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भारत से तालिबान की बड़ी डिमांड, अफगान दूतावास का मांगा कंट्रोल, क्या करेगी मोदी सरकार?

Afghanistan News:  अफगानिस्तान सरकार ने भारत से अफगान दूतावास के कंट्रोल की मांग की है. तालिबान ने सरकार ने कथित तौर पर भारतीय अफसरों को प्रस्तावित राजनयिकों की एक नई लिस्ट भी सौंपी है, जिसमें दोहा में तालिबान के प्रतिनिधि सुहैल शाहीन के बेटे नजीब शाहीन का नाम भी शामिल है. 

भारत से तालिबान की बड़ी डिमांड, अफगान दूतावास का मांगा कंट्रोल,  क्या करेगी मोदी सरकार?
Md Amjad Shoab|Updated: Feb 11, 2025, 08:54 PM IST
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Afghanistan News: अफगानिस्तान के तालिबान सरकार ने के भारत से बड़ी डिमांड की है. अफगान मीडिया में दावा किया जा रहा है कि नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास का नियंत्रण संभालने के लिए भारत सरकार के साथ चर्चा फिर से शुरू कर दी है. अमू टीवी ने विदेश मंत्रालय के एक सूत्र ने यह जानकारी दी.

रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने कथित तौर पर भारतीय अफसरों को प्रस्तावित राजनयिकों की एक नई लिस्ट भी सौंपी है, जिसमें दोहा में तालिबान के प्रतिनिधि सुहैल शाहीन के बेटे नजीब शाहीन का नाम भी शामिल है. हालांकि, नई दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास नवंबर से बंद है.

कब शुरू हुई बातचीत?
सूत्र के मुताबिक, बातचीत का नवीनतम दौर तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी की 8 जनवरी को संयुक्त अरब अमीरात में हुई मुलाकात के बाद शुरू हुआ. बैठक के बाद तालिबान ने नई दिल्ली को अपने राजनयिक उम्मीदवारों की लिस्ट फिर से सौंपी.

भारत का सतर्क रुख
कनाडा में अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत शिंकाई कारोखैल ने कहा कि भारत इस मामले को सावधानी से देखेगा. उन्होंने कहा, 'भारत तालिबान के अनुरोध को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकता है, लेकिन राजनयिक भूमिकाओं के लिए व्यक्तियों को मंजूरी देने में वह ज्यादा सावधानी बरतेगा. पाकिस्तान की खुफिया और सेना के साथ तालिबान के घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए, नई दिल्ली इस्लामाबाद के सुरक्षा प्रतिष्ठान से सीधे जुड़े लोगों को नियुक्त करने से बच सकती है.'

जगी नई उम्मीद
पिछले महीने यूएई में हुई मिसरी और मुत्ताकी की मुलाकात से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के फिर एक्टिव होने की उम्मीद जगी. इस बैठक के बाद अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'अफगानिस्तान की संतुलित और अर्थव्यवस्था-केंद्रित विदेश नीति के अनुरूप, इस्लामिक अमीरात का लक्ष्य एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक भागीदार के रूप में भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है.'

अगस्त 2021 में काबुल की सत्ता तालिबान के कब्जे के बाद से भारत-अफगानिस्तान के रिश्ते निष्क्रिय हो गए थे. (आईएनएस इपुट के साथ )

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