Iran-Israel War: जैसे-जैसे इजरायल-ईरान की जंग आगे बढ़ रही है, ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई के विरोध में आवाज और उठती जा रही है. लेकिन पूरी दुनिया तब हैरान रह गई जब भतीजे ने ही अपने चाचा की सत्ता को खत्म करने की बात कर दी. जिसके बाद सब हैरान हैं. इंडिया टूडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के निर्वासित भतीजे महमूद मोरादखानी ने बुधवार को उत्तरी फ्रांस में अपने घर से एक इंटरव्यू में बहुत बड़ा दावा कर दिया. उनका कहना था कि हालांकि वह युद्ध के समर्थक नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि इस्लामी गणराज्य का पतन ही वास्तविक शांति का एकमात्र रास्ता है.
भतीजे की चाहत, चाचा की चली जाए कुर्सी
फ्रांस में रह रहे ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के भतीजे महमूद मोरदखानी के ताजा इंटरव्यू के बाद पूरी दुनिया में अब सवाल उठ रहे हैं. मोरदखानी जो 1986 में ईरान छोड़कर विदेश में बस गए थे और तब से अपने चाचा के शासन की खुलकर आलोचना करते रहे हैं. रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में मोरदखानी ने साफ कहा, “जो भी इस शासन को खत्म कर सके, वो करना ज़रूरी है. अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि इसके सिवा कोई रास्ता नहीं बचा.” उनका मानना है कि ईरान का मौजूदा नेतृत्व न तो किसी के सामने झुकता है और न ही कोई सुधार करने को तैयार है. ऐसे में बदलाव लाना बेहद जरूरी हो गया है.
इजराइल से टकराव पर क्या बोले?
मोरदखानी ने इजराइल के साथ ईरान के सैन्य टकराव को दुखद बताया. उन्होंने कहा कि इस तरह का टकराव किसी के हक में नहीं है, लेकिन जब तक ईरान में ऐसी सरकार है जो दुनिया से सिर्फ दुश्मनी बढ़ाती है, तब तक ऐसी घटनाएं रुक नहीं सकतीं. उनका कहना था कि यह शासन अपनी सख्त नीतियों और जिद की वजह से खुद ही ऐसी परिस्थितियां बनाता है.
अब जानते हैं कौन हैं महमूद मोरदखानी?
महमूद मोरदखानी खामेनेई के भतीजे हैं. 1986 में वह ईरान छोड़कर फ्रांस चले गए थे. तब से वह खामेनेई के नेतृत्व और ईरान की सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलते रहे हैं. मोरदखानी का कहना है कि ईरान के लोग आजादी और बेहतर जिंदगी चाहते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार उनकी आवाज दबाती है.
क्या चाहते हैं मोरदखानी?
मोरदखानी ने साफ किया कि उनका मकसद युद्ध भड़काना नहीं है. वह चाहते हैं कि ईरान में एक ऐसी सरकार आए जो लोगों की बात सुने, उनके हक की रक्षा करे और दुनिया के साथ शांति से रहे. उनका कहना है कि जब तक खामेनेई का शासन रहेगा, न तो ईरान के लोग चैन से जी पाएंगे और न ही दुनिया में शांति कायम हो पाएगी.