भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब बलूच प्रतिनिधि मीर यार बलोच ने 14 मई 2025 को बलूचिस्तान की पाकिस्तान से आजादी का ऐलान कर दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है और दशकों से जारी सैन्य अत्याचार, जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकार हनन के खिलाफ यह फैसला बलूच जनता का राष्ट्रीय जनादेश है.
मीर यार बलोच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "तुम मरोगे हम निकलेंगे,हम नस्ल बचाने निकले हैं, आओ हमारा साथ दो. बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है और अब दुनिया मूकदर्शक नहीं रह सकती." उन्होंने खास तौर पर भारत के नागरिकों, मीडिया, यूट्यूबर्स और इंटेलेक्चुअल से अपील की कि वे बलूचों को 'पाकिस्तान के अपने लोग' कहना बंद करें. उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तानी नहीं हैं, हम बलूचिस्तानी हैं. पाकिस्तान के अपने लोग वे पंजाबी हैं जिन्होंने कभी बमबारी, जबरन गायब किए जाने या नरसंहार का सामना नहीं किया.
Baloch Narrative !!
Dear Indians patriot media, the youtube comrades, the intellectuals fighting to defend Bharat are suggested not to refer to Balochs as "Pakistan's Own People"
We are not Pakistani, we are Balochistani.
Pakistan's own people are the Punjabi who never faced…
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) May 14, 2025
भारत से मांगा समर्थन
मीर यार बलोच ने भारत के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि बलूचिस्तान पूरी तरह से भारत के इस फैसले के साथ है कि पाकिस्तान को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) खाली करना चाहिए. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे पाकिस्तान पर दबाव बनाएं ताकि वह पीओके से तुरंत हटे. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान ने ध्यान नहीं दिया, तो 1971 की तरह एक और आत्मसमर्पण हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि भारत पाकिस्तान की सेना को पराजित करने में सक्षम है और अगर खून-खराबा होता है तो उसकी जिम्मेदारी इस्लामाबाद के लालची जनरलों पर होगी जो पीओके के लोगों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय मान्यता की मांग
बलूच नेता ने भारत और ग्लोबल कम्युनिटी से बलूचिस्तान की आजादी को मान्यता देने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि बलूचिस्तान को बलपूर्वक और विदेशी शक्तियों की मिलीभगत से पाकिस्तान में मिलाया गया था. बलूचिस्तान लंबे समय से हिंसा, दमन और मीडिया ब्लैकआउट का शिकार रहा है. मानवाधिकार संगठनों ने जबरन गायबियों, फर्जी मुठभेड़ों और नागरिकों पर अत्याचार के लिए पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों को दोषी ठहराया है.