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Iran nuclear fuel: ईरान ने सीना ठोक कर दिया परमाणु ताकत पर ऐसा ऐलान, ट्रंप-नेतन्याहू की उड़ जाएगी नींद!

Ayatollah Ali Khamenei: ईरान ने आज एक बड़ा ऐलान करते हुए दुनिया को बता दिया है कि वो भी अब परमाणु संपन्न राष्ट्रों की कतार में शामिल होने वाला है. अयातुत्ला अली खामेनेई के एक पोस्ट ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. 

परमाणु ताकत के और करीब पहुंचा ईरान
परमाणु ताकत के और करीब पहुंचा ईरान
Rahul Vishwakarma|Updated: Jun 04, 2025, 07:45 PM IST
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Iran Nuclear weapon: अमेरिका, इजरायल जैसे देशों को जिस बात का डर था, उसका ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुत्ला अली खामेनेई ने आज ऐलान कर दिया है. खामेनेई ने कहा कि उनके वैज्ञानिकों ने 'न्यूक्लियर फ्यूल साइकल'  यानि परमाणु ईंधन चक्र को पूरा कर लिया है. इसका मतलब ये हुआ कि ईरान अब यूरेनियम के खनन से लेकर उसे न्यूक्लियर पावर प्लांट में बिजली बनाने और उसे स्टोर करने तक की तकनीक को हासिल कर चुका है. ऐसी ही तकनीक परमाणु हथियार बनाने में भी प्रयोग की जाती है. यानि ईरान अब अगर अपने पर आया तो वो न सिर्फ परमाणु हथियार बना सकता है, बल्कि दुनिया पर अपना दबदबा बनाने के लिए किसी को भी धमका सकता है. 

ट्रंप-नेतन्याहू के माथे पर आ जाएंगे बल

ईरान के इस ऐलान से अमेरिका और इजरायल की नींद उड़नी तय है. खामेनेई के इस ट्वीट का साफ मतलब है कि ईरान अब परमाणु हथियार बनाने के एक स्टेप और करीब पहुंच गया है. इस ऐलान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के माथे पर बल ला दिए हैं. 

क्या होता है 'न्यूक्लियर फ्यूल साइकल'?

न्यूक्लियर फ्यूल साइकल दरअसल एक साइंटिफिक और बेहद कठिन इंडस्ट्रियल प्रोसेस है जिसमें न्यूक्लियर पावर के उत्पादन के लिए जरूरी फ्यूल तैयार किया जाता है और उसके बाद उपयोग किए गए ईंधन को सुरक्षित तरीके इन-इफेक्टिव किया जाता है. इस पूरे प्रोसेस को ऐसे समझा जा सकता है-  

यूरेनियम को पाउडर में बदलते हैं

इसमें सबसे पहले यूरेनियम को खदानों से निकाला जाता है. फिर यूरेनियम को रिफाइन करके पाउडर में बदलते हैं, जिसे येलो केक भी कहते हैं. इस येलो केक को गैस (यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड - UF6) में बदलते हैं. समृद्ध यूरेनियम को फिर परमाणु रिएक्टरों में बिजली बनाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं. इस प्रोसेस में नियंत्रित परमाणु विखंडन से भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है. उपयोग के बाद जो परमाणु ईंधन (spent fuel) बचता है, उसे बहुत ज्यादा रेडियोधर्मी होने के कारण ठंडा किया जाता है. इसके बाद इसे या तो स्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर स्टोर कर लिया जाता है या फिर इसे रि-प्रोसेस किया जाता है. 

(ये भी पढ़ें- Donald Trump: 40 दिन की चौधराहट में दुनिया को झकझोरा, 4 साल में क्या करके मानेंगे डोनाल्ड ट्रंप?)

मिडिल ईस्ट में बदल जाएंगे समीकरण

अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के लिए टेंशन की बात ये है कि उच्च संवर्धित यूरेनियम के साथ कुछ ऐसी ही प्रक्रिया परमाणु हथियार बनाने के लिए भी प्रयोग की जाती है. ईरान अगर परमाणु तकनीक पा गया तो इससे न सिर्फ मिडिल ईस्ट, बल्कि पूरी दुनिया में समीकरण बदल जाएंगे. 

प्रतिबंधों के बाद भी ईरान पर असर नहीं

दुनिया के मठाधीश देशों की नजर अब इस बात पर रहेगी कि ईरान इस तकनीक का प्रयोग शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा उत्पादन में करता है या फिर वो भी चोरी-छिपे परमाणु हथियार बनाने की दिशा बढ़ेगा. अमेरिका, इजरायल और कुछ यूरोपीय देश पहले से ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं. इसी के चलते ईरान पर वैश्विक प्रतिबंधों भी लगाए गए हैं. ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए इन देशों की ओर से नए सिरे से कूटनीतिक और आर्थिक कदम भी उठाए जा सकते हैं. यह परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty - NPT) के तहत ईरान की प्रतिबद्धताओं को लेकर भी नए सवाल खड़े करता है.

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