Field Marshal Asim Munir: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ ने मंगलवार को बड़ा फैसला करते हुए आसिम मुनीर को बड़ी उपलब्धि से नवाज दिया है. शहबाज शरीफ कैबिनेट ने आर्मी चीफ आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया है. आसिम मुनीर पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल होंगे, इससे पहले जनरल अय्यूब खान फील्ड मार्शल के पद तक पहुंचे थे.
हैरानी की बात तो यह है कि शहबाज और उनके मंत्रियों ने आसिम मुनीर को पद भारत के खिलाफ लॉन्च किए गए 'ऑपरेशन बुनियाल-अल-मरसूस' के दौरान बेहतरीन रणनीति बनाने के बदले में दिया गया है. जबकि भारत ने पहलगाम हमले के बदले में पाकिस्तान में चुन-चुनकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया है. हालांकि पाकिस्तान की तरफ से भी भारत पर कई ड्रोंस अटैक किए लेकिन भारत ने सभी को नाकाम बना दिया. इसके बाद भारत ने उसके कई एयबेस को नष्ट किया. अब अगर देश में इतनी तबाही मचाने के बदले में फील्ड मार्शल का पद दिया जा रहा है तो ये मजाक की है.
मुनीर को फील्ड मार्शल बनाने के अलावा इसी मीटिंग में सरकार ने एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू का कार्यकाल भी बढ़ा दिया है, जिसमें हाल ही में हुए संघर्ष के दौरान उनकी सेवाओं और नेतृत्व को मान्यता दी गई है.
फील्ड मार्शल का पद सेना का सबसे ऊंचा होता है, इस पद पर रहने वाले को पांच सितारों का दर्जा मिलता है. ये बहुत खास और सम्मानजनक पद होता है, जो बहुत ही गैर मामूली सेवाओं के लिए दिया जाता है. ये रैंक सम्मान के लिए होती है न कि नियमित सैन्य सेवा के लिए. ये स्थायी होता है और रिटायरमेंट के बाद भी बना रहता है.
इससे पहले यह पद सिर्फ अय्यूब खान को मिला था. खान को 1959 में फील्ड मार्शल बनाया गया था. हालांकि अय्यूब खान 1958 से 1969 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी रहे हैं. अयूब खान को ये रैंक उनकी सैन्य और राजनीतिक सेवाओं, खासकर 1958 में मार्शल लॉ लागू करने और देश का नेतृत्व करने के लिए मिला. अयूब खान के बाद किसी को भी ये रैंक नहीं दिया गया था.