DNA Analysis: पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अमेरिका जाने वाली फ्लाइट में सवार हैं. आज से दो दिन बाद ही रक्षाबंधन है, इसलिए हमने सोचा कि क्यों ना आज अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ मुनीर के रक्षाबंधन का विश्लेषण किया जाए. क्योंकि हो सकता है, अगले 48 घंटे में आसिम मुनीर और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप आमने सामने बैठे हों. और एक दूसरे के हितों की रक्षा करने की कसमें खा रहे हों. यहां आपको याद दिलाना जरूरी है कि दो महीने के अंदर मुनीर का ये दूसरा अमेरिका दौरा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अच्छी डील की तलाश में दोस्तों को दुश्मन और दुश्मनों को दोस्त बनाने के लिए बदनाम हैं. लेकिन हर दोस्ती की एक हद होती है. हर दोस्ती का एक स्तर होता है. और जब अचानक दो ऐसे लोग पक्के दोस्त नजर आने लगें जिनका ना तो स्तर एक जैसा है. ना ही विचार तो मतलब साफ है. कुछ ऐसे साझा हित हैं जो एक बेमेल गठबंधन को मजबूत बना रहे हैं. ऐसा ही गठबंधन अब ट्रंप और मुनीर के बीच बन चुका है.
इसलिए इसे आप दो व्यक्तियों के बीच का रक्षाबंधन भी कह सकते हैं, जिसमें एक तरफ दुनिया में टैरिफ से आतंक फैलाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं और दूसरी तरफ आतंकियों की मदद करने वाली पाकिस्तानी सेना का प्रमुख आसिम मुनीर है. कल मुनीर अमेरिका में लैंड कर जाएगा.
हो सकता है, ट्रंप मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाएं. उसके साथ फिर से लंच करें. उसकी तारीफ करें. उसका स्वागत करें. लेकिन अमेरिका में रहने वाले पाकिस्तानी. मुनीर का स्वागत कैसे करने वाले हैं. उसका ट्रेलर आ गया है. अमेरिका के लॉस एंजिल्स में पाकिस्तान के लोग. आसिम मुनीर के पोस्टर को जूतों से पीट रहे हैं. यानि आसिम मुनीर का अमेरिका में जूतों से स्वागत शुरू हो चुका.
अमेरिका में मुनीर के खिलाफ नारेबाजी हो रही है. और पाकिस्तान के लोग ही ऐसा कर रहे हैं. सोचिए जिस आदमी को उसके मुल्क के लोग ही पसंद नहीं करते वो, आजकल ट्रंप को बहुत पसंद आ रहा है.
मुनीर की अमेरिका यात्रा और अमेरिका में उसके ऐसे स्वागत के बीच एक और खबर आई है. मॉस्को गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के हवाले से रशियन मीडिया ने दावा किया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस महीने के आखिर में भारत आएंगे. लेकिन ये दो स्थायी मजबूत और नेचुरल पार्टनरों का गठबंधन है.
भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ वॉर के बीच इस दौरे को आप रूस और भारत का रक्षाबंधन कह सकते हैं. जिसका विश्लेषण हम आज रात 9 बजकर 30 मिनट पर करेंगे. जिसे देखना आपके लिए बहुत जरूरी है.
लेकिन पहले बात ट्रंप और मुनीर के रक्षा बंधन की. भले ही आज तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ. डॉनल्ड ट्रंप से हाथ तक ना मिला पाए हों. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ट्रंप से फोन पर भी बात ना कर पाए हों. लेकिन ट्रंप पाकिस्तान के सेना प्रमुख की बार-बार अमेरिका में अगवानी कर रहे हैं. आज आपको भी जानना चाहिए कि आसिम मुनीर और डॉनल्ड ट्रंप के बीच कौन-सी खिचड़ी पक रही है. अमेरिका पाकिस्तान पर क्यों मेहरबान है.
आपको ये भी समझना चाहिए जिस दिन डॉनल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को 25 परसेंट से बढ़ाकर 50 परसेंट किया, उसके अगले ही दिन मुनीर को अमेरिका से बुलावा क्यों आ गया? और अमेरिका के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के सेना प्रमुख की इस केमिस्ट्री से किसे संदेश देने की कोशिश की जा रही है? क्या इसका निशाना भारत और चीन हैं? या फिर डॉनल्ड ट्रंप मुनीर को किसी खास मिशन के लिए तैयार कर रहे हैं? आज आपके लिए इस विश्लेषण को ध्यान से पढ़ना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में ये मुलाकात दक्षिण एशिया की कूटनीति को प्रभावित करने वाली है.
सबसे पहले आप समझिए, आखिरकार आसिम मुनीर के अमेरिका जाने की वजह क्या बताई जा रही है. आसिम मुनीर जनरल माइकल ई. कुरिल्ला के विदाई समारोह में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका जा रहा है. माइकल ई. कुरिल्ला अमेरिकी सेन्ट्रल कमांड के कमांडर हैं, जो दक्षिण एशिया के मामले देखते हैं. जनरल माइकल ई. कुरिल्ला इसी महीने रिटायर हो रहे हैं .
पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के जनरल कुरिल्ला से मजबूत संबंध हैं.अमेरिका यात्रा के दौरान मुनीर. दोबारा राष्ट्रपति ट्रंप से भी मुलाकात कर सकता है.
आज आपको ये भी जानना चाहिए कि जिस अमेरिकी जनरल के विदाई समारोह में शामिल होने के बहाने मुनीर अमेरिका पहुंचा है. उसे पाकिस्तान ने पिछले महीने ही निशान ए इम्तियाज से सम्मानित किया है. निशान-ए-इम्तियाज पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान है. जो अमेरिकी जनरल को पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत करने और आतंकवाद से लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका को मान्यता देने के लिए दिया गया. जनरल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का साझीदार बताया था. जिसका भारत ने विरोध भी किया था. पाकिस्तान में इस बात की चर्चा भी होती है कि जनरल कुरिल्ला ही वो व्यक्ति है जो मुनीर और ट्रंप को करीब लेकर आया है.
इससे पहले जून में आसिम मुनीर अमेरिकी सेना के परेड समारोह में शामिल होने वॉशिंगटन पहुंचा था. और पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के किसी सेना प्रमुख की अगवानी की थी. अब दो महीने में दूसरी बार होने वाली इस संभावित मुलाकात की खबर से साफ हो गया कि पाकिस्तान में असली बॉस शहबाज या जरदारी नहीं बल्कि आसिम मुनीर है. यानि पाकिस्तान की दिशा और दशा अब मुनीर ही तय कर रहा है. पाकिस्तान का पूरा कंट्रोल मुनीर ने अपने हाथ में ले रखा है. और ट्रंप इसीलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से नहीं, बल्कि बार बार सेना प्रमुख आसिम मुनीर से मुलाकात कर रहे हैं. यानि आप कह सकते हैं मुनीर पाकिस्तान का अघोषित सैन्य शासक बन चुका है. जिसे ट्रंप ने मान्यता दे दी है. आज आपको मुनीर और ट्रंप की केमिस्ट्री की वजह को भी जानना चाहिए.आपको ये भी समझना चाहिए कि इस मुलाकात में मुनीर और ट्रंप एक दूसरे के किन किन हितों की रक्षा की शपथ लेंगे.
पहले आप पाकिस्तान में डॉनल्ड ट्रंप के हितों के बारे में जानिए जिसकी रक्षा मुनीर को करनी है, और इसीलिए उसे अमेरिका बुलाया गया है. तो सबसे पहले मुनीर को चीन के खिलाफ अमेरिका के हितों की रक्षा करनी होगी. डॉनल्ड ट्रंप अगर पाकिस्तान से अपने गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं तो इसकी बड़ी वजह पाकिस्तान से चीन को बाहर करने की कोशिश को माना जा रहा है. अमेरिका अपने पुराने सहयोगी पाकिस्तान के अंदर चीन के बढ़ते प्रभाव को कंट्रोल करना चाहता है. आज आपको इस प्रभाव को भी समझना चाहिए.
-पाकिस्तान और चीन के बीच 19 हजार करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार होता है. यानि पाकिस्तान सबसे ज्यादा व्यापार चीन के साथ करता है. पाकिस्तान के अंदर सीपेक परियोजना पर चीन ने 54 हजार करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश किया है. लेकिन उसका ये निवेश पाकिस्तान में फंस गया है.
-चीन ने पाकिस्तान में पनबिजली कोयला और एलएनजी पर आधारित परियोजनाओं पर लगभग 28 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है.
-पाकिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर यानि सड़क, रेल, पोर्ट जैसी सुविधाओं में चीन ने 11 हजार करोड़ लगाए हैं.
-और पाकिस्तान अपना 80 प्रतिशत सैन्य साजो-सामान भी चीन से सस्ती दरों में लेता है.
-इतने निवेश के अलावा पाकिस्तान को चीन ने 24 हजार करोड़ का कर्ज भी दिया है. जिसका ब्याज भी पाकिस्तान बहुत मुश्किल से चुका पाता है.
जिस तरह चीन ने पाकिस्तान को अपने प्रभाव में जकड़ रखा है. इस बात की आशंका भी जताई जाती है कहीं पाकिस्तान एक दिन चीन का उपनिवेश ना बन जाए और अब अमेरिका दक्षिण एशिया में चीन के सबसे बड़े सहयोगी पाकिस्तान को फिर से अपने पाले में लाना चाहता है.और उसको मिल रही सहूलियतों की ये भी सबसे बड़ी वजह है.
अब जैसे जैसे अमेरिका मुनीर के जरिए पाकिस्तान के अंदर अपने पैर मजबूत करेगा वैसे वैसे चीन के पैर पाकिस्तान से उखड़ेंगे. इसकी चिंता चीन को भी है. इसीलिए चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी दौड़े-दौड़े पाकिस्तान पहुंच रहे हैं. आप कह सकते हैं ट्रंप और मुनीर के बीच की केमिस्ट्री चीन के लिए सबसे बड़ा रेड सिग्नल हो सकता है.
पाकिस्तान में एक और थ्योरी की भी चर्चा हो रही है. इसी महीने की शुरुआत में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान भी पाकिस्तान की यात्रा पर पहुंचे थे. अमेरिका के दुश्मन नंबर एक ईरान के राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा सिर्फ संयोग नहीं थी. माना जा रहा है जिस तरह 1970 के दशक में तत्कालीन सैन्य शासक जनरल याह्या खान ने अमेरिका और चीन के बीच दोस्ती निभाने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. अब बैक डोर से ईरान और अमेरिका के बीच भी समझौते की कोशिश की जा रही है. और ट्रंप ने मुनीर को इस काम में भी लगाया है.
इसके अलावा डॉनल्ड ट्रंप के निजी हितों की रक्षा के लिए भी मुनीर को काम करना होगा. और मुनीर पहले ही व्हाइट हाउस जाकर कुछ हवाई गुब्बारे ट्रंप को थमा चुका है. यानि जब ट्रंप चाहेंगे तो मुनीर नोबल पुरस्कार के लिए उनके नाम को आगे करेगा. जैसा मुनीर ने पहली अमेरिकी यात्रा के दौरान किया था.
-इसके अलावा मुनीर ने ट्रंप फैमिली को फायदा पहुंचाने वाले क्रिप्टो कारोबार की बागडोर भी संभाल ली है. मुनीर के कहने पर पाकिस्तान सरकार ने ट्रंप परिवार की वर्ल्ड लिबर्टी काउंसिल के साथ 17 हजार करोड़ रुपये के क्रिप्टो बिजनेस का करार किया. इसके बदले मुनीर को अमेरिका से क्या मिलेगा. आज आपको ये भी समझना चाहिए डॉनल्ड ट्रंप इसके बदले पाकिस्तान को भारत से रक्षा का आश्वासन दे सकते हैं. भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से भी पाकिस्तान को बहुत खुशी हुई है. इसके अलावा डॉनल्ड ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को कौन कौन से तोहफे दिए हैं. आज आपको ये भी जानना चाहिए.
- बाइडेन प्रशासन के वक्त पाकिस्तान से अमेरिका का सैन्य सहयोग कम हो रहा था. लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को अमेरिका से मिले F-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए 330 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया.
- जिस वक्त पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही थी और पाकिस्तान भारत के साथ संघर्ष में उलझा था आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान को 20 हजार करोड़ रुपये की सहायता दे दी गई. यानि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ही इस मदद का एलान हुआ.
- ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैक्स लगाया लेकिन पाकिस्तान पर टैक्स भारत से बहुत कम यानि सिर्फ 19 प्रतिशत है. यानी टैरिफ में पाकिस्तान को भारत के मुकाबले बड़ी राहत दी गई.
- इसके अलावा ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ ऑयल डील भी कर ली...यानि ट्रंप अब पाकिस्तान में तेल की तलाश करवाएंगे और ट्रंप तो यहां तक कह चुके हैं कि हो सकता है. ये तेल एक दिन पाकिस्तान भारत को भी बेचे.
यानि मुनीर ओर ट्रंप के बीच की केमिस्ट्री सिर्फ मुलाकातों में नहीं धरातल पर भी दिखाई दे रही है. भारत की नजर इस केमिस्ट्री पर है. लेकिन इसका असर कहां कहां और कितना हो सकता है. इसपर आज आपको विशेषज्ञों की राय भी जाननी चाहिए. अगर इस बार डॉनल्ड ट्रंप और मुनीर की मुलाकात अमेरिका में होती है तो ऐसे कई और तोहफे भी पाकिस्तान को मिल सकते हैं. यानी एक दूसरे की रक्षा के लिए बना ये बंधन और मजबूत हो सकता है.