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जिन्होंने बनाया हीरो..वही बना रहे जीरो, बेआबरू होकर निकलेंगे यूनुस, 'इस्तीफे' की इनसाइड स्टोरी

Muhammad Yunus: राजधानी ढाका में बीएनपी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रही है और विवादित मेयर चुनाव में अपने उम्मीदवार इशराक हुसैन की ताजपोशी की मांग कर रही है. उधर यूनुस के इस्तीफे को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

File Photo
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Gaurav Pandey|Updated: May 24, 2025, 07:56 AM IST
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Bangladesh Political Crisis: बड़े ही नाटकीय तरीके से कुछ समय पहले बांग्लादेश की सत्ता में आए अंतरिम प्रधानमंत्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की चर्चा तेज है. छात्र आंदोलन के बाद अगस्त 2024 में सत्ता संभालने वाले यूनुस ने खुद स्वीकार किया है कि मौजूदा हालात में वह काम नहीं कर पा रहे हैं. नेशनल सिटिजन पार्टी के छात्र नेता अन्हिद इस्लाम ने बताया कि यूनुस ने सलाहकारों की बैठक में कहा कि अगर मैं काम ही न कर सकूं तो इस पद पर बने रहने का क्या मतलब है. इसे पूरी स्थिति को समझने की जरूरत है.

चुनाव की तारीख तय करने में देरी..
असल में यूनुस का गुस्सा और असमर्थता ऐसे समय में सामने आई है जब राजनीतिक दल आपस में सहमति नहीं बना पा रहे हैं और अंतरिम सरकार को चुनाव की तारीख तय करने में देरी पर घेरा जा रहा है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी BNP सहित कई दल यूनुस पर लगातार दबाव बना रहे हैं. बीएनपी नेता खंदकार मोशर्रफ हुसैन ने चेताया है कि अगर जल्द चुनाव की योजना नहीं बनी तो पार्टी समर्थन वापस ले सकती है. उधर राजधानी ढाका में बीएनपी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन कर रही है और 2020 के विवादित मेयर चुनाव में अपने उम्मीदवार इशराक हुसैन की ताजपोशी की मांग कर रही है.

सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान की चेतावनी

हालात और भी तनावपूर्ण हो गए जब सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने यूनुस सरकार को चेतावनी दी कि चुनाव हर हाल में दिसंबर तक कराए जाएं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जमान ने सरकार के उस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया जिसमें म्यांमार के रखाइन राज्य के लिए मानवीय गलियारा बनाने की बात कही गई थी. उन्होंने इसे क्तरंजित गलियारा कहा और राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ बताया. विपक्ष पहले ही इस प्रस्ताव को एकतरफा और अवैध बता चुका है. इसका मतलब जिन लोगों ने यूनुस को सत्ता देने में भूमिका निभाई अब वही लोग उन्हें उतारने में लगे हैं.

'यूनुस सत्ता के भूखे नहीं'
हालांकि यूनुस के इस्तीफे को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन उनके कार्यालय की चुप्पी और सलाहकारों की चिंता साफ संकेत देती है. एक विशेष सलाहकार फैज अहमद तैय्यब ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण बदलाव के लिए यूनुस का पद पर बने रहना जरूरी है. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यूनुस सत्ता के भूखे नहीं हैं.

मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप

उधर ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी यूनुस सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. संगठन ने हालिया राजनीतिक दमन और आतंकवाद कानून में बदलाव को लोकतंत्र विरोधी बताया है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को 12 मई को बैन कर दिया गया और इसके कई नेताओं पर मानवाधिकार हनन के केस चल रहे हैं. इन सब दबावों के बीच यूनुस के सामने अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वे टिक पाएंगे या इतिहास उन्हें एक और असफल प्रयोग के रूप में याद रखेगा.

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