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95 दिनों तक समंदर में फंसा मछुआरा, कछुए, पक्षी और कॉकरोच खाकर रहा जिंदा, फिर ऐसे बची जान

एक मछुआरा खुशी-खुशी अपने काम पर निकला और जब वो समंदर में पहुंचा तो वहां तूफान की वजह से अपना रास्ता ही भटक गया. जिसके बाद वो बुरी तरह फंस गया और लगभग 95 दिनों के बाद तब घर लौटा जब उसकी वापसी की उम्मीदें धूमिल हो चुकी थीं. तो चलिए जानते हैं कैसे मछुआरे की जान बची.

95 दिनों तक समंदर में फंसा मछुआरा, कछुए, पक्षी और कॉकरोच खाकर रहा जिंदा, फिर ऐसे बची जान
Tahir Kamran|Updated: Mar 18, 2025, 09:45 AM IST
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Viral News: 95 दिनों तक समुद्र में खोए रहने के बाद पेरू के मछुआरे मैक्सिमो नापा आखिरकार अपने परिवार के पास पहुंच गए हैं. 95 दिनों तक फंसे रहने के दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि इन 95 दिनों में उन्होंने तिलचट्टे, पक्षी और समुद्री कछुए खाकर अपनी जान बचाई, जब तक कि बचाव दल ने उन्हें खोज नहीं लिया.

अकेले समंदर में भटकते रहे

मैक्सिमो नापा 7 दिसंबर को दक्षिणी पेरू के तटीय शहर मर्कोना से मछली पकड़ने के लिए निकले थे. उनके पास दो हफ्ते का खाना और पानी था, लेकिन सिर्फ 10 दिन बाद खराब मौसम ने उनकी नाव को रास्ते से भटका दिया. इसके बाद वे विशाल महासागर में अकेले भटकते रहे. उनके परिवार ने उन्हें खोजने के लिए अभियान शुरू किया, लेकिन पेरू की समुद्री गश्त की कोशिशों के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला.

95 दिन बाद कैसे मिले

आखिरकार 95 दिन बाद इक्वाडोर की मछली पकड़ने वाली एक गश्ती टीम ने उन्हें बुधवार को इक्वाडोर के तट से 680 मील दूर खोज निकाला. उस समय उनकी हालत बेहद नाजुक थी. वे गंभीर रूप से निर्जलित थे और भूख से बेहद कमजोर हो चुके थे. वापस लौटने के बाद उन्होंने भगवान का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें दूसरी जिंदगी जीने का मौका मिला है.

मां और पोती को याद करते थे

नापा ने बताया कि वह मरना नहीं चाहते थे. उन्होंने बारिश का पानी इकट्ठा करके अपनी प्यास बुझाई और आखिरी 15 दिन बिना किसी भोजन के बिताए. उन्होंने कहा कि उनके परिवार की यादें ही उनकी ताकत का सबसे बड़ा जरिया बनीं. हर दिन अपनी मां के बारे में सोचते रहे और अपनी दो महीने की पोती को याद कर खुद को जिंदा रखने की कोशिश करते रहे.

उम्मीद खो चुकी थी मां

उनकी मां एलेना कास्त्रो ने बताया कि परिवार के कुछ सदस्यों को अब भी उम्मीद थी, लेकिन वे धीरे-धीरे भरोसा खोने लगी थीं. उन्होंने भगवान से दुआ की कि चाहे बेटा ज़िंदा हो या न हो, बस उसे लौटा दिया जाए ताकि वह उसे एक बार देख सकें. हालांकि उनकी बेटियों ने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और हमेशा भरोसा बनाए रखा कि नापा ज़रूर वापस आएंगे.

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