Mata Hari Real Story: तारीख 15 अक्टूबर 1917.. सुबह का वक्त था, एक सर्द और खामोश सुबह, लेकिन जैसे ही फौजी की गाड़ी से बड़ी-बड़ी खूबसूरत आंखें, लंबी छरहरी बदन वाली महिला बाहर निकली, पूरा माहौल थम सा गया. लंबा कोट, चौड़ी किनारी वाली टोपी और चलने का अंदाज़ जैसे मानो वक्त कुछ पल के लिए उसके कदमों के नीचे ठहर सा गया हो. ये कोई आम महिला नहीं थी. इसकी एक झलक पाने को मंत्री, उद्योगपति से लेकर जनरलों तक की सांसें रुक जाती थीं, लेकिन उसे उस दिन एक कैदी की तरह सामने देखकर सब हक्का बक्का थे. एक दशक पहले तक जिस महिला के कदमों में यूरोप की राजधानियां थीं वे कैदी कैसे बनीं. आखिर ये कौन महिला थीं? चलिए जानते हैं इनके दिलचस्प किस्से.
कैदी की तरह सामने खड़ी यह कोई आम औरत नहीं थी बल्कि माताहारी थीं. उनका जुर्म क्या था? लाखों के दिलों पर राज करने वाली माताहरी पर जासूस होने का आरोप था. उनपर मित्र देशों के अफसरों को फुसलाने और उनसे राज हासिल करने का आरोप था. इसलिए उन्हें जर्मन सेना को सौंप दिया गया. लेकिन अदालत में पेश किए गए सबूतों से कई और हैरान करने वाले खुलासे हुए. जिसमें एक सबसे बड़ा खुलासा ये था कि वे असल में एक डबल एजेंट थी और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था. कुछ साल पहले माताहरी को लेकर फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय ने कुछ दस्तावेज सार्वजनिक किए थे, जिनसे दुनिया की तारीख के सबसे मशहूर जासूस के बारे में नए खुलासे हुए थे.
इन दस्तावेजों में मैड्रिड में मौजूद जर्मन सैन्य अताशे द्वारा बर्लिन को भेजा गया टेलीग्राम भी शामिल है, जिसकी वजह से माताहारी की गिरफ्तारी हुई थीं. मैड्रिड में जर्मन सैन्य अताशे अर्नोल्ड वॉन काल्ले द्वारा बर्लिन भेजे गए एक टेलीग्राम में 'H21' नाम के जासूस का ज़िक्र था, जिससे माता हारी की पहचान हुई थी. इसमें उनकी निजी जानकी भी शामिल थी.
माताहारी का असली नाम मार्गरेट ज़ेले था. उनका जन्म 1876 में हुआ था. तलाक के बाद वे पेरिस चली गईं, जहां वे एक मशहूर नर्तकी बनीं और 'स्ट्रिपटीज़' नृत्य की जनक मानी गईं. कहा जाता है कि उनका नाम 'माता हारी' इंडोनेशियाई भाषा से आया है, जिसका मतलब है 'दिन की आंख' यानी सूर्य.
आज माता हारी को सिर्फ़ उनकी जासूसी के लिए याद किया जाता है. हालांकि वे अपने वक्त की सबसे मशहूर हस्ती थीं. जबकि कई इतिहासकार उनके बचाव में आगे आए हैं. कुछ का कहना है कि उनकी बलि इसलिए दी गई ताकि फ्रांसीसी सरकार जंग धमें अपनी बार-बार की असफलताओं को सही ठहरा सके. जबकि कई एक्टिविस्ट का कहना है कि माता हारी को निशाना बनाना आसान था, क्योंकि उन पर 'खराब किरदार' का आरोप लगाया गया था, जिसकी वजह से उन्हें आसानी से 'फ्रांस का दुश्मन' करार दिया गया.
कुछ एक्सपर्ट्स सवाल उठा रहे हैं कि रिकॉर्ड में सिर्फ़ तर्जुमा क्यों है, असली तार कहां है? क्या हो सकता है कि माता हारी को फंसाने के लिए फ़्रांसीसियों ने ही जाली तार बनाया हो और उसे 'ख़तरनाक जासूस' बताकर अपनी जीत का प्रचार किया हो? चाहे यह चाल जर्मनों की हो या फ़्रांसिसियों की, माता हारी दोनों ओर से फंसी हुई दिखती है. दस्तावेज़ों में उसका कबूलनामा भी है, जिसमें उसने माना कि वह पैसे के लिए जर्मन जासूस बनी थी, लेकिन उसका झुकाव मित्र देशों की तरफ था. फिर भी उस पर यकीन नहीं किया गया और उसे पेरिस के पास शैटो डी विन्सेनेस ले जाया गया, जहां 12 सशस्त्र सैनिकों ने उसे गोली मार दी.
कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उसने सजा-ए-मौत के वक्त आंखों पर पट्टी बांधने से इनकार कर दिया था. कहा जाता है कि उन्होंने एक हाथ हिलाकर अपने वकील को बाय-बाय कहा.इसके बाद 12 सैनिकों ने माताहारी को गोलियों से छलनी कर दिया. वे वहीं ढेर हो गईं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, माता हारी का शव लेने कोई नहीं आया. इसके बाद उनके शव को पेरिस के एक मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया गया. लेकिन, 20 साल पहले उनका शव वहां से गायब हो गया.