DNA Analysis: DNA मित्रों आज हम आपके सामने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की GENERAL KNOWLEDGE का विश्लेषण करने वाले हैं. क्योंकि ट्रंप की GENERAL KNOWLEDGE भी सेलेक्टिव हो चली है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. ये समझने के लिए आपको सबसे पहले डॉनल्ड ट्रंप का वो बयान जानना चाहिए, जो उन्होंने व्हाइट हाउस में एक रिपोर्टर के सवाल पर दिया है. जाना आपने जिन डॉनल्ड ट्रंप को दुनिया के हर टकराव के बारे में पता है. जो बार-बार सीजफायर कराने का दावा करते हैं, जिन्हें पूरे वर्ल्ड की जानकारी रहती है. किस देश का टैरिफ कितना बढ़ाना है, कितना घटाना है वो दिन भर यही करते रहते हैं. कौन देश किससे क्या खरीदता है, क्या बेचता है. इन्हें सब मालूम है. लेकिन इन्हें ये नहीं पता कि अमेरिका रूस से क्या खरीदता है.
जब उनसे पूछा गया कि भारत कहता है. अमेरिका भी तो रूस से खनिज और दूसरे पदार्थ खरीदता है. तो उन्होंने जवाब दिया I DON'T KNOW. यानी मुझे नहीं पता. दरअसल ट्रंप को सब पता है, लेकिन जब भारत ने रूस से व्यापार को लेकर अमेरिका की दोहरी नीतियों का खुलासा कर दिया तो ट्रंप की जुबान मानों सिल गई है. बोलने के लिए कुछ बचा नहीं है ट्रंप भले ही चुप्पी साध लें. लेकिन हम आपको जरूर बताएंगे कि ट्रंप और उनके सहयोगी यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से कितना व्यापार कर रहे हैं.
वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूस ने हमला किया था. वर्ष 2023 और 2024 में अमेरिका ने रूस से 2400 करोड़ रुपए से ज्यादा का TITANIUM खरीदा था. अमेरिका में TITANIUM का इस्तेमाल मेडिकल उपकरण और मिसाइल बनाने के लिए किया जाता है. इसी तरह वर्ष 2023-24 में अमेरिका ने तकरीबन 928 करोड़ रुपए के विमान इंजन भी रूस से खरीदे हैं. यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक. अमेरिका ने 403 करोड़ रुपए का गिलट भी रूस से लिया है. गिलट का इस्तेमाल बैट्री की चिप बनाने में किया जाता है.
यहां हमने आपको सिर्फ 3 उत्पादों से जुड़ी जानकारी दी है. इन तीन उत्पादों को लेकर यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका ने रूस से तकरीबन 4 हजार करोड़ रुपए का व्यापार किया है. पूरा बहीखाता खोलेंगे तो ये रकम कही ज्यादा बड़ी नजर आएगी और यही अमेरिका अब कह रहा है कि रूस से तेल खरीदकर भारत यूक्रेन युद्ध को फाइनेंस कर रहा है. मायने साफ हैं कि डॉनल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी देश दोहरी नीति पर चल रहे हैं. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से व्यापार करेंगे. लेकिन अगर भारत ऐसा करेगा तो 50 प्रतिशत का भारी भरकम टैरिफ लगा देंगे. यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और रूस के व्यापार का बहीखाता आपने देखा. अब हम आपको इसी युद्ध के दौरान यूरोपीयन यूनियन और रूस के व्यापार की जानकारी देने जा रहे हैं. आप चाहे तो इस जानकारी को नोट भी कर सकते हैं.
वर्ष 2022 यानी यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से अब तक ट्रंप के सहयोगी यूरोपीय यूनियन के सदस्य देश रूस से 20 हजार करोड़ रुपए का व्यापार कर चुके हैं. EU के सदस्यों ने रूस से मुख्य तौर पर तेल, गैस, कोयला, लोहा और स्टील खरीदा है. भारत ने सधे हुए संकेत दे दिए हैं कि डॉनल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी जो दबाव बना रहे हैं उनके आगे भारत झुकेगा नहीं. लेकिन भारत पर प्रेशर बढ़ाने वाले ट्रंप को एक बार अमेरिका के इतिहास का वो पन्ना भी पढ़ लेना चाहिए. जब अमेरिका ने ही भारत से अपील की थी. कि रूस से तेल खरीद लीजिए. अब हम आपको 3 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए एक कूटनीतिक संवाद की जानकारी देने जा रहे हैं. ये वो दौर था जब ट्रंप नहीं. बल्कि जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति थे.
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका ने रूस से तेल व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिए थे. अमेरिका ने तय किया था कि पश्चिमी देश रूस को 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा का दाम नहीं देंगे. कम दाम की इस शर्त की वजह से रूसी कंपनियों ने अमेरिका और यूरोप को तेल सप्लाई कम कर दी थी. जिसकी वजह से तेल की भारी किल्लत हो सकती थी. तब बाइडन सरकार ने भारत से कहा था कि आप रूस से तेल खरीद लीजिए. ताकि भारतीय कंपनियों के जरिए रूस का तेल और गैस यूरोप तक पहुंचता रहे और अमेरिका के कथित प्रतिबंध भी यथावत बने रहें.
बाइडन ने कहा तेल खरीदकर सप्लाई बाधित होने से बचा लीजिए. ट्रंप कह रहे हैं कि रूस से तेल खरीदकर भारत युद्ध की फंडिंग कर रहा है और तो और ट्रंप ने रूस के साथ द्विपक्षीय व्यापार भी पूरी तरह नहीं रोका है. ट्रंप की इसी दोहरी नीति को देखकर अमेरिका की डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस का वो बयान याद आ जाता है, जो उन्होंने ट्रंप के खिलाफ चुनाव प्रचार में दिया था. कमला हैरिस ने कहा था डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों में एक ही मुद्दे पर दो नियम तय किए जाते हैं. पहला नियम खुद डॉनल्ड ट्रंप की सहूलियत के लिए तैयार किया जाता है. और दूसरा नियम वो होता है जो बाकी सबके लिए तैयार किया जाता है. ऐसी दोहरी नीतियां अमेरिकी लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.