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DNA: दो देशों का नहीं 3 लोगों का है युद्ध; ईरान-इजरायल वॉर के बीच नेतन्याहू ने बताया, किसको है किससे खतरा?

DNA Analysis: ईरान-इजरायल के बीच जंग जारी है. युद्ध के बीच ना तो इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सुरक्षित हैं और ना ही ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई और खतरा अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ऊपर भी मंडरा रहा है. आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है जानते हैं. 

 DNA: दो देशों का नहीं 3 लोगों का है युद्ध; ईरान-इजरायल वॉर के बीच नेतन्याहू ने बताया, किसको है किससे खतरा?
Abhinaw Tripathi |Updated: Jun 16, 2025, 11:43 PM IST
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DNA Analysis: इज़रायल और ईरान में चल रहे मिसाइल धमाकों के बीच नेतन्याहू के घर बैंड बाजा और बारात का कार्यक्रम रद्द हो गयाक्यों कि जान लेने वाले धमाकों के शोर में खुशियों के पटाखे फोड़ना ना तो नैतिक है ना ही सुरक्षित. इस वक्त तेलअवीव से तेहरान तक खुशियां मनाना किसी के लिए खतरे से खाली नहीं किसी के लिए नहीं मतलब किसी के लिए नहीं. युद्ध के बीच ना तो इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सुरक्षित हैं और ना ही ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई और खतरा अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ऊपर भी मंडरा रहा है. आज हम आपको ये बात किसी सूत्र के आधार पर नहीं बता रहे इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खुद पूरी दुनिया को ये बात बताई है.

इस खतरे को देखते हुए फिलहाल अयातुल्लाह अली खामेनेई और बेंजामिन नेतन्याहू बंकर में रहने को मजबूर हैं यानि इज़रायल और ईरान वॉर के सूत्रधार इस वक्त धरती पर नहीं, पाताल लोक में रह रहे हैं. आज आपको इन नेताओं के डर की वजह भी समझनी चाहिए और ये भी जानना चाहिए सारी दुनिया को ये बात कैसे पता लगी. तेहरान से तेल अवीव तक बरस रही मिसाइलों की खबरों के बीच आज अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के वीटो से जुड़ी एक खबर सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है. ये वीटो ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में नहीं किया ये वीटो इजरायल-ईरान युद्ध में किया गया.

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक युद्ध के दौरान नेतन्याहू ने खामेनेई को खत्म करने का प्लान बना लिया था लेकिन डॉनल्ड ट्रंप ने इस योजना पर वीटो लगा दिया. यानि नेतन्याहू को ऐसा करने से रोक दिया, ये सवाल अमेरिकी मीडिया ने बेंजामिन नेतन्याहू से भी पूछा लेकिन उन्होंने इसका साफ साफ जवाब नहीं दिया लेकिन ये जरूर कहा कि इजरायल जो करना चाहता है वो करेगा तो क्या नेतन्याहू वाकई खामेनेई को मारने का प्लान बना चुके है. इसे समझने के लिए आपको इज़रायल के अब तक के एक्शन की क्रोनोलॉजी समझनी चाहिए.

इज़रायल ने ईरान के 9 परमाणु वैज्ञानिकों और 20 टॉप मिलिट्री अफसरों की संघर्ष शुरू होते ही हत्या कर दी थी. अब इज़रायल के नए हमलों में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर के खुफिया प्रमुख जनरल मोहम्मद काजमी और उनके डिप्टी हसन मोहाकिक भी मार दिए गए.  इस हमले में IRGC का एक तीसरा खुफिया अफसर मोहसिन बाघेरी भी मारा गया यानि इज़रायल ने परमाणु और मिलिट्री लीडरशिप के बाद  ईरान की खुफिया लीडरशिप को भी बड़ी चोट पहुंचाई है लेकिन क्या खामेनेई भी ​इज़रायल के निशाने पर हैं.

इसे लेकर भी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए. जैसे ही शुक्रवार को ईरान पर इज़रायल का हमला शुरू हुआ और ईरान के टॉप मिलिट्री अफसरों और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया गया. वैसे ही ईरान के सुरक्षा बलों ने सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई को एक बेहद सुरक्षित बंकर में शिफ्ट कर ​दिया. ये अंडरग्राउंड बंकर तेहरान के उत्तर-पूर्वी इलाके लवीजान में मौजूद है जहां फिलहाल खामेनेई अपने परिवार के साथ रह रहे हैं.

 

अब आप सोच रहे होंगे क्या इज़रायल हमला शुरू होते ही खामेनेई को निशाना बना सकता था. इज़रायल की मीडिया बता रही है मोसाद के पास खामेनेई की लोकेशन मौजूद थी लेकिन ऑपरेशन राइजिंग लॉयन की पहली रात उनको निशाना सिर्फ इसलिए नहीं बनाया गया ताकि खामेनेई यूरेनियम संवर्धन की योजना पर फिर से विचार कर सकें. यानि खामेनेई को इजरायल ने आखिरी मौका दिया है. 

नेतन्याहू ने तीन बड़ी बातें कहीं हैं, उन्होंने खामेनेई के शासन को दुनिया का सबसे खतरनाक शासन बताया. खामेनेई की तुलना हिटलर से की और दुनिया को ये कहकर चेतावनी दी.अगर हिटलर के पास परमाणु बम होता तो दुनिया का क्या हो सकता था. इसके अलावा नेतन्याहू ने कहा एक दौर में इज़रायल और ईरान के लोग दोस्त थे और ऐसा फिर हो सकता है. ये वो दौर था जब ईरान में इस्लामिक क्रांति नहीं हुई थी. यानि सर्वोच्च धार्मिक नेता खामेनेई की विचारधारा सत्ता में नहीं थी. ये बयान और रिपोर्ट बताती है नेतन्याहू के टारगेट पर खामेनेई के होने की आशंका पूरी तरह गलत नहीं है लेकिन उन्होंने खामेनेई को यूरेनियम संवर्धन पर आखिरी मौका देने के लिए छोड़ा या फिर ट्रंप के कहने पर इस पर बहस जारी है. लेकिन खतरा सिर्फ खामेनेई पर नहीं मंडरा रहा. डॉनल्ड ट्रंप और नेतन्याहू भी खतरे में हैं. 

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया है कि खामेनेई ने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कत्ल की साजिश रची और खुद उनकी जान को भी इस वक्त ईरान से खतरा है. उनके घर पर भी ईरान हमला कर चुका है, इस वक्त नेतन्याहू भी ईरान के हमले के डर से सुरक्षित बंकर में रह रहे हैं. यानि खामेनेई डॉनल्ड ट्रंप और नेतन्याहू की जान के दुश्मन बने हुए हैं. नेतन्याहू और खामेनेई की दुश्मनी की वजह साफ है लेकिन आज आपको खामेनेई और डॉनल्ड ट्रंप की दुश्मनी के बारे में भी जानना चाहिए. आखिरकार नेतन्याहू ट्रंप की हत्या की साजिश का आरोप खामेनेई पर क्यों लगा रहे हैं.नेतन्याहू ने ट्रंप की हत्या की साजिश पर चार बड़ी बातें कही हैं.

नेतन्याहू के मुताबिक ईरान अपना सबसे बड़ा दुश्मन डॉनल्ड ट्रंप को मानता है यानि अमेरिका से नहीं अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से खामेनेई की दुश्मनी है. ईरान डॉनल्ड ट्रंप को अपने परमाणु प्रोग्राम के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और इसे ही इस दुश्मनी की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है. डॉनल्ड ट्रंप भी खुलकर कह चुके हैं वो ईरान को कभी बम बनाने नहीं देंगे. वो डॉनल्ड ट्रंप ही थे जिन्होंने पहली बार सत्ता में आने के बाद ईरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था और ईरान के ऊपर प्रतिबंधों की बारिश कर दी थी. 

जिससे ईरान आज तक उबर नहीं पाया. अमेरिका से परमाणु समझौता होने के बाद 2016 में ईरान की जीडीपी ग्रोथ 12.5 प्रतिशत हो गई थी लेकिन 2018 में जैसे ही ट्रंप ने समझौता तोड़ा और ईरान पर प्रतिबंध लगाए. 2019 तक ईरान की जीडीपी ग्रोथ माइनस 6 तक पहुंच गई यानि ईरान की आर्थिक तौर पर कमर टूट गई. इसके अलावा नेतन्याहू ने बताया ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का आदेश देने की वजह से भी खामेनेई डॉनल्ड ट्रंप को अपना दुश्मन मानते हैं.

खामेनेई ने सुलेमानी की हत्या के बाद ट्रंप को इसके नतीजे भुगतने की धमकी दी थी. 2023 में चुनाव प्रचार के दौरान डॉनल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला भी हुआ इसके बाद डॉनल्ड ट्रंप ने कई बार इस हमले के पीछे ईरान का हाथ होने की बात कही थी. वैसे नेतन्याहू के आरोपों के बाद ये भी कहा ये भी जा रहा है, इजरायल इस युद्ध में सीधे अमेरिका की एंट्री चाहता है इसलिए भी ऐसे बयान दिए जा रहे हैं लेकिन ट्रंप और नेतन्याहू से खामेनेई की नफरत की वजह साफ है. खामेनेई पिछले 3 दशकों से ईरान के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं लेकिन आज ट्रंप और नेतन्याहू की वजह से उनकी कुर्सी संकट में है.

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