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Rohingya Muslim Crisis: बांग्लादेश के लिए गले की फांस बने रोहिंग्या, खिलाने को नहीं बचा पैसा, दुनिया से मांगी करोड़ों की मदद

Bangladesh Rohingya Muslim Crisis: म्यांमार में सैन्य संघर्ष छिड़ने के बाद वहां से जान बचाकर भागे रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश ने आगे बढ़कर गले लगाया था. लेकिन अब वही रोहिंग्या उसके गले की हड्डी बन गए हैं. उन्हें खिलाने के लिए बांग्लादेश के पास पैसा नहीं बचा है. 

Rohingya Muslim Crisis: बांग्लादेश के लिए गले की फांस बने रोहिंग्या, खिलाने को नहीं बचा पैसा, दुनिया से मांगी करोड़ों की मदद
Devinder Kumar|Updated: Mar 25, 2025, 03:10 AM IST
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Bangladesh seeks crores of rupees for Rohingyas: बांग्लादेश के लिए शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान एक बड़ा बोझ बनते जा रहे हैं. देश के पास उन्हें खिलाने और पालने के लिए पैसे नहीं बचे हैं, जिसके बाद वहां की मोहम्मद यूनुस सरकार ने दुनिया के सामने कटोरा फैला दिया है. साथ ही इंसानियत की दुहाई देते हुए 934.5 मिलियन अमरीकी डॉलर चंदा देने की गुहार लगाई है. सरकार ने कहा है कि अगर जल्द ही बांग्लादेश को वैश्विक सहायता नहीं मिली तो वहां रह रहे करीब 14 लाख रोहिंयाओं के जीवन के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा. 

लाखों रोहिंग्याओं ने ले रखी है शरण

बताते चलें कि म्यांमार में हुई सैन्य कार्रवाई के बाद से लाखों रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में शरण ले रखी है. सरकार ने उनके लिए अस्थाई शिविर बनाकर कॉक्सबाजार, भासन चार, उखिया और टेकनाफ में बसा रखा है. उन्हें शिविरों से बाहर निकलने और कोई कामकाज करने की अनुमति नहीं है. बांग्लादेश सुरक्षाबल उन शिविरों की निगरानी करते हैं. 

बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में सक्रिय UN की राहत एजेंसियों और एनजीओज ने एक संयुक्त बयान में कहा कि रोहिंग्या मानवीय संकट से निपटने के लिए बांग्लादेश सरकार के नेतृत्व में 24 मार्च 2025 को एक संयुक्त प्रतिक्रिया योजना शुरू की गई है. इसके तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए योजना बनाई जाएगी. 

बदतर होती जा रही है हालत

बयान में कहा गया कि रोहिंग्या संकट अपने 8वें वर्ष में प्रवेश कर गया है. इस संकट से बांग्लादेश भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. लिहाजा रोहिंग्या शरणार्थियों और उन्हें रहने के लिए जमीन देने वाले बांग्लादेश के लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए दुनिया के देशों को आगे आना चाहिए. 

म्यांमार में लगातार जारी संघर्ष, घटते वित्तीय संसाधन और वैश्विक संकटों की वजह से रोहिंग्या शरणार्थियों की हालत बदतर होती जा रही है. यूएन ने कहा कि इन सब वजहों से यह समुदाय बड़े संकट का सामना कर रहा है. चूंकि यह समुदाय पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर है. इसलिए बांग्लादेश सरकार ने विभिन्न एनजीओज और संगठनों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय मदद मांगने के लिए पहल शुरू की है. इस पहल में 113 संगठन शामिल हैं. 

शिविरों में लड़कियों के शोषण का खतरा

बांग्लादेश सरकार के मुताबिक, अपने आठवें वर्ष में प्रवेश कर चुका रोहिंग्या मानवीय संकट काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों से बाहर है, लेकिन उस पर संकट अब पहले से ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है. बांग्लादेश में तीन में से एक रोहिंग्या शरणार्थी 10 से 24 वर्ष की आयु के हैं. इन शिविरों में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी महिलाओं और लड़कियों की है, जिन्हें लिंग आधारित हिंसा और शोषण का अधिक खतरा है. औपचारिक शिक्षा, पर्याप्त कौशल निर्माण और आत्मनिर्भरता के अवसरों तक पहुंच के बिना, उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है. 

(एजेंसी ANI)

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