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मुनीर से पहले जो बना PAK का फील्‍ड मार्शल, उसने जिन्‍ना की बहन को धोखाधड़ी से हराया

Pakistan Army promotion: पाकिस्तान की सेना एक भी जंग नहीं जीती लेकिन वहां के जनरल तमगे और प्रमोशन पाते रहे हैं. चाहे वो मुनीर हों या अयूब खान हों उनके लिए यह सब नया नहीं है. इसी बीच अयूब खान से जुड़ा एक किस्सा जिन्ना की बहन से जुड़ा है.

मुनीर से पहले जो बना PAK का फील्‍ड मार्शल, उसने जिन्‍ना की बहन को धोखाधड़ी से हराया
Gaurav Pandey|Updated: May 21, 2025, 10:01 AM IST
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Aseem Munir Field Marshal: पाकिस्तान के आर्मी चीफ के किस्से इस समय खूब सुने जा रहे हैं. वो ऐसे देश के आर्मी चीफ हैं जिसे पाकिस्तान कहा जाता है. पाकिस्तान में जंग हारने पर भी इनाम मिलते हैं. हाल ही में सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर को देश के इतिहास में दूसरी बार फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया है. ये पद उन्हें भारत के जवाबी सैन्य हमले के बाद खुद को विजेता घोषित करने और ‘शानदार नेतृत्व’ का दावा करने पर दिया गया. इससे पहले यह सैन्य सम्मान पाकिस्तान के पहले सैन्य तानाशाह अयूब खान को मिला था. जिसका इतिहास विवादों और हारों से भरा रहा है. उनका एक और किस्सा आइए जान लेते हैं.

'जनता को जीत का चूरन चटा दिया'
असल में असीम मुनीर को यह इनाम पाकिस्तान की कैबिनेट ने प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के प्रस्ताव पर दिया है. भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के जवाब में पाक सेना ने ‘जवाबी हमला’ किया. मजे की बात यह रही कि इस हमले में भारत का बाल भी नहीं बांका हुआ लेकिन पाकिस्तान सरकार और सेना ने फतह बताकर जनता को जीत का चूरन चटा दिया. भारत की ओर से सबूतों के साथ पाकिस्तानी दावों की पोल खोल दी गई. लेकिन पाकिस्तान में मुनीर को यह प्रमोशन मिल गया.

अयूब खान का भी इतिहास विवादित
मुनीर से पहले फील्ड मार्शल बने अयूब खान का भी इतिहास खासा विवादित रहा. 1951 से 1958 तक पाकिस्तानी सेना प्रमुख रहे अयूब ने 1958 में राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा को हटाकर सत्ता हथिया ली और देश के पहले सैन्य शासक बन गए. 1965 की भारत-पाक युद्ध की योजना उसी की थी. जिसमें पाकिस्तान को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बाद देशभर में उनके खिलाफ आंदोलन हुए और 1969 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

फातिमा जिन्ना को धांधली कर हरा दिया
अयूब खान का शासन भी तानाशाही भ्रष्टाचार और धांधली से भरा रहा. 1965 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने कायदे आजम जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को धांधली कर हरा दिया था. उनके शासनकाल में जनता सड़कों पर उतर आई थी. आखिरकार हार्ट अटैक और पैरालिसिस ने अयूब को व्हीलचेयर तक पहुंचा दिया. यह तो तय है कि पाकिस्तान में सेना भले एक भी जंग न जीती हो लेकिन वहां के जनरल तमगे और प्रमोशन पाते रहे हैं. फिर चाहे वो मुनीर हों या अयूब खान हों उनके लिए यह सब नया नहीं है.

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