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बुरे फंसे नेतन्याहू! 10 घंटे बहस के बाद कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला, हिल गई इजरायल की सत्‍ता

High Court of Israel: हाई कोर्ट ऑफ इजरायल ने 10 घंटे की लंबी सुनवाई के बाद ऐसा फैसला सुना दिया है जो प्रधानमंत्री नेतन्याहू के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है. कोर्ट ने सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उन्होंने आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के चीफ को हटाने का आदेश दिया था.

बुरे फंसे नेतन्याहू! 10 घंटे बहस के बाद कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला, हिल गई इजरायल की सत्‍ता
Tahir Kamran|Updated: Apr 09, 2025, 08:32 AM IST
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Benjamin Netanyahu: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस ने आंतरिक सुरक्षा एजेंसी के चीफ रोनेन बार को हटाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि रोनेन अपने पद पर तब तक बने रहेंगे जब तक कि कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना देती. कोर्ट का यह आदेश 10 घंटे की लंबी सुनवाई के बाद आया, जिसमें विपक्षी पार्टियों और अन्य पार्टियों ने सरकार के 21 मार्च के शिन बेट को हटाने वाले फैसले को चुनौती दी थी. नेतन्याहू सरकार ने विश्वास की कमी का हवाला देकर बार को हटाने का निर्णय लिया था. 

हाई कोर्ट का सख्त फैसला

हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस ने सरकार को आदेश दिया है कि जब तक अगला फैसला नहीं आता, तब तक वह रोनेन बार को हटाने के संबंध में कोई कदम न उठाए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस दौरान सरकार किसी नए चीफ का ऐलान भी नहीं कर सकती और न ही किसी कार्यवाहक प्रमुख की नियुक्ति करे. इसके अलावा बार की शक्तियों को कम भी नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने सरकार और अटॉर्नी जनरल गली बाहराव-मियारा को यह भी कहा है कि अगर वे कोई आपसी समझौता करते हैं तो उसे 20 अप्रैल तक अदालत में पेश करना होगा.

फैसले पर क्या बोला नेतन्याहू का दफ्तर?

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के दफ्तर ने कोर्ट के फैसले को हैरान कर देने वाला बताया है. सरकार ने अटॉर्नी जनरल पर आरोप लगाया है कि वह जांच का बहाना बनाकर किसी भी हालत में रोनेन बार को हटाने से रोक रही हैं. उनका कहना है कि जज कई बार यह कह चुके हैं कि शिन बेट प्रमुख को हटाने का अधिकार सरकार के पास है. नेतन्याहू अब भी नए उम्मीदवारों का इंटरव्यू ले रहे हैं.

क्यों हटाना चाहते हैं नेतन्याहू

नेतन्याहू और शिन बेट के बीच तनाव अक्टूबर 2023 में शुरू हुए क्षेत्रीय संघर्षों और 'कतर-गेट' जांच के बाद से बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को अटॉर्नी जनरल ने चेतावनी दी थी कि बार को हटाने का फैसला गलत है और उसमें नेतन्याहू के निजी हितों का टकराव है. यह 'कतर-गेट' नामक मामले से जुड़ा है, जिसमें नेतन्याहू के दो करीबी सहयोगियों और कतर के अधिकारियों के बीच खुफिया संपर्क की जांच चल रही है.

खुफिया पुलिस बनकर रह जाएगा 'शिन बेट'

उसी दिन रोनेन बार ने अदालत को बताया कि नेतन्याहू ने उनसे कई बार अनुरोध किया कि वह सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए नेतन्याहू की कोर्ट में पेशी को टालने की राय दें लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. बार ने कहा कि शिन बेट प्रमुख को प्रधानमंत्री का निजी भरोसेमंद व्यक्ति नहीं बल्कि आजाद पेशेवर होना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो शिन बेट एक खुफिया पुलिस बनकर रह जाएगी. 

क्या है 'कतर गेट' मामला?

'कतर गेट' मामला नेतन्याहू के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. क्योंकि इस घोटाले में उनके कार्यालय फंस रहा है. एक जानकारी के मुताबिक पुलिस ने इस सप्ताह उनके दो करीबी सहयोगियों को इजराइल में खाड़ी अरब राज्य की अच्छी छवि को बढ़ावा देने के लिए कतर से पैसे हासिल करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. इस मामले में नेतन्याहू और उनके अधिकारियों के लिए मुसीबत इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि कतर एक ऐसा देश जिसे कई लोग हमास का संरक्षक मानते हैं. साथ ही कतर का इजरायल के साथ कोई औपचारिक राजनयिक संबंध भी नहीं है. इस सब के बावजूद इजरायलियों का मानना है कि कतर ने नेतन्याहू के नाक के नीचे काम करने वाले उच्च अधिकारियों के बीच खुद को काफी मजबूत कर लिया है. 

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