History: जैसे-जैसे वक्त बदलता है तो फिर तो इंसानों में कई तरह के बदलाव होते हैं. इन्हीं में एक बड़ा बदलाव इंसानों के कपड़े हैं. इसकी सबसे नजदीकी मिसाल हमें खुद की तस्वीरों में भी देखने मिल सकती है. अगर ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो इंटरनेट पर जाकर आप बॉलीवुड सुपर स्टार्स की तस्वीरें भी देख सकते हैं. अगर अमिताभ बच्चन के आज से 20-20 साल पुरानी तस्वीरें देखेंगे तो आपको जरूर हैरानी होगी. क्योंकि जिस तरह के उन्होंने उस वक्त पहने हैं, अगर आज पहनेंगे तो कितना अजीब लगेगा. आज हम आपको इसी से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं.
यह कहानी मध्य युग की, इस जमाने में 'पोलेंज' नाम के जूतों का चलन बहुत तेजी से शुरू हो गया. बहुत ज्यादा नुकीले ये जूते इतने मशहूर हो गए थे कि लोग इन्हें जबरदस्ती और इनकी लंबाई को बनाए रखने के लिए भूसा जैसी चीजें भरकर पहनते थे. ये जूते बेहतरीन सजावटी और मजबूत चमड़े के बने होते थे. हालांकि इनको लेकर अफवाह यह उड़ने लगी थी कि इन जूतों की वजह से जेंडर में बदलाव हो रहे हैं.
बीबीसी उर्दू ने अपनी एक रिपोर्ट बताया कि 1100 ईस्वी के करीब लिखे गए एक चर्च के इतिहास में ऑर्डेरिक विटालिस 1100 ई. के आसपास लिखे गए चर्च के इतिहास में ऑर्डेरिक विटालिस नाम के (चर्च सुधारक) ने इन जूतों के प्रति खुले तौर पर अपनी नापसंदगी व्यक्त की. रिपोर्ट के मुताबिक विलियम रूफस नाम के शासनाकाल में रॉबर्ट नाम के व्यक्ति ने पहली इन लंबे पंजों वाले जूतों में भूसा भरकर पहना था, इन जूतों का डिजाइन भेड़ के सींगों की तरह मुड़ा हुआ था. इस अजीबोगरीब के डिजाइन के जूतों को जल्द ही समाज में मौजूद अच्छी क्लास के लोगों ने गर्व और क्षमता के प्रतीक के रूप में अपना लिया.
इन जूतों की नूक की लंबाई 45 सेंटीमीटर तक होती थी. लंदन के म्यूजियम में 10 सेमी से ज्यादा लंबे पंजे वाले जूते अभी भी रखे हुए हैं. इसके अलावा ईसाई धर्म से संबंध रखने वाले एक भिक्षु ने 1394 में दावा किया था कि उसने लोगों को आधे गज (45 सेमी) लंबे पंजे वाले जूते पहने हुए देखा था. बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती, उन्होंने यह भी दावा किया कि जो लोग ये जूते पहनते थे, वो अपनी पिंडलियों को चांदी की जंजीरों से बांधते थे.
हालांकि कोई भी चीज ज्यादा समय तक कायम नहीं रहती. 1362 में पोप अर्बन वी ने उन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की कोशिश की. इसके अलावा 1463 में एडवर्ड चतुर्थ ने ब्रिटिश संसद के जरिए एक कानून पास किया, जिसके तहत लॉर्ड के पद से नीचे के किसी भी शख्स को दो इंच से ज्यादा लंबे जूते पहनने पर पाबंदी लगा दी थी. जो लोग दो इंच से ज्यादा लंबे जूते पहनते थे तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता था.
इतना ही नहीं, बल्कि लंदन शहर या शहर के किसी भी हिस्से के तीन मील के भीतर किसी भी मोची या जूता बनाने वाले को निम्न श्रेणी के लोगों के लिए ऐसे जूते बनाने या बनाने में सहायता करने की आवश्यकता नहीं थी. हालांकि हर फैशन एक निश्चित अवधि के लिए ही अपने चरम पर होता है. 1475 तक पॉलिन पहनने का क्रेज काफी हद तक खत्म हो चुका था और कुछ ही समय बाद चौड़े और चौकोर जूते पसंद किए जाने लगे.