China-Taiwan Tension: नाउरू की सरकार ने कहा कि वह 'अब [ताइवान] को एक अलग देश के रूप में नहीं, बल्कि चीन के एक अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देगी.' बता दें चीन पिछले कुछ वर्षों से ताइवान के राजनयिक सहयोगियों पर सेंध लगा रहा है.
ताइवान ने इस कदम के समय को 'देश लोकतांत्रिक चुनावों के खिलाफ चीन का प्रतिशोध' बताया. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नाउरू के इस फैसले के बाद केवल 12 देश ही बचे हैं जो अभी भी ताइपे के साथ राजनयिक संबंध बनाए हुए हैं, जिनमें ग्वाटेमाला, पैराग्वे और मार्शल द्वीप शामिल हैं.
वीकेंड में ताइवान के चुनाव में वोटर्स ने संप्रभुता समर्थक उम्मीदवार विलियम लाई को अपना अगला राष्ट्रपति चुना. इस चुनाव नतीजे से बीजिंग खासा नाराज हो गया. बीजिंग नेलाई को अतीत में ताइवान की स्वतंत्रता के समर्थन में की गई टिप्पणियों के लिए 'उपद्रवी' तक कह चुका है.
ताइवान की प्रतिक्रिया
ताइपे के उप विदेश मंत्री टीएन चुंग-क्वांग ने पुष्टि की कि देश ने प्रशांत द्वीप राष्ट्र के साथ संबंध तोड़ दिए हैं, उन्होंने कहा कि यह कदम "ताइवान की संप्रभुता और गरिमा को बनाए रखने के लिए' था.
मंत्रालय ने एक्स, पर एक पोस्ट में कहा, 'यह समय न केवल हमारे लोकतांत्रिक चुनावों के खिलाफ चीन का प्रतिशोध है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सीधी चुनौती भी है. '
सोमवार को एक मीडिया सम्मेलन में, टीएन ने चीन पर वित्तीय सहायता के साथ देश को 'खरीदने' के लिए नाउरू में हालिया 'राजनीतिक उतार-चढ़ाव' का फायदा उठाने का आरोप लगाया.
बीजिंग ने नाउरू के फैसले का स्वागत किया
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'चीन के साथ राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने का नाउरू सरकार का निर्णय एक बार फिर दर्शाता है कि एक-चीन सिद्धांत लोगों की इच्छा और समय की इच्छा है.'
यह पहली बार नहीं है जब नाउरू ने ताइवान के साथ संबंध तोड़े हैं. 2002 में, नाउरू ने चीन की तरफ इसी तरह का राजनयिक बदलाव किया - बाद में इसने मई 2005 में ताइवान के साथ संबंध बहाल किए.