DNA Analysis: ईरान इज़रायल युद्ध के शुरू होने के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई कह रहे थे कि वो झुकेंगे नहीं. और अब सीज़फायर के बाद ईरान के हमले बता रहे हैं कि खामेनेई ने मन बना लिया है कि वो रुकेंगे भी नहीं. यहां सवाल उठता है अगर ईरान और इज़रायल को सीज़फायर तोड़ना ही था तो सीज़फायर किया ही क्यों गया? आज आपको ये भी समझना चाहिए क्या ईरान और इज़रायल के बीच सीज़फायर एक ड्रामा था. जिसकी स्क्रिप्ट सोच समझकर लिखी गई. क्या ये सब कुछ ईरान इज़रायल युद्ध को सिर्फ कुछ घंटे रोकने की कवायद थी. और क्या ये युद्ध अब और ज्यादा खतरनाक हो सकता है. आज हम आपको इस सीजफायर वाली पिक्चर की 3 थ्योरी समझाएंगे. सबसे पहले आप समझिए सीज़फायर के एलान की भूमिका कैसे बनी.
- 23 तारीख की रात अचानक खबर आई. ईरान ने मिडिल ईस्ट में कतर, बहरीन, कुवैत और इराक में मौजूद अमेरिकी बेसों पर हमला कर दिया.
- ईरान ने इन हमलों को अपने 3 परमाणु ठिकानो पर हुए अमेरिकी हमले का बदला बताया.
- हमले के बाद ईरान में अमेरिका से बदला लेने का जश्न शुरू हो गया.
- जबकि ईरान की 14 में से 13 मिसाइलों को इंटरसेप्ट करके नष्ट कर दिया गया. और 1 मिसाइल को इसलिए छोड़ गया क्योंकि वो किसी और दिशा में जा रही थी.
- अमेरिका के राष्ट्रपति ने बाद में इस बात का खुलासा किया. कि ईरान ने हमले से पहले कतर और अमेरिका को सूचना दे दी थी. यानि ईरान अमेरिका को कोई नुकसान पहुंचाना ही नहीं चाहता था.
- इसका मतलब ये है ईरान को अमेरिका ने अपनी जनता के सामने फेस सेविंग की मौका दिया. ताकि वो इस युद्ध से बाहर निकल सके.
- इसके बाद अमेरिका ने ईरान के हमले का जवाब नहीं देने का एलान करते हुए कतर के प्रधानमंत्री के जरिए ईरान से बात की. और सीज़फायर का एलान कर दियाच ये सब कुछ एक लिखी लिखाई स्क्रिप्ट की तरह था.
अब ईरान अपनी जनता की नज़रों में अमेरिका से बदला ले चुका है. इसके बाद अगर इज़रायल से उसका युद्ध जारी भी रहता है तो मिडिल ईस्ट में मौजूद अमेरिकी बेसों पर वो हमला नहीं करेगा. यानि ये मुमकिन है सीज़फायर की स्क्रिप्ट अमेरिका ने युद्ध से निकलने के लिए लिखी हो. ट्रंप ने ये सोचा हो कि अगर ये सीजफायर कुछ घंटे भी चला तो भी अमेरिका खुद को आसानी से इस वॉर से बाहर कर लेगा. और ईरान के खिलाफ सीधा युद्ध लड़ने से बच जाएगा.
ईरान-इजरायल जंगबंदी की अहम चेहरा
इस सीज़फायर का अहम चेहरा कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी भी रहे. ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर का श्रेय ट्रंप ने अल थानी को भी दिया है.
- ट्रंप ने पहले इजरायल को सीजफायर के लिए राजी किया.
- और फिर कतर के शासक से कहा कि वो ईरान को सीजफायर के लिए राजी करें.
- इसके बाद कतर के प्रधानमंत्री ने ईरानी अधिकारियों को फोन करके उन्हें सीजफायर के लिए मनाया.
- इससे पहले कतर ने अमेरिका-तालिबान के बीच वार्ता में भी अहम भूमिका निभाई थी.
- रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी कतर ने कई बार अहम मध्यस्थ की भूमिका निभाई है.
- हमास के कब्जे से इज़रायल के बंधकों को छुड़वाने की बातचीत भी कतर के जरिए हुई.
- ईरान-इज़रायल के बीच सीज़फायर से कतर को दो फायदे हुए. पहला कतर में मौजूद अमेरिकी बेस पर ईरान के हमले की आशंका खत्म हो गई.
- दूसरा अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के समाधान में डिप्लोमैटिक पावरहाउस वाली उसकी छवि और मजबूत हो गई.
- और इसीलिए कतर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए ये सीजफायर करवा दिया.
सीजफायर की तीसरी थ्योरी
तीसरी थ्योरी इस सीजफायर के टूटने की है. मिडिल ईस्ट की मीडिया के मुताबिक सीजफायर एलान के बाद जब ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध नहीं रुका तो डॉनल्ड ट्रंप ने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन किया. और हमला रोकने के लिए कहा. लेकिन नेतन्याहू ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. नेतन्याहू ने डॉनल्ड ट्रंप से कहा ईरान ने सीज़फायर तोड़ा है और उसे सबक सिखाना जरूरी है. जिसके बाद दोनों देशों ने एक दूसरे पर भीषण हमला किया.और अब इज़रायल ईरान से बदला लेने की बात कह रहा है. तो ये युद्ध बेकाबू भी हो सकता है. क्योंकि अब दोनों मुल्क सिर्फ एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए आमने सामने आएंगे. जिस युद्ध का कोई लक्ष्य नहीं होता उसमें विनाश की आशंका भी ज्यादा हो जाती है.