trendingNow12191603
Hindi News >>दुनिया
Advertisement

UK: कौन हैं डॉ अश्विनी केशवन? डिमेंशिया डायग्नोसिस में कर रही हैं बड़ी रिसर्च

Dementia Diagnosis Research: इस टीम को ब्लड जांच के जरिए डिमेंशिया रोग का पता लगाने की दिशा में रिसर्च करने और इस बारे में अधिक सबूत इक्ट्ठा करने का काम सौंपा गया है. 

UK: कौन हैं डॉ अश्विनी केशवन? डिमेंशिया डायग्नोसिस में कर रही हैं बड़ी रिसर्च
Zee News Desk|Updated: Apr 06, 2024, 07:43 PM IST
Share

UK News: भारतीय मूल की न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist) डॉ. अश्विनी केशवन ब्रिटेन के एक विश्व स्तरीय रिसर्च टीम का हिस्सा बनी हैं. इस टीम को ब्लड जांच के जरिए डिमेंशिया रोग का पता लगाने की दिशा में रिसर्च करने और इस बारे में अधिक सबूत इक्ट्ठा करने का काम सौंपा गया है. ताकि इस पद्धति का आगामी पांच साल में और व्यापक तरीके से इस्तेमाल किया जा सके.  बता दें डिमेंशिया (मनोभ्रंश) एक ऐसा मस्तिष्क रोग है जिसके कारण याददाश्त कमजोर हो जाती है.

डॉ. अश्विनी केशवन यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) में सीनियर क्लीनिकल रिसर्च और मानद सलाहकार हैं.  वह उस टीम का हिस्सा हैं जो अल्जाइमर रोग के लिए सबसे आशाजनक बायोमार्कर ‘पी-टाउ217’ पर ध्यान केंद्रित करेगी.

ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं की एक अन्य टीम डिमेंशिया का कारण बनने वाली अलग-अलग प्रकार की बीमारियों का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रोटीन के संबंध में परीक्षण करेगी.

ये दोनों टीम क्लिनिकल तरीकों को किफायती बनाने और इन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में शामिल किए जाने की उम्मीद के साथ पूरे ब्रिटेन से प्रतिभागियों की भर्ती करेंगी.

डॉ केशवन ने क्या कहा?
डॉ. केशवन ने कहा, ‘‘डिमेंशिया, विशेष रूप से अल्जाइमर रोग का कारण बनने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों का आधार बनने वाले प्रोटीन का अब रक्त में पता लगाया जा सकता है.’ उन्होंने कहा कि ये दोनों शोध दल इसी दिशा में अनुसंधान करेंगे जिसके लिए ‘ब्लड बॉयोमार्कर चैलेंज’ अनुदान के जरिए वित्तीय मदद मिली है.

‘ब्लड बायोमार्कर चैलेंज’ के तहत ‘अल्जाइमर सोसाइटी’, ‘अल्जाइमर रिसर्च यूके’, ‘यूके नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड रिसर्च’ और ‘गेट्स वेंचर्स’ द्वारा 10 लाख पाउंड की राशि दी जाती है.

डॉ. केशवन ने कहा, ‘अगर हमारे रिसर्च से साबित होता है कि ये परीक्षण चिकित्सकीय रूप से उपयोगी और किफायती हैं, तो इससे इसे ब्रिटेन की मानक देखभाल प्रक्रिया का हिस्सा बनाने में मदद मिलेगी.’

(इनपुट – एजेंसी)

(फोटो प्रतीकात्मक)

Read More
{}{}