Sawan 2025: सावन की शुरूआत आज यानी 11 जुलाई से हो चुकी है. सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को है. भगवान शिव के सबसे प्रिय महीने में उनके भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा भी निकालते हैं. आज सावन के पहले दिन हम आपको भोलेनाथ के पहले ज्योतिर्लिंग के बारे में बताएंगे कि आखिर उनका सबसे पहला ज्योतिर्लिंग कौन सा है और उसका इतिहास क्या है. क्योंकि धार्मिक रूप से यह काफी महत्वपूर्ण है. अगर आप इस सावन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो पहले यह जानना आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है.
भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग
सावन की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में आपके लिए ये जानना काफी जरूरी है कि भगवान शिव का पहला ज्योतिर्लिंग कौन सा है. दरअसल भोलेनाथ का सबसे पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है. यह गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में वेरावल (प्रभास क्षेत्र) काठियावाड़ जिले के पास स्थित है. प्रभास क्षेत्र में होने के चलते इसे "प्रभास तीर्थ" के नाम से भी जाना जाता है.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग क्यों फेमस है?
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. धार्मिक रूप से यह काफी महत्वपूर्ण है. यहां के बारे में शिवपुराण में बताया गया है कि दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्र देवता से हुआ था. हालांकि चंद्र देव को सिर्फ रोहिणी से ही प्रेम था. इसके बाद दक्ष प्रजापति ने चंद्र देव को क्षय रोग का श्राप दिया था. श्राप से मुक्ति के लिए चंद्रमा ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की और भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हो गए. इसके बाद उन्होंने चंद्र देव को श्राप से मुक्त किया. इसके साथ ही भगवान शिव ने इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास किया. चंद्रमा यानी सोम ने यहां तपस्या की थी, इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को 'सोमनाथ' यानी चंद्रदेव के नाथ या स्वामी कहा गया. माना जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है.
सोमनाथ के पास घूमने की जगहें
अगर आप इस सावन में सोमनाथ मंदिर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए यहां कई खूबसूरत जगहें भी मौजूद हैं. दरअसल यहां आप महादेव के पहले ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ मंदिर के अलावा भी कई जगहों का दीदार कर सकते हैं, जो पास में ही बसी हुई हैं.
त्रिवेणी संगम
सोमनाथ में घूमने जाने के दौरान आप यहां त्रिवेणी संगम जरूर जाएं. बता दें कि यहां तीन पवित्र नदियों का संगम होता है, जिसमें हिरण, कपिला और सरस्वती नदी हैं. ये अरब सागर में मिलती हैं. सावन के महीने में यहां स्नान करना काफी शुभ माना जाता है.
भालका तीर्थ
सोमनाथ और उसके पास घूमने के लिए भालका तीर्थ भी है. यही वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण को एक शिकारी द्वारा पैर में गलती से तीर मारा गया था. इसके बाद भगवान कृष्ण ने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया था.
घूमने की कई जगहें
इसके अलावा आप यहां और आस-पास गीता मंदिर, परशुराम मंदिर, पंच पांडव गुफा, सूर्य मंदिर, जूनागढ़ और गिर राष्ट्रीय उद्यान सहित कई प्रमुख जगहें घूम सकते हैं.