सावन का महीना भोलेनाथ के भक्तों के लिए काफी खास होता है, क्योंकि इसे महादेव का सबसे प्रिय माह कहा जाता है. ऐसे में भक्त उनके 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का प्लान बनाते हैं. आज हम आपको शिव के ऐसे ज्योतिर्लिंग के बारे में बताएंगे, जहां माता पार्वती और शिव हर रोज चौसर खेलते हैं. साथ ही यहां महादेव के साथ ही माता पार्वती की पूजा भी होती है. इस खास ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए काफी तादाद में भक्त आते हैं.
कहां खेलते हैं चौसर?
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर स्थित है. यह ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां भगवान शिव की पूजा माता पार्वती के साथ की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहीं महादेव और माता पार्वती एक साथ चौसर खेलते हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर के पट बंद होने से पहले गर्भगृह में उनके लिए बिस्तर और चौपड़ बिछाई जाती है. सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं तो चौपड़ के पासे बिखरे हुए मिलते हैं. मान्यता है कि हर रोज भगवान शिव और माता पार्वती यहां विश्राम करते हैं और चौसर खेलते हैं.
राजा मांधाता ने की तपस्या
पौराणिक कथाओं के अनुसार महादेव को प्रसन्न करने के लिए यहां राजा मांधाता ने कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने राजा से वरदान मांगने को कहा तो राजा मंधाता ने महादेव को शिवलिंग के रूप में यहीं विराजमान होने का वर मांगा. इसके बाद महादेव ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए. वहीं राजा मांधाता की कठोर तपस्या के चलते इसे मांधाता पर्वत के नाम से जाना जाने लगा.
घूमने की जगहें
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद भक्त यहां कई धार्मिक और ऐतिहासिक जगहों पर विजिट कर सकते हैं. सबसे पहले महादेव के भक्त ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिगं मंदिर के दर्शन करें. इसके बाद ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारेश्वर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, फैनसे घाट, अहिल्या घाट, गौरी सोमनाथ मंदिर, ओंकारेश्वर बांध, सतमतिका मंदिर के दर्शन करना ना भूलें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. हमने इसको लिखने में धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.