Balochistan Freedom News: इधर भारत पाकिस्तान तनाव हुआ और उधर बलूचिस्तान आंदोलन फिर से जोर पकड़ लिया. इधर भी पाकिस्तान ने मुंह की खाई उधर बलोच नेताओं ने पाकिस्तान को अल्टीमेटम दे दिया. और इसीलिए पाकिस्तान से अलग एक नए देश की मांग फिर से सुर्खियों में है. बलूच नेता मीर यार बलूच ने बुधवार को बलूचिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया. उन्होंने दावा किया कि बलूच लोग दशकों से हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघन और अपहरण का सामना कर रहे हैं और अब उन्होंने अपना फैसला सुना दिया है कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है. मीर यार ने भारत और वर्ल्ड समुदाय से बलूचिस्तान की आजादी को मान्यता देने और समर्थन की अपील की है. लेकिन इसका प्रॉसेस किया है समझ लीजिए.
साल में बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नाराजगी है. वहां की जनता पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र देश बनना चाहती है. इसकी बड़ी वजह दशकों से जारी हिंसा सेना की कार्रवाई और स्थानीय लोगों के शोषण को बताया जा रहा है. मीर यार बलोच का कहना है कि बलूच लोग सड़कों पर उतर चुके हैं और यह आंदोलन अब रुकने वाला नहीं है. उन्होंने भारत से नई दिल्ली में बलूच दूतावास खोलने की अनुमति और संयुक्त राष्ट्र से आर्थिक मदद पासपोर्ट, करेंसी आदि के लिए फंड की मांग भी की है.
लेकिन सिर्फ घोषणा कर देने से कोई क्षेत्र देश नहीं बन जाता. संयुक्त राष्ट्र के नियमों के मुताबिक किसी भी नए देश को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने के लिए एक तय प्रक्रिया से गुजरना होता है. सबसे पहले उस क्षेत्र को संयुक्त राष्ट्र महासचिव को आवेदन देना होता है. इसके बाद प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में जाता है. जहां 15 में से कम से कम 9 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है. किसी भी स्थायी सदस्य जैसे अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन या फ्रांस का विरोध इस प्रस्ताव को खारिज कर सकता है. उनके पास वीटो है. फिर अगर सुरक्षा परिषद की मंजूरी मिल जाती है तो महासभा में दो-तिहाई बहुमत से उसे पास होना होता है.
पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत..
एक रिपोर्ट के मुताबिक कोसोवो और सोमालीलैंड जैसे उदाहरण बताते हैं कि आजादी की घोषणा कर देना काफी नहीं होता. कोसोवो को अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने मान्यता दी है लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अब तक उसे देश नहीं माना है. वहीं सोमालीलैंड ने 1991 में खुद को सोमालिया से अलग घोषित किया लेकिन अभी तक किसी भी देश ने उसे मान्यता नहीं दी. बलूचिस्तान का मामला इन दोनों से भी जटिल है क्योंकि यह पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत हिस्सा है और पाकिस्तान इसे कभी भी अलग होने नहीं देगा.
फिलहाल मीर यार बलोच ने संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भेजने की भी मांग की है. लेकिन बिना वैश्विक समर्थन और संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के बलूचिस्तान को आजादी मिलना आसान नहीं होगा. अब देखना होगा कि मीर यार बलोच क्या करने वाले हैं.