Pakistan Climate Change: पाकिस्तान के हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. कभी टमाटर तो कभी तेल के लिए तरसने वाले पाकिस्तान के ऊपर अब कुदरत का कहर बरस रहा है. कहर ऐसा की पाकिस्तान के पसीने छूट गए हैं. साल 2022 में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में भीषण तबाही मचाई थी, इस बाढ़ की चपेट में पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा आ गया था. इस बाढ़ के इतने दिन बाद ये पता चला है कि इससे जलवायु परिवर्तन हुआ और खाद्य सुरक्षा को बड़ा खतरा पहुंचा है. अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या फिर से पाकिस्तान ट्रैक पर लौट पाएगा कि नहीं. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार के साथ.
जलवायु परिवर्तन को लेकर वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला कि मौसम की प्रणालियां पूरी तरह से बदल गई है. एक अस्थिर जलवायु पैटर्न की वजह से खाद्य सुरक्षा को बहुत नुकसान पहुंचा है इसकी वजह से अर्थव्यवस्था भी काफी ज्यादा चरमरा गई है. बीते कई सालों से बदलते मौसम के मिजाज की वजह से पूरे पाकिस्तान को सूखी सर्दियां, तपती हुई गर्मियों और अनिश्चित मानसून का सामना करना पड़ रहा है. बाढ़ और सूखे की वजह से गेहूं, चावल, कपास, गन्ने की पैदावर में काफी ज्यादा गिरावट आई है. इन फसलों से न केवल पाकिस्तानियों का पेट भरता है बल्कि कपड़े का निर्यात भी इसी पर टिका है.
ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी में जल संसाधन इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर अली मिर्ची, जिन्होंने सिंधु नदी बेसिन के बदलते जल विज्ञान पर कई अध्ययन किए. जिसके बाद उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पाकिस्तान के अधिकांश हिस्से को घेरता है और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैला हुआ है, यहां पर लगातार अस्थिरता इस बात का संकेत दे रही है कि इसकी वजह से फसलों की कटाई और बुआई दोनों प्रभावित हो रही है.
इसके अलावा कहा कि अचानक आने वाली बाढ़ खड़ी फसलों को तबाह कर देती है. साथ ही साथ "कृषि समुदायों पर गंभीर प्रभाव" डालती है. सूखे और बर्फ पिघलने के बदलते पैटर्न के कारण सिंचाई और भी सीमित हो जाती है, जिससे कृषि पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. पाकिस्तान में बढ़ती बाढ़ के परिणाम अनियमित जलवायु का असर भोजन और पानी से कहीं आगे तक फैला हुआ है. इस्लामाबाद स्थित सतत विकास नीति संस्थान के कार्यकारी निदेशक आबिद कय्यूम सुलेहरी ने बताया कि यह अस्थिरता अर्थव्यवस्था को ही अस्थिर कर रही है.
इसने कई फसलों को नुकसान पहुंचाया है. MY News के मुताबिक साल 2023 में इस मौसम परिवर्तन ने ही पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को ऐसे समय पर कमजोर किया जब देश पहले से ही डिफॅाल्ट के कगार पर था. बीते सालों से कपास उत्पादन में गिरावट आई जिसकी वजह से कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ और लोग सूत का इंपोर्ट करने पर मजबूर हो गए. साल 2022 में आई बाढ़ ने 40 प्रतिशत कपास और 15 प्रतिशत चावल की खेती को नष्ट कर दिया.
कैसे निकल सकता है समाधान?
विशेषज्ञों ने ये भी तर्क दिया कि इससे निपटने के लिए कई बड़े बदलाव करने पड़ेंगे. जैसे लचीली खेती की तरफ फोकस करना होगा. ऐसी फसलें और तकनीकें अपनानी होंगी जो कम पानी और बदलते मौसम में अच्छी पैदावर कर सकें. इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज का उपयोग करना होगा. इससे फसलों की बर्बादी रूकेगी. इसके अलावा किसानों का सपोर्ट करने के लिए फसल बीमा और सब्सिडी पर ध्यान देना होगा. खाने की किस्म में भी बदलाव करना होगा. सार्वजनिक-निजी भागीदारी को भी बढ़ाने पर फोकस करना होगा. हालांकि ये बदलाव इतना भी आसान नहीं है.
F&Q
सवाल- साल 2022 में आई बाढ़ की वजह से फसलों पर क्या असर पड़ा?
जवाब- साल 2022 में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में 40 प्रतिशत कपास और 15 प्रतिशत चावल की खेती को नष्ट कर दिया.
सवाल- पाकिस्तान के सामने बदलाव की क्या चुनौतियां है?
जवाब- पाकिस्तान कोल्ड स्टोरेज फसल बीमा और सब्सिडी पर ध्यान देकर बदलाव ला सकता है. हालांकि ये काम इतना भी आसान नहीं है क्योंकि छोटे किसानों के लिए नई तकनीकें अपनाना महंगा और जोखिम भरा है.
सवाल- क्या आने वाले दिनों में भी पड़ेगा जलवायु परिवर्तन का असर?
जवाब- जलवायु परिवर्तन का असर आगे भी देखा जाएगा, ऐसे में अगर पाकिस्तान अभी ठोस कदम नहीं उठाएगा तो आने वाले दिनों में खाद्य संकट गहरा सकता है और अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है.