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जापान के इतिहास का वो काला दिन जब धुआं धुआं हुआ था पूरा शहर, एक गरज से मोम जैसे पिघल गए थे लोग, आजतक नहीं भरा घाव

Hiroshima and Nagasaki Atomic Bombings: 6 अगस्त 1945 का दिन जापान के इतिहास के सबसे काले पन्नों में दर्ज है, जब अमेरिका ने उसके हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था. 

जापान के इतिहास का वो काला दिन जब धुआं धुआं हुआ था पूरा शहर, एक गरज से मोम जैसे पिघल गए थे लोग, आजतक नहीं भरा घाव
Shruti Kaul |Updated: Aug 06, 2025, 08:50 AM IST
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Hiroshima Atomic Bombings: अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के पश्चिमी शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था. इस हमले में तकरीबन 1,40,000 लोग मारे गए थे. इसके दूसरे ही दिन नागासाकी पर हुए दूसरे हमले में 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. आज हिरोशिमा एटॉमिक बॉम्बिंग की 80वीं वर्षगांठ है. इस मौके पर दुनियाभर से आए लोगों ने सुबह 8 बजर 15 मिनट पर मौन रखा. ठीक उसी समय पर जब शहर में बम गिराया गया था. जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और हिरोशिमा के मेयर काजुमी मात्सुई ने इस समारोह में हिस्सा लेकर शांति की अपील की.  

परमाणु हथियारों का बढ़ा खतरा? 
परमाणु हथियारों के खिलाफ दशकों से लड़ रहे कई संगठनों और पीड़ितों ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि आज के समय में इसका खतरा अधिक बढ़ गया है. पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले जापान के नागरिक संगठन 'निहोन हिदानक्यो' ने कहा,' हमारे पास अब ज्यादा समय नहीं बचा है, जबकि परमाणु खतरा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.'  

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जापान ने संधि पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए? 
बता दें कि जापान सरकार ने अब तक परमाणु हथियारों की मनाही के लिए संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और न ही उसकी किसी भी बैठकों में सुपरवाइजर के तौर पर हिस्सा लिया है.  इसका कारण है जापान की अमेरिका के न्यूक्लियर सिक्योरिटी शील्ड के अंदर स्थिति, जिससे पीड़ितों में गहरा असंतोष है. 79 साल के कोसेई मितो परमाणु बम हमले के दौरान अपनी मां के गर्भ में रहते हुए रेडिएशन के संपर्क में आए थे. उन्होंने कहा,' जब हमले को ही जायज ठहराया जाता है, तो परमाणु हथियारों को खत्म करना असंभव है.'  

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सरकार से शिकायत 
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री अक्सर हिरोशिमा-नागासाकी की परमाणु त्रासदी को शांति की दिशा में प्रतिबद्धता के रूप में पेश करते हैं, हालांकि पीड़ितों का कहना है कि यह केवल एक खोखला वादा है. जापानी सरकार ने केवल युद्ध करने वाले सैनिकों को मुआवजा दिया, जबकि नागरिक पीड़ितों को आजतक न्याय नहीं मिला. हिरोशिमा की यह वर्षगांठ न केवल उस काले इतिहास की याद दिलाती है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करती है कि क्या वाकई दुनिया परमाणु हथियारों से मुक्त भविष्य की तरफ बढ़ रही है.  

F&Q 
हिरोशिमा परमाणु बमबारी कब हुई थी?
6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी हुई थी.

हिरोशिमा और नागासाकी पर कितने लोगों की मौत हुई थी?
हिरोशिमा में लगभग 1,40,000 और नागासाकी में 74,000 लोग मारे गए थे.

 हिरोशिमा परमाणु बमबारी का उद्देश्य क्या था?
अमेरिका जापान को आत्मसमर्पण करवाना चाहता था और जान बचाना चाहता था.

क्या हिरोशिमा रहने लायक है?
हां, हिरोशिमा आज पूरी तरह से रहने लायक है. शहर का पुनर्निर्माण किया गया है और यह एक संपन्न शहरी क्षेत्र है. 

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