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कोरोना में जिन लोगों ने अपनों को खोया, ऐसे परिवारों से इस PM ने मांगी माफी

Rishi Sunak Apologises: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने उन परिवारों से माफी मांगी है, जिन्होंने कोविड ​​​​-19 महामारी में अपने प्रियजनों को खो दिया.

कोरोना में जिन लोगों ने अपनों को खोया, ऐसे परिवारों से इस PM ने मांगी माफी
Sumit Rai|Updated: Dec 12, 2023, 08:54 AM IST
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Rishi Sunak Apologises: कोरोना वायरस महामारी ने पिछले 3 सालों में दुनियाभर में तबाही मचाई है. कोरोना की चपेट में आकर लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने उन परिवारों से माफी मांगी है, जिन्होंने कोविड ​​​​-19 महामारी में अपने प्रियजनों को खो दिया. बता दें कि यूके में अब तक 2.48 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें से 2.32 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.

लोगों के जान गंवाने पर गहरा दुख: ऋषि सुनक

ऋषि सुनक ने कहा कि उन्हें लोगों के जान गंवाने पर 'गहरा दुख' है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह 'रचनात्मक स्पष्टवादिता' की भावना से कोविड ​​​​जांच के लिए अपने साक्ष्य देना चाहते थे ताकि जब 2020-21 में वह चांसलर थे तब उससे सबक सीखा जा सके.

कोरोना के दौरान पत्नी से ज्यादा बॉस से मिले सुनक

कई बिंदुओं पर ऋषि सुनक ने उस समय प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस जॉनसन के निर्णय लेने के दबाव का भी बचाव किया. उन्होंने कहा कि पहली कोविड ​​​​लॉकडाउन अवधि के चरम के दौरान वह अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से भी अधिक अपने पूर्व ‘बॉस’ से मिले थे.

ऋषि सुनक ने अपने फैसले का किया बचाव

ऋषि सुनक ने ‘ईट आउट टू हेल्प आउट’ योजना का भी मजबूती से बचाव किया. उन्होंने कहा कि यह योजना सेफ थी और लोगों की नौकरी बचाने के लिए इसे शुरू किया गया था. बता दें कि यह योजना अगस्त 2020 में ब्रिटेन के हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ऋषि सुनक की ओर से शुरू की गई थी. इसके तहत लोगों को रियायती खाना की पेशकश करके रेस्टोरेंट में जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था. उस समय कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर थी. ऐसा माना गया था कि इस योजना की वजह से यूके में कोविड-19 संक्रमण में वृद्धि हुई, जिसके बाद ऋषि सुनक की आलोचना भी हुई थी.

ब्रिटिश भारतीय नेता ऋषि सुनक ने इस सप्ताह शुरू हुई सार्वजनिक जांच में अपनी ओर से सबूत पेश किए. इसे अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने की उनकी रवांडा नीति पर संसद में होने वाले मतदान में संभावित विद्रोह को रोकने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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