीक से देख सकते हैं और उसकी दिव्यता को महसूस कर सकते हैं. गौरीकुंड, आदि कैलाश पर्वत की तलहटी में स्थित एक पवित्र झील है, जो समुद्र तल से लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां की सर्द हवाएं और ऑक्सीजन की कमी इसे एक साहसिक और आध्यात्मिक स्थल बनाती हैं.