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भगवान शिव का ये प्रिय शहर क्या प्रलय में भी नहीं होगा नष्ट? दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक

सावन में भगवान शिव के सबसे खास ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक काशी जाना होगा. हालांकि क्या आप ये जानते हैं कि ये भगवान शिव का सबसे प्रिय शहर है.  

भगवान शिव का ये प्रिय शहर क्या प्रलय में भी नहीं होगा नष्ट? दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक
Lalit Kishor|Updated: Jul 10, 2025, 07:32 AM IST
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दुनिया के सबसे पुराने शहरों में शामिल काशी भगवान शिव का सबसे प्रिय शहर है. सावन में काशी घूमने काफी तादाद में श्रद्धालु आते हैं. इसे वाराणसी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है. इसकी प्राचीनता और शिव से इसके गहरे संबंध के एक नहीं बल्कि कई कारण हैं.

भगवान शिव को काशी क्यों पसंद है?
दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक काशी भगवान शिव का सबसे प्रिय शहर तो है, लेकिन क्या आप इसके पीछे के कारणों को जानते हैं? पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने काशी को अपना निवास स्थान बनाया था. बताया जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा और विष्णु अपनी श्रेष्ठता को लेकर बहस कर रहे थे, तब भगवान शिव एक विशाल, अंतहीन प्रकाश स्तंभ यानी ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इसलिए इसे भगवान शिव का सबसे प्रिय शहर माना जाता है.

प्रलय में भी अविनाशी
हिंदू शास्त्रों के अनुसार प्रलय में भी काशी सुरक्षित रहेगी. दरअसल जब ब्रह्मांड में जब महाप्रलय होती है तो भगवान शिव काशी को अपने त्रिशूल की नोक पर धारण कर लेते हैं. इसके चलते यहां प्रलय का कोई असर नहीं होगा. इसलिए काशी शहर प्रलय में भी अविनाशी है.

मोक्ष की भूमि
काशी को "मोक्ष की नगरी" भी कहा जाता है. दरअसल ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति काशी में अपना शरीर त्यागता है, उसे सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यानी की वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है.

काशी में घूमने की जगहें
काशी में घूमने के लिए कई धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जगहें हैं. ऐसे में आप यहां सावन के माह में धार्मिक यात्रा कर सकते हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा आप यहां गंगा घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, अन्नपूर्णा देवी का मंदिर भी घूम सकते हैं. यह जगहें आस-पास में ही हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों और धार्मिक मान्यताओं की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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