फ्रांस के चुनाव नतीजों ने जहां दुनिया को चौंका दिया वहीं यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि आगे अब क्या होगा? लेफ्ट गठबंधन 182 सीटों के साथ सबसे आगे रहा लेकिन बहुमत के 289 के आंकड़े से बहुत पीछे रह गया. इमैनुएल मैक्रों की मध्यमार्गी एनसेंबल पार्टी ने 163 सीटें जीतीं. जबकि जीत का दावेदार माना जा रहा धुर दक्षिणपंथी गठबंधन तीसरे नंबर पर रहा. नेशनल रैली और सहयोगी सिर्फ 143 सीटें ही जीत सका.
किसी भी पार्टी के बहुमत हासिल न करने की वजह से, संसद के तीन ब्लॉकों - वामपंथी, मध्यमार्गी और दक्षिणपंथी में बंट जाने की संभावना है. तीन ही ब्लॉक के एजेंडे बहुत अलग-अलग हैं और देश में साथ मिलकर काम करने की कोई परंपरा नहीं रही है.
क्या वामपंथी गठबंधन बनेगा?
यह निश्चित नहीं है. फ्रांस में दलों की तरफ से चुनाव के बाद गठबंधन बनाने की परंपरा नही रही है. पांचवें फ्रेंच रिपल्बिक 1958 को युद्ध नायक चार्ल्स डी गॉल ने राष्ट्रपतियों को बड़ा, स्थिर संसदीय बहुमत देने के लिए डिज़ाइन किया गया. इसने टकराव वाली राजनीतिक संस्कृति को बढ़ावा दिया जिसमें आम सहमति और समझौते की कोई परंपरा नहीं रही.
रॉयटर्स के मुताबिक यूरोपीय संसद में एक विधिवेत्ता, उदारवादी वामपंथी नेता राफेल ग्लक्समैन ने कहा कि राजनीतिक वर्ग को ‘वयस्कों की तरह व्यवहार करना होगा.’
कट्टर वामपंथी फ्रांस अनबोएड (LFI) के नेता जीन-ल्यूक मेलेंचन ने विभिन्न विचारधाराओं की पार्टियों के व्यापक गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मैक्रों का कर्तव्य है कि वे वामपंथी गठबंधन को शासन करने के लिए कहें.
मध्यमार्गी खेमे में, मैक्रोन की पार्टी के प्रमुख स्टीफन सेजॉर्न ने कहा कि वे मुख्यधारा की पार्टियों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन मेलेंचन की LFI के साथ किसी भी तरह के समझौते से इनकार किया. फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री एडौर्ड फिलिप ने भी कट्टर वामपंथी पार्टी के साथ किसी भी तरह के समझौते से इनकार किया.
मैक्रों ने खुद कहा कि वे अपने अगले कदम के लिए अपने पत्ते साफ नहीं किए हैं.
अगर कोई समझौता नहीं हो पाता है तो क्या होगा?
यह फ्रांस के लिए बिल्कुन नया अनुभव होगा. संविधान के अनुसार मैक्रों अगले 12 महीनों तक नए संसदीय चुनाव नहीं बुला सकते.
फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अट्टल ने कहा कि वह सोमवार सुबह मैक्रों को अपना इस्तीफा सौंप देंगे, लेकिन वह कार्यवाहक की हैसियत से काम करने के लिए उपलब्ध हैं.
क्या कहता है संविधान?
संविधान के अनुसार मैकों को यह तय करना है कि सरकार बनाने के लिए किसे कहा जाए. लेकिन वे जिसे भी चुनेंगे, उसे नेशनल असेंबली में विश्वास मत का सामना करना पड़ेगा, जो 18 जुलाई को 15 दिनों के लिए आयोजित होगी.
मैक्रों वामपंथी समूह से सरकार बनाने के लिए कहने के लिए बाध्य नहीं हैं. हालांकि ऐसा करना परंपरा के मुताबिक होगा क्योंकि यह संसद में सबसे बड़ा समूह है.
मैक्रों संभवतः वामपंथी गठबंधन से समाजवादियों और ग्रीन्स को बाहर निकालना चाहेंगे ताकि फ्रांस अनबोड पार्टी को अलग-थलग कर सकें और ताकि अपने खुद के ब्लॉक के साथ केंद्र-वाम गठबंधन बना सकें.
एक और संभावना यह है कि टेक्नोक्रेट्स सरकार की है जो दिन-प्रतिदिन के कामों देखेगी लेकिन संरचनात्मक परिवर्तनों की देखरेख नहीं करेगी.