America vs United Nation: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुलकर खेल रहे हैं. शपथ के बाद देश में कई विपक्षी नेताओं को पहले सुनाया. फिर अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं पर बरसे. उसके बाद दुनिया भर में टैरिफ बम गिराए. अब उनका निशाना संयुक्त राष्ट्र की तरफ है. इसी कड़ी में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ फ्रांसेस्का अल्बानीज पर आधिकारिक बैन लगा दिए हैं. अल्बानीज को फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए मई 2022 में UN स्पेशल रैपोर्टेयर नियुक्त किया गया था.
अपराध न्यायालय की तरफदारी
असल में संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार एक्सपर्ट फ्रांसेस्का अल्बानीज लंबे समय से इजरायल की गाजा में कार्रवाई को नरसंहार बता रही हैं. वे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ICC द्वारा इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर जारी गिरफ्तारी वारंट का समर्थन कर चुकी हैं.
कार्रवाई के लिए उकसाया?
फिलहाल अब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उन पर प्रतिबंधों की घोषणा की है . उन्होंने अल्बानीज पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ ICC को कार्रवाई के लिए उकसाया जो अमेरिका की संप्रभुता का उल्लंघन है. रुबियो ने कहा कि अब अमेरिका अल्बानीज की राजनीतिक और आर्थिक जंग को बर्दाश्त नहीं करेगा.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांसेस्का अल्बानीज एक अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ हैं और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल माइग्रेशन स्टडीज की स्कॉलर हैं. उन्होंने फिलिस्तीनी शरणार्थियों और UNRWA से जुड़ी नीतियों पर कई लेख और किताबें लिखी हैं. जुलाई 3 को UN मानवाधिकार परिषद में उन्होंने गाजा की स्थिति को आधुनिक इतिहास का सबसे क्रूर नरसंहार बताया और इसे सेटलर कॉलोनियल प्रोजेक्ट का हिस्सा करार दिया.
अमेरिका और इजरायल ICC के सदस्य नहीं
बता दें कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट हेग नीदरलैंड्स स्थित एक अंतरराष्ट्रीय अदालत है जो युद्ध अपराध मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार जैसे गंभीर मामलों की सुनवाई करती है. इसने नेतन्याहू और इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट पर गाजा में युद्ध अपराधों के आरोप लगाए हैं. अमेरिका और इजरायल ICC के सदस्य नहीं हैं. फिलहाल अब ट्रंप प्रशासन ने इसे लेकर कड़ा रुख अपनाया है.