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US Attacks Iran: अमेरिका की वो खतरनाक 'चिड़िया' जो ईरान पर हमले के लिए 40 घंटे उड़ती रही !

B2 Bomber Facts: जब तक अमेरिका की सात ताकतवर 'चिड़िया' ईरान के आसमान में रहीं, उसके दर्जनों लड़ाकू विमान, हवाई मशीनरी और पनडुब्बियां एक्टिव थे. बॉम्बर लौटे तो लड़ाकू विमानों ने उन्हें एस्कॉर्ट भी किया. आखिर अमेरिका ने ईरान के अंडरग्राउंड ठिकाने को कैसे तबाह किया. ये चिड़िया क्या है और कहां से उड़ाई गई थी. इसमें भी फिल्मी कहानी की तरह W का एंगल है. 

US Attacks Iran: अमेरिका की वो खतरनाक 'चिड़िया' जो ईरान पर हमले के लिए 40 घंटे उड़ती रही !
Anurag Mishra|Updated: Jun 23, 2025, 08:21 PM IST
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B2 Bomber Iran Attack: फिल्म 'धमाल' का डब्ल्यू तो आपको याद ही होगा. एक समय सारे किरदार उस W को ढूंढने लग जाते हैं. जब से अमेरिका ने ईरान के परमाणु साइटों पर बम बरसाया है, दुनियाभर में एक खास W की चर्चा होने लगी है. नहीं समझे? ये डब्ल्यू के आकार की दिखने वाली अमेरिकी 'चिड़िया' है जिसके बारे में दावा किया जाता है कि उसकी बनावट ही ऐसी है कि दुनिया का कोई भी राडार पकड़ नहीं सकता है. यही वजह है कि अमेरिका के एयरबेस से उड़े बी-2 बॉम्बर आराम से ईरान के आसमान में तबाही मचाकर लौट भी आए. क्या आप जानते हैं ये B-2 स्प्रिट बॉम्बर कहां से उड़ा था? दुनिया में सिर्फ अमेरिका के पास मौजूद ये खतरनाक बमवर्षक विमान करीब 40 घंटे तक नॉन-स्टॉप कैसे उड़ लेते हैं? धीरे-धीरे सारी जानकारी सामने आ रही है.

उस दिन अमेरिका के 7 स्टील्थ बॉम्बर मिसौरी के वाइटमैन एयरफोर्स बेस से उड़े थे. राडार को चकमा देने के मामले में इन्हें 'किंग' कहा जाता है. बताया जाता है कि इसका क्रॉस सेक्शन (W) किसी छोटी चिड़िया की तरह दिखाई देता है और यही वजह है कि पारंपरिक राडार इसे समझ ही नहीं पाते हैं. इसकी ऊंचाई 17 फीट होती है और ये बिना ईंधन भरे 11000 किमी तक उड़ान भर सकते हैं. रास्ते में एक बार ईंधन भरने को मिला तो ये 18,500 किमी से भी आगे तक जा सकते हैं यानी दुनिया में कहीं भी टारगेट को नष्ट कर सकते हैं. इसके अंदर दो पायलट बैठते हैं. 

दिशा गलत लेकिन 18 घंटे चुपचाप उड़े

जब शनिवार की देर रात बी-2 बॉम्बर्स मिसौरी से उड़े तो जानबूझकर उनकी दिशा गलत रखी गई. हालांकि सैन्य एक्सपर्ट और पर्यवेक्षक समझ चुके थे कि ये एयरक्राफ्ट ईरान की तरह जाने के लिए निकले हैं. दिशा सिर्फ भ्रम पैदा करने के लिए थी. अगले 18 घंटे तक 7 बॉम्बर्स पूरब की दिशा में खामोश उड़ते रहे और किसी को खबर ही नहीं हुई. ईरान के एयरस्पेस के करीब आसमान में ही ईंधन भरा, रेडियो साइलेंस रहा. जैसे ही वे टारगेट के करीब पहुंचे, एक अमेरिकी पनडुब्बी ने दो दर्जन से ज्यादा टॉमहाक क्रूज मिसाइलें दाग दीं और अमेरिकी लड़ाकू विमान एक्टिव हो गए. ईरान के आसमान में पूरी तरह अमेरिका का कब्जा हो गया था.

इसके बाद ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियस साइट्स पर बी-2 बॉम्बर्स ने 14 बंकर बस्टर बम (GBU-57) गिराए जिनमें से हर एक का वजन 30,000 पाउंड बताया गया है. पेंटागन ने बाद में बताया कि इस ऑपरेशन में अमेरिका के 125 से ज्यादा मिलिट्री एयरक्राफ्ट शामिल हुए. 9/11 के बाद अमेरिका की तरफ से यह केवल दूसरा इतना लंबा बी-2 मिशन था. 

ऐसी कितना चिड़िया अमेरिका के पास

किंग ऑफ स्टील्थ B-2 को बनाने में 2 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च आता है. इसका निर्माण 1980 के दशक में ही शुरू हो गया था लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद केवल 21 जेट ही बनाए गए. ये 18,000 किग्रा का एक पेलोड लेकर उड़ सकता है. हालाकि अमेरिकी एयरफोर्स का दावा है कि एक बॉम्बर 2 बंकर-बस्टर बम (करीब 27,000 किग्रा) लेकर उड़ान भर सकता है. 

अब आपके मन में सवाल होगा कि जिस बंकर बस्टर की इतनी चर्चा है उसने ईरान के अंडरग्राउंड बेस तक कैसे तबाही मचाई. क्योंकि वो जगह पहाड़ी के नीचे थी. एक-एक कर पूरी प्रक्रिया समझिए. 

1. ये आसमान में टारगेट के करीब 12 किमी ऊपर से बम गिराते हैं, जो स्कूल बस के वजन का होता है. 

2. बिना इंजन वाला हथियार जब काफी ऊंचाई से गिराया जाता है तो जमीन पर आते-आते काफी स्पीड में पहुंच जाता है. 

3. एक बार तैनात किए जाने के बाद ये बम जीपीएस का इस्तेमाल कर टारगेट तक पहुंचते हैं. 

4. जैसे ही भारी भरकम बम ग्राउंड को सुपरसोनिक वेलॉसिटी के करीब रफ्तार से हिट करता है, जबर्दस्त एनर्जी निकलती है. 

5. आगे का स्टील केस वाला सिरा ऊपरी सतह को तोड़ता हुआ सीधे टारगेट तक पहुंचता है. 

6. टारगेट तक पहुंचने के बाद यह बड़े आराम से 2400 किलो विस्फोटक उड़ा देता है. ईरान के परमाणु संयंत्रों पर बंकर-बस्टर बमों से हमला ऐसे ही हुआ. 

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