Iran Israel Ceasefire Inside Story: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिर किस शख्स को फोन कॉल किया, जिसकी पहल के बाद ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों से जारी जंग आखिरकार बंद हो गई.शांति का नोबेल पुरस्कार पाने का ख्वाब पाले बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ईरान-इजरायल के बीच सीजफायर कराने का दावा क्या. दुनिया हैरान थी कि आखिरी पिछले 12 दिनों दिन आसमान को चीरने वाली मिसाइलों के हमले के बीच ईरान और इजरायल युद्धविराम के लिए अचानक कैसे तैयार हो गए. आखिर किसने इस नाटकीय घटनाक्रम की कथा लिखी. दो दिन पहले जब अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों को तबाह किया था तब ये जंग पूरे मध्य पूर्व में फैलने या तीसरे विश्व युद्ध में तब्दील होने की आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के एटमी ठिकानों पर हमले के तुरंत बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल युद्ध को खत्म कराने और सीजफायर के लिए प्रयास किया था, लेकिन दोनों देश तुरंत तैयार नहीं थे. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू राजी हुए तो अमेरिका से बदला लेने को बेताब ईरान ने ये पेशकश ठुकरा दी. हारकर ट्रंप ने मध्य पूर्व में प्रभावशाली अल थानी फैमिली के सदस्य और कतर के प्रधानमंत्री अमीर शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी को फोन कॉल किया. इसके कुछ घंटों पहले ही ईरान ने कतर में अमेरिकी एयरस्पेस पर मिसाइलें दागी थीं. लेकिन अल थानी ने बड़प्पन दिखाते हुए ईरान से बातचीत की तो वो तुरंत मान गए.
ट्रंप ने सोमवार रात को ऐलान किया कि ईरान और इजरायल के बीच पूरी तरह युद्धविराम लागू करने पर सहमति बन गई है. इसके लिए 24 घंटे में चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ा जाएगा. भारत के समय के हिसाब से ये संघर्षविराम मंगलवार सुबह 9.30 बजे से लागू होना था.
कतर के प्रधानमंत्री ने निभाई भूमिका
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने सीजफायर में अहम भूमिका निभाई, क्योंकि युद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाला ईरान इसके लिए राजी नहीं था. कतर का अल थानी परिवार दुनिया के पांच सबसे अमीर परिवारों में से एक है. उनके अनुरोध को ईरान के नेता टाल नहीं सके. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की भी इसमें सहमति लेने के बाद इसे सार्वजनिक किया गया.
ट्रंप ने क्यों मारी पलटी
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान पर हमले के बाद वहां अयातुल्ला अली खामेनेई को सत्ता से हटाने के लिए अभियान चलाने का संकेत दिया था. उन्होंने MAGA की जगह MIGA (मेक ईरान ग्रेट अगेन) का नारा भी दिया था. लेकिन उन्होंने फिर 24 घंटे में पलटी मारी, क्योंकि अमेरिका के साथ दुनिया के तमाम देशों में ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमले के उनके फैसलों की आलोचना हो रही थी. रूस-चीन के कड़े रुख से ट्रंप सीजफायर की पहल के लिए मजबूर हुए.
नेतन्याहू को भी अंदाजा नहीं था
खबरों में कहा गया है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ये अंदाजा नहीं था कि ईरान पर हमले का ऐसा आक्रामक जवाब मिलेगा. ईरान लगातार तेल अवीव, हाइफा से लेकर यरूशलम तक मिसाइलों की ऐसी ताबड़तोड़ बारिश करता रहा. नेतन्याहू उसके मिसाइल जखीरे को बर्बाद नहीं कर पाए. साथ ही इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम, डेविड स्लिंग, एरो की मिसाइलों का भंडार भी लगातार कम हो रहा था. वो रोजाना एक अरब डॉलर युद्ध पर खर्च कर रहा था.