Nikki Haley on Trump Tariff Policy: भारत पर टैरिफ बढ़ाए जाने की ट्रंप की जिद से दोनों देशों में अविश्वास का माहौल बढ़ता जा रहा है. ट्रंप की इस सनकपन का अब अमेरिका में ही विरोध शुरू हो गया है. भारतवंशी अमेरिकी राजनेता निक्की हैले ने टैरिफ पर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का कड़ा विरोध करते हुए उन पर करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि रूस से सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल खरीदने वाले 'चीन से प्यार और भारत को फटकार' की ट्रंप की नीति यूएस-भारत के संबंधों को खतरे में डाल रही है.
चीन पर मेहरबान क्यों हैं ट्रंप- निक्की हैले
निक्की हैले ने एक्स पर पोस्ट शेयर करके कहा, 'ट्रंप कह रहे हैं कि भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए. लेकिन चीन जोकि अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी है, वह मजे से रूस और ईरान का सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला मुल्क बन जाता है. इसके बावजूद उस पर कार्रवाई करने के बजाय ट्रंप चीन को टैरिफ पर 90 देने की मोहलत दे देते हैं. ट्रंप को चीन को यह छूट और भारत जैसे सहयोगी मुल्कों पर भारी टैरिफ लगाकर उससे अपने रिश्तों को खतरे में नहीं डालना चाहिए.'
India should not be buying oil from Russia. But China, an adversary and the number one buyer of Russian and Iranian oil, got a 90-day tariff pause. Don’t give China a pass and burn a relationship with a strong ally like India.
— Nikki Haley (@NikkiHaley) August 5, 2025
कौन हैं निक्की हैले, जिन्होंने ट्रंप को दी नसीहत?
निक्की हेली मूल रूप से अमृतसर की रहने वाली हैं. उनका असली नाम निम्रता रंधावा है. वे एक अमेरिकी राजनेता और राजनयिक हैं. उन्होंने 2011 से 2017 तक दक्षिण कैरोलिना की 116वीं गवर्नर के रूप में कार्य किया. इस पद पर पहुंचने वाली वह कैरोलिना की पहली महिला और भारतीय मूल की दूसरी गवर्नर बनीं. इसके बाद उन्होंने 2017 से 2018 तक संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की 29वीं राजदूत के रूप में सेवा की. रिपब्लिकन पार्टी की ओर से वे 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ प्राइमरी में उम्मीदवार थीं, लेकिन सुपर ट्यूजडे पर हार के बाद उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी.
अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट में भी जताई गई चिंता
अमेरिका स्थित कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस की मंगलवार को जारी हुई रिपोर्ट में भी ट्रंप की नीतियों पर चिंता जताई गई. रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि दोनों देशों को मजबूत करने के प्रयास पिछले 25 साल ले चल रहे हैं. लेकिन अब ट्रंप की मौजूदा नीतियों इन संबंधों को जमीन पर ला सकती हैं.
रिपोर्ट तैयार करने वाले इवान फेगेनबाम ने कहा कि ट्रंप के इन फैसलों को भारत बारीकी से अध्ययन कर रहा है. वह इन निर्णयों को भारतीय विदेश नीति में घोर हस्तक्षेप की कुटिल हस्तक्षेप मानेगा. वह इसे भारत की तेल आयात आवश्यकताओं को नजरअंदाज करने और यूक्रेन युद्ध रोकने में पश्चिम की विफलताओं के लिए उसे जिम्मेदार ठहराने की कोशिश भी समझेगा. जिससे दोनों देशों के संबंध खराब होंगे.
तकनीकी राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहे ट्रंप
रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि ट्रंप द्वारा इस्लामाबाद की प्रशंसा और पाकिस्तान की सेना-सरकार के साथ समझौते से अब नई दिल्ली में चिंता स्पष्ट रूप से उभर रही है. ये चिंताएं इसलिए भी बढ़ गई हैं, क्योंकि ट्रंप के ये फैसले 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के कुछ ही हफ्तों के भीतर आए हैं, जिसमें 26 भारतीय नागरिक मारे गए थे और भारत-पाकिस्तान के बीच शत्रुता फिर से भड़क उठी थी."
अमेरिकी संस्था कार्नेगी की रिपोर्ट में बताया कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन एक नए अमेरिकी तकनीकी राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिसमें विदेशियों के साथ तकनीक साझा करने को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के आसपास के कुछ लोग अमेरिकी तकनीक को अपने ही देश में रखना चाहते हैं, जबकि निर्यात और विदेशी साझेदारों के साथ सह-नवाचार को कम करना चाहते हैं.
ट्रंप के सामने नहीं झुकेगा भारत!
इसमें आगे कहा गया है कि 20 वर्षों में पहली बार ट्रंप के कार्यों, बयानों और दबावपूर्ण लहजे ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को खतरे में डाल दिया है. इस मामले में पूरा भारत एकजुट नजर आ रहा है. भारत में विपक्ष, मीडिया और आम लोग अपनी सरकार से ट्रंप की धमकियों के सामने न झुकने की मांग कर रहे हैं.