How TTP started in Pakistan: दुनिया में गद्दारी धोखे का दूसरा नाम है पाकिस्तान लेकिन अब पाकिस्तान और उसकी फौज को अपनी ही गद्दारी की कीमत चुकानी पड़ रही है. पाकिस्तान में हुए एक आतंकी हमले में एक बार फिर एक दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी फौजियों की मौत हो गई. इस हमले की जिम्मेदारी ली TTP यानि तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने. आपको बता दें ये वही TTP है, जिसे पाकिस्तान ने पैदा किया. TTP में वो लोग शामिल हुए जिन्हें पाकिस्तान की सियासत और फौज ने धोखा दिया और अब यही धोखा खाए लड़ाके पाकिस्तान से अपना हिसाब चुकता कर रहे हैं.
ट्रंप से मिलकर मुनीर ने मुल्क को धोखा दिया!
आतंकवाद को पालने-पोसने वाले पाकिस्तान के लिए ये हथियार ही भस्मासुर बन गया है. दुनिया को आंख दिखाने वाली मुनीर की कायर फौज को बलूच विद्रोही और TTP के लड़ाके चुन चुन कर मार रहे हैं. बलूचिस्तान में बलूच विद्रोही संगठनों तो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में तालिबान ने पाकिस्तानी सेना की हालत खराब कर दी है. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शनिवार को अफगान तालिबान के आत्मघाती हमले में पाकिस्तान सेना के वाहनों के काफिले को निशाना बनाया गया.
आतंकियों ने 800 किलो बारूद से लदे वाहन को काफिले से भिड़ा दिया. धमाका इतनी तेज था कि आसपास के घरों में भी दरारें आ गईं. इसमें पाकिस्तान के 13 सैनिकों की मौत हो गई. जबकि एक दर्जन से ज्यादा जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. बीच सड़क पर बेमौत मरते पाक फौजियों की खबर आने पर खुद पाकिस्तानी शहबाज और मुनीर पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
अपने लोगों को मौत के मुंह में झोंक रहे मुनीर
शहबाज और मुनीर सिर्फ अपने हमदर्द मुल्कों से ही गद्दारी नहीं कर रहे बल्कि अपने लोगों को भी मौत के मुंह में झोंक दिया है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं ये आपको आगे बताएंगे. लेकिन उससे पहले एक पाकिस्तानी की जुबानी सुनिये कि क्यों TTP जैसे संगठन से निपटना मुल्ला मुनीर और उसके लड़कों के बूते की बात नहीं है.
TTP से नहीं लड़ सकती मुनीर की फौज!
पाकिस्तानी डिफेंस एक्सपर्टों के मुताबिक, टीटीपी के लड़ाकों के साथ लड़ना आसान नहीं है. ये अपनी मर्जी से अपनी ख्वाहिश के मुताबिक अपने इनिशिएटिव से एक जगह नमूदार होते हैं, अटैक करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं. इनकी बकायदा कोई यूनिफॉर्म भी नहीं होती. इनका जो हुलिया है इनकी जो जुबान है. वो आम लोगों जैसी है. फिर वो इस इलाके से बहुत अच्छी वाकिफियत रखते हैं.
पाकिस्तान के खिलाफ टीटीपी का अटैक कोई नई बात नहीं है. गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले पाकिस्तान ने ही टीटीपी को पैदा किया. आज पाकिस्तान को वही टीटीपी जख्म दे रहा है. ऐसा क्यों है उसे भी समझिए.
साल 2002 में अमेरिकी सेना ने 9/11 आतंकी हमले का बदला लेने अफगानिस्तान में धावा बोलती है. अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई के डर से कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाके में छिप जाते हैं. इसी दौरान पाकिस्तान की सेना इस्लामाबाद की लाल मस्जिद को एक कट्टरपंथी प्रचारक और आतंकियों के कब्जे से मुक्त कराती है.
कैसे हुई TTP की शुरुआत?
हालांकि कट्टरपंथी प्रचारक को कभी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का करीबी माना जाता था. लेकिन इस घटना के बाद स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की खिलाफत होने लगी. इससे कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे.
ऐसे में दिसंबर 2007 को बेयतुल्लाह मेहसूद की अगुवाई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया. लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया. शॉर्ट में इसे TTP या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है. आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन अस्तित्व में आए हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को सबसे खतरनाक माना जाता है. पाकिस्तानी TTP के इस कहर को अमेरिका की देन मानकर अमेरिका से पिंड छुड़ाने का ऐलान कर रहे हैं.
सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा ही नहीं, बलूचिस्तान में भी पाकिस्तान के खिलाफ जो नफरत की चिंगारी भड़की है. उसके जिम्मेदार भी पाकिस्तान के सियासतदान और फौजी जनरल रहे हैं. पाकिस्तान ने दशकों से बलूचिस्तान का इस्तेमाल अपने हुक्मरानों, फौजी जनरलों, चंद अमीरों और अपने आका चीन को खुश करने के लिए किया है. लेकिन कहते हैं हर जुल्म की इंतहा होती है. इसी इंतहा ने बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी को पैदा किया, जिसने पाकिस्तान की फौज को उसकी असली औकात दिखा दी.
बलूचिस्तान ने खुद को घोषित किया आजाद मुल्क
हालात ये हैं कि बलूचिस्तान ने खुद को आजाद मुल्क तक घोषित कर दिया और बलोचिस्तान की आजादी पाकिस्तान के जहरीले जनरल आसिम मुनीर के मुंह पर करारा तमाचा है. जिसने ऐलान किया था कि बलोचों की आजादी की आवाजें कुचल दी जाएंगी.
पाकिस्तानी आर्मी अपनों पर ही जुल्म ढाती है. कभी चीन तो कभी अमेरिका को खुश करने के लिए अपनों की खून बहाने तक से पीछे नहीं हटती. यही वजह है कि अब पाकिस्तान को हांकने वालों के कुकर्मों की सज़ा पाकिस्तान फौजियों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है.