Pakistan and Turkey: पाकिस्तान और तुर्किये की दोस्ती अब किसी से छुपी नहीं है. दोनों मुल्कों के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. हाल ही में दोनों मुल्कों ने एक नया सामरिक समझौता किया है, जिसका मकसद रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाना, खुफिया जानकारी साझा करना और सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करना बताया जा रहा है. खबरों के मुताबिक, यह समझौता खासतौर पर भारत के खिलाफ रणनीतिक कदमों के तहत किया गया है. दावा किया जा रहा है कि तुर्किये की और पाकिस्तान मिलकर भारत के खिलाफ "जिहाद" छेड़ने की योजना बना रहे हैं.
न्यूज़18 के हवाले से एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान, तुर्किये की कंपनियों से लगभग 900 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 7,500 करोड़ रुपये के नए जासूसी ड्रोन ख़रीदने वाला है. साथ ही, 700 से ज्यादा लुटरिंग म्यूनिशन यानी ख़ुद से ढूंढकर हमला करने वाले ड्रोन‑बम भी हासिल करेगा. दोनों देशों की सेनाएं आपस में खुफिया जानकारी भी साझा करेंगी. संयुक्त अभ्यास और सुरक्षा‑सम्बन्धी परियोजनाएं बढ़ाई जाएंगी. साथ ही, तुर्किये और पाकिस्तान ने आपसी व्यापार बढ़ाकर 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट रखा है.
तुर्किये के विदेश मंत्री हकान फ़िदान और रक्षा मंत्री यासर गुलर ने पिछले हफ़्ते इस्लामाबाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़, सेना प्रमुख असीम मुनीर, ISI प्रमुख और अन्य राष्ट्रीय सिक्योरिटी ऑफिसर्स के साथ टॉप लेवल मीटिंग कीं. न्यूज़18 के मुताबिक, बातचीत में पाकिस्तान द्वारा करीब 90 करोड़ डॉलर में तुर्की निर्मित ड्रोन - बायरकटर टीबी2, अकिंची यूएवी और लोइटरिंग हथियार खरीदने, भारत को लक्षित करते हुए ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने और सुरक्षा सहयोग करने, और 2025 के आखिर तक बाइलेट्रल ट्रेड को 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने पर ज़ोर दिया गया. आक्रामक बयानबाजी के बावजूद पाकिस्तानी अफसरों का दावा है कि ये सौदे गोपनीय हैं, जबकि शरीफ ने सार्वजनिक रूप से नागरिक क्षेत्रों में तुर्किये के निवेश को आकर्षित करने का टारगेट रखा था.
यह रिश्ता नई दिल्ली के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है. मई में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान ने सैकड़ों तुर्किये निर्मित ड्रोन बायरकटर टीबी2, वाईआईएचए-III और सोंगर मॉडल तैनात किए थे. हालांकि, भारत की एयर डिफेंस सिस्टम ने हर ड्रोन को मार गिराया, जिससे तुर्किये ड्रोन की Reliability को गहरा धक्का लगा.
इस झटके के बावजूद, पाकिस्तान तुर्किये से ड्रोन खरीदना जारी रखे हुए हैं. हालिया खुफिया जानकारी से 50 YIHA ड्रोन, 80 कारगी लोइटरिंग हथियार और बायरकटार अकिंची ड्रोन और अंका के पुर्जों की संभावित खरीद के सौदों की पुष्टि हुई है. तुर्किये द्वारा पाकिस्तान को ड्रोन एक्सपोर्ट में भारी इजाफा हुआ है, जिससे वह चीन के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा आर्म्स सप्लायर बन गया है.
पाकिस्तान और तुर्किये आपसी नागरिक, सैन्य और सुरक्षा रिश्तों को और मजबूत कर रहे हैं. वे ड्रोन सौदों, खुफिया जानकारी साझा करने और इकोनॉमिक कोऑपरेशन पर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ़ ने दोनों देशों के बीच 5 अरब डॉलर के व्यापार का टारगेट रखा है, ताकि रिश्ता सिर्फ रक्षा तक महदूद न रहे, बल्कि और भी क्षेत्रों में बढ़े. अफसरों ने तुर्किये की की कंपनियों को पाकिस्तान में इन्वेस्ट करने और वहां के आर्थिक सुधारों में मदद करने का न्योता दिया है.
तुर्किये और पाकिस्तान के बीच यह बढ़ता गठबंधन भारत के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहा है. तुर्किये के ड्रोन सरहद पर पाकिस्तान की निगरानी को मज़बूत कर रहे हैं, जबकि उन्नत लोइटरिंग हथियार उसकी मारक क्षमता में सुधार कर रहे हैं. रणनीतिक रूप से भारत अब दोहरे खतरे का सामना कर रहा है. एक बेहतर हथियारों से लैस पाकिस्तान और दूसरा तुर्किये, जिसकी विदेश नीति तेज़ी से इस्लामाबाद की तरफ झुक रही है.