Niloufar hamedi-Elaheh Mohamadi News: इतिहास गवाह है कि दुनिया भर की सरकारें उन आवाजों को दबाने का काम करती रही हैं जो उनके खिलाफ उठे. अगर आवाज इस्लामी सरकारों के खिलाफ हो तो अंजाम आप समझ सकते हैं. हालांकि इन सबके बीच ऐसे भी चेहरे हैं जिन्होंने अंजाम की परवाह किए बगैर सरकारों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ ना आवाज उठायी. बल्कि कामयाबी भी मिली. यहां हम बात करेंगे ईरान में सजा काट रही दो महिला पत्रकारों निलोफर हमीदी और इलाहे मोहम्मदी की. इन दोनों पत्रकारों को 2022 महसा अमीन केस में जमानत मिल चुकी है. हालांकि एक और मुकदमा भी दर्ज हो चुका है.
कौन हें ये शेरदिल महिलाएं
निलोफर हमीदी और इलाहे मोहम्मदी का महसा अमीनी से क्या नाता था. इन दोनों को जेल क्यों जाना पड़ा पहले इसे समझिए. ईरान की सरकार ने महिलाओं के लिए ड्रेस रूल बनाया है, उस रूल के मुताबिक कोई भी महिला सार्वजनिक जगहों पर अगर जाती है तो उसे हेडस्कॉर्फ पहनना होगा. ईरान सरकार ने जब नियम बनाया तो उसका विरोध भी शुरू हो गया. 2022 का वो साल था. आजाद ख्यालों वाली महसा अमीनी ने सरकारी व्यवस्था रास नहीं आई. उस पर आरोप लगा कि उसने शरियत की व्यवस्था को चुनौती दी है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. नतीजा हुआ ये ईरान की पुलिस एजेंसी ने उसे हिरासत में लिया और उसी दौरान महिसा अमीनी की मौत हो गई. महिसा की मौत का असर यह हुआ कि ईरान जल उठा. उसी वक्त ये दोनों पत्रकार यानी निलोफर हमीदी और इलाहे मोहम्मदी पूरे घटनाक्रम को पत्रकार की हैसियत से कवर कर रही थीं. ईरानी एजेंसियों को उनका कवरेज पसंद नहीं आया. उन दोनों पर मुकदमा दर्ज किया गया. अदालत में मुकदमा चला और उन्हें दोषी मानकर सजा दी गई. हालांकि एक साल तक सजा काटने के बाद उन्हें एविन जेल से रिहा किया गया. अब सवाल यह है कि आखिर उनके खिलाफ मुकदमा फिर क्यों दर्ज किया गया.
'शर्ग' के लिए काम करती थीं निलोफर
निलोफर हमीदी, शर्ग न्यूज पेपर के लिए काम करती थीं. इन्होंने ही सबसे पहले महसा अमीनी के मौत के बारे में जानकारी दी थी. 2022 में एक तस्वीर बेहद चर्चा में आई थी जिसमें अमीनी के पिता और उनकी दादी एक फ्रेम में थीं. फोटो के कैप्शन में लिखा था कि काले लिबास में शोक की ये तस्वीर ही हमारा राष्ट्रीय ध्वज बन चुका है.
'हम मिहान' से जुड़ी थीं इलाहे
इलाहे मोहम्मदी, हम मिहान के लिए काम करती थीं. इन्होंने अमीनी की अंतिम संस्कार के बारे में जिक्र किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे सैकड़ों की संख्या में अंतिम संस्कार में शामिल लोग औरत, जिंदगी और आजादी के नारे लगा रहे थे.
एविन जेल से हुई थी रिहाई
दरअसल एविन जेल से रिहाई के बाद निलोफर हमीदी और इलाहे हमीदी ने बिना हेडस्कॉर्फ यानी हिजाब के पब्लिक बीच आईं. मिजन वेबसाइट के मुताबिक इन दोनों का बिना हिजाब सार्वजनिक जगह पर आने से इस्लामी कानून का उल्लंघन हुआ है लिहाजा उनके खिलाफ एक बार फिर केस दर्ज किया गया है. अक्टूबर 2022 में सजा सुनाते वक्त अदालत ने कहा कि इस बात के पुख्ता साक्ष्य हैं कि निलोफर और इलाहे ईरान के कट्टर दुश्मन अमेरिका के हाथों खेल रही थीं. यानी कि उनके संबंध रहे हैं. अमेरिका वो मुल्क है जो ईरान के स्थायित्व और अस्तित्व दोनों के लिए खतरा बना हुआ है. इस तरह की टिप्पणी के साथ अदालत ने निलोफर हमीदी को 13 और इलाहे मोहम्मदी को 12 साल की सजा सुनाई थी.