Israel Top Research Institute Attacked: इजरायल की ताकत उसकी टेक्नोलॉजी में छिपी है. वो टेक्नोलॉजी जिसे पाने के लिए उसके साइंटिस्ट सालों तक अपना ब्रेन खपाते हैं. उसके जेट हों, हथियार या जासूसी के उपकरण सब इजरायली माइंड की देन हैं. पिछले दिनों इजरायल ने अचानक चुन-चुनकर ईरान के कई टॉप परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों को मार दिया. इसकी जानकारी पूरी दुनिया को है लेकिन पलटवार में ईरान ने इजरायल का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान क्या किया, धीरे-धीरे खबर हो रही है. जी हां, ईरान ने एक झटके में ही इजरायल के तमाम माइंड से हो रही रिसर्च के सबसे बड़े सेंटर को जमींदोज कर दिया है. यह जैसे को तैसा टाइप का हमला था.
दरअसल, वर्षों से इजरायल इस ताक में रहा है कि ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बना ले. मकसद साफ था कि दिमाग वाले यानी टैलेंटेड लोग नहीं रहेंगे तो ईरान का परमाणु कार्यक्रम अपने आप चल नहीं पाएगा. हाल में इजरायल ने धुआंधार हमले कर ईरान के कई टॉप माइंड को ठिकाने लगा दिया. इस बीच ईरान ने एक मिसाइल ऐसी दागी जो सीधे इजरायल के प्रमुख रिसर्च इंस्टिट्यूट पर गिरी. यह कोई साधारण सेंटर नहीं था बल्कि फिजिक्स और लाइफ साइंस का टॉप इंस्टिट्यूट था जहां बरसों से रिसर्च का काम चल रहा था. इसका नाम वाइजमैन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस है.
इजरायल के साइंटिस्टों में खौफ
रविवार की सुबह वाइजमैन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस पर ईरानी हमले में किसी की मौत नहीं हुई लेकिन परिसर में कई प्रयोगशालाओं को भारी नुकसान पहुंचा. इससे वर्षों के वैज्ञानिक शोध नष्ट हो गए. इजरायली वैज्ञानिकों को भी स्पष्ट संदेश मिला कि वे और उनकी विशेषज्ञता अब ईरान के निशाने पर है. मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी विभाग के एक प्रोफेसर ओरेन शुल्डिनर ने कहा कि यह ईरान के लिए तो नैतिक जीत है. प्रोफेसर की प्रयोगशाला इस हमले में बर्बाद हो गई. उन्होंने कहा भी, 'वे इजरायल में साइंस के 'मुकुट' को नष्ट करने में कामयाब रहे.
यह हमला इजरायल के वैज्ञानिकों में इसलिए खौफ पैदा कर रहा है क्योंकि अब तक वे ईरान के राडार पर नहीं थे. अक्सर ईरानी साइंटिस्टों को इजरायल निशाने पर रखता था. इस बार उसने कई बेस समेत परमाणु वैज्ञानिकों को भी मार दिया.
ईरान पर पहले कम से कम एक वाइजमैन वैज्ञानिक को निशाना बनाने का आरोप लगा था. पिछले साल इजरायली अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने एक ईरानी जासूसी गिरोह का भंडाफोड़ किया, जिसने संस्थान में काम करने वाले और रहने वाले एक इजरायली परमाणु वैज्ञानिक का पीछा करने और उसकी हत्या करने की साजिश रची थी. इसके अलावा इजरायल में ईरान की खुफिया घुसपैठ बहुत कम सफल रही, इसलिए उन साजिशों को अंजाम नहीं दिया जा सका. हालांकि कुछ दिन पहले वाइजमैन पर हमले ने हालात को भयावह बना दिया है.
तेल अवीव के थिंक टैंक, इंस्टिट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज में ईरान विशेषज्ञ और सीनियर रिसर्चर योएल गुजांस्की ने कहा, 'वाइजमैन संस्थान ईरान की नजर में है.' दूसरी इजरायली यूनिवर्सिटियों की तरह वाइजमैन एक बहु-विषयक शोध संस्थान है और इजरायल के रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़ा हुआ है.
गुजांस्की ने आगे कहा कि संस्थान मुख्य रूप से इजरायली वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक हैं और इस पर हमला ईरान की सोच को दर्शाता है. यह मैसेज साफ है कि आप हमारे वैज्ञानिकों को नुकसान पहुंचाते हैं तो अब हम भी (आपके) वैज्ञानिक कैडर को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
वाइजमैन संस्थान कितना खास है?
1934 में स्थापित और बाद में इजरायल के पहले राष्ट्रपति के नाम पर इसका नाम बदलकर वाइजमैन कर दिया गया. यह दुनिया के टॉप रिसर्च इंस्टिट्यूट में एक है. इसके वैज्ञानिक और शोधकर्ता हर साल सैकड़ों अध्ययन प्रकाशित करते हैं. रसायन विज्ञान में एक नोबेल पुरस्कार विजेता और तीन ट्यूरिंग पुरस्कार विजेता इसी संस्थान से जुड़े रहे हैं. इसी संस्थान ने 1954 में इजरायल में पहला कंप्यूटर बनाया था.
बताया गया है कि हमले के बाद से परिसर बंद है. मीडिया को जाने की अनुमति दी गई थी. परिसर में बड़े-बड़े पत्थर और दूसरे मलबे बिखरे हुए थे. टूटी हुई खिड़कियां और जली हुई दीवारें थीं. बायोकेमिक्स के प्रोफेसर सरेल फ्लेशमैन ने कहा कि कई इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा है. कुछ प्रयोगशालाएं सचमुच पूरी तरह से नष्ट हो गईं. कुछ भी नहीं बचा. यहां के लाइफ साइंसेज के कई लैबू में टिशू बनाने और कैंसर जैसी रिसर्च चल रही थी. यहां कई रिसर्चर के जीवनभर का काम था जो खत्म हो गया.
शुल्डिनर ने कहा कि जिस प्रयोगशाला में मैंने 16 वर्षों तक काम किया वह पूरी तरह से खत्म हो गई है. कोई निशान नहीं. बचाने के लिए कुछ भी नहीं है. वहां ऑटिज़्म और सिज़ोफ्रेनिया से जुड़ी रिसर्च हो रही थी. (सोर्स- एजेंसियां)