trendingNow12698751
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ने हिंदुत्व पर बना दिया ऐसा सिलेबस, हो गया बवाल; देनी पड़ गई सफाई

Hinduism course: आरोप है कि यह सिलेबस ना सिर्फ केवल हिंदू धर्म की गलत छवि बनाती है बल्कि छात्रों में इसके प्रति पूर्वाग्रह भी पैदा करती है. इसके साथ ही हिंदू छात्र संगठनों ने भी इस कोर्स की आलोचना करते हुए इसे हिंदू विरोधी करार दिया है. 

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ने हिंदुत्व पर बना दिया ऐसा सिलेबस, हो गया बवाल; देनी पड़ गई सफाई
Gaurav Pandey|Updated: Mar 29, 2025, 01:13 PM IST
Share

Houston University US: अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में एक सिलेबस को लेकर विवाद हो गया है. हुआ यह कि 'लिव्ड हिंदू रिलिजन' नामक सिलेबस को लेकर एक छात्र ने आरोप लगा दिए और यह विवाद बढ़ गया. इसके बाद यूनिवर्सिटी को सफाई देनी पड़ गई.वहां पर यह कोर्स प्रोफेसर आरोन माइकल उल्लेरी द्वारा पढ़ाया जाता है और इसका उद्देश्य हिंदू धर्म के तमाम पहलुओं को समझाना है. लेकिन भारतीय अमेरिकी छात्र और कार्यकर्ता वसंत भट्ट ने इस पाठ्यक्रम पर गंभीर सवाल उठा दिए. उनका कहना है कि यह कोर्स हिंदू धर्म को गलत तरीके से पेश करता है और हिंदूफोबिया को बढ़ावा देता है. 

'दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला साधन'
इस मामले के बाद अमेरिका में हिंदू समुदाय और अकादमिक हलकों में जबरदस्त चर्चा है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वसंत भट्ट अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के छात्र हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इस कोर्स में हिंदू धर्म को एक प्राचीन जीवंत परंपरा के बजाय एक औपनिवेशिक निर्माण और राजनीतिक उपकरण के रूप में दर्शाया गया है. उन्होंने पाठ्यक्रम की सामग्री का हवाला देते हुए कहा कि इसमें हिंदुत्व को हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा अन्य धर्मों खासकर इस्लाम को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला साधन बताया गया है. 

हिंदू धर्म की गलत छवि?

इतना ही नहीं भट्ट का दावा है कि यह प्रस्तुति न केवल हिंदू धर्म की गलत छवि बनाती है बल्कि छात्रों में इसके प्रति पूर्वाग्रह भी पैदा करती है. इसके लावा हिंदू छात्र संगठनों ने भी इस कोर्स की आलोचना करते हुए इसे हिंदू विरोधी करार दिया है. इस विवाद के जवाब में ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है. एक तरह से सफाई पेश की है. 

यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारी शॉन लिंडसे ने कहा कि वे अकादमिक फ्रीडम को महत्व देते हैं और पाठ्यक्रम को धार्मिक अध्ययन के मानकों के आधार पर तैयार किया गया है. प्रशासन ने यह भी बताया कि उठाई गई चिंताओं को गंभीरता से लिया जा रहा है और इसकी समीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि कोर्स में इस्तेमाल फंडामेंटलिज्म जैसी शब्दावली शैक्षणिक संदर्भ में हैं.

सिलेबस के प्रोफेसर ने भी सफाई दी

एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक इसके इस सिलेबस के प्रोफेसर आरोन माइकल उल्लेरी ने भी सफाई दी है. उनका कहना है कि उनके बयान को मीडिया में गलत तरीके से पेश किया गया है. उन्होंने क्लियर किया कि उनका उद्देश्य किसी धर्म की आलोचना करना नहीं बल्कि ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में हिंदू धर्म के विकास को समझाना है. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म एक प्राचीन परंपरा है और इसके पहलुओं पर विचार करना ही इस पाठ्यक्रम का मकसद है.

Read More
{}{}