Foreign Secretary Vikram Misri In Beijing: भारत और चीन दो ऐसे देश जिनके बीच सीमा पर अक्सर विवाद रहता है. सन् 1962 में दोनों देशों के बीच एक युद्ध भी सीमा विवाद की वजह से लड़ा जा चुका है. चीन की पहचान ऐसे देश के तौर पर होती है, जो एक हाथ से आपसे हाथ मिलाएगा लेकिन उसी पल आप पर वार करने के लिए दूसरे हाथ में चाकू रखेगा. भारत से बेहतर शायद ही कोई इस बात को जानता हो. चीन भारत को अपने बराबर मानने के लिए कभी तैयार ही नहीं है. लेकिन डोकलाम विवाद को जिस तरह भारत और चीन ने निपटाया है, और अब जो चीन ने बयान दिया है, उससे महसूस हो रहा है कि एशिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच रिश्ते बदल रहे हैं.
भारत के विदेश सचिव ने चीन के विदेश मंत्री से की मुलाकात
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सोमवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की. मिसरी भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत करने के सिलसिले में दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं. वांग विदेश मंत्री होने के साथ-साथ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के शक्तिशाली राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और भारत-चीन सीमा तंत्र के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल भारतीय पक्ष के विशेष प्रतिनिधि हैं.
किन-किन लोगों के बातचीत के बाद सुधरे हालात
मिसरी की यात्रा पिछले महीने विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत वांग और डोभाल के बीच वार्ता के बाद हुई है. मिसरी के साथ बैठक में वांग ने कहा कि पिछले वर्ष रूस के कजान में राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच बैठक के बाद से दोनों पक्षों ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को गंभीरतापूर्वक क्रियान्वित किया है, सभी स्तरों पर सक्रिय बातचीत की है तथा चीन-भारत संबंधों में सुधार की प्रक्रिया को गति दी है.
एक दूसरे से अलगाव के बजाय आपसी समझ दिखानी होगी: चीन
सोमवार की बैठक को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वांग ने कहा कि दोनों पक्षों को अवसर का लाभ उठाना चाहिए, एक-दूसरे से मुलाकात करनी चाहिए, अधिक ठोस उपाय तलाशने चाहिए, तथा एक-दूसरे पर संदेह, एक दूसरे से अलगाव के बजाय आपसी समझ, आपसी समर्थन को लेकर प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए. वांग ने कहा कि चीन-भारत संबंधों में सुधार व विकास दोनों देशों और उनके लोगों के मौलिक हितों में है, तथा ‘ग्लोबल साउथ’ देशों के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए अनुकूल है. वांग ने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध एशिया और दुनिया की दो प्राचीन सभ्यताओं की शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि में योगदान देने के लिए भी अनुकूल हैं. इनपुट भाषा से