Indus Water Treaty Suspension : भारत के खिलाफ आतंकवादी हमला करवाकर पाकिस्तान अभी तक भारत के अगले एक्शन को सही से भांप नहीं पाया है. शहबाज शरीफ से लेकर उनकी कैबिनेट के सारे मंत्री और नेता यहां तक की उनकी भतीजी और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ और पाकिस्तान सरकार की बैसाखी बना बड़बोला बिलावट भुट्टो सब जुबानी जमा खर्च करके केवल बातों-बातों में हवाई फायर कर रहे हैं. भारत ने कई दिन पहले पाकिस्तान को उसकी औकात बताते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द करने का ऐलान किया था. उसके बाद अब जाकर पाकिस्तान की सरकार का अधिकृत बयान आया है.
क्या करेगा पाकिस्तान?
शहबाज शरीफ की सरकार ने सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने के लिए भारत को एक औपचारिक राजनयिक नोटिस जारी करने का फैसला किया है. नई दिल्ली ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित कर दिया था. भारत के इस कदम के बाद से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय, विधि मंत्रालय और जल संसाधन के संबंधित विभाग लगातार विचार-विमर्श में लगे हुए हैं.
TRF की करतूत ISI भी भुगतेगी
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद नई दिल्ली ने संधि को स्थगित करने का ऐलान किया था. हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. प्रतिबंधित आतंकवादी समूह 'लश्कर-ए-तैयबा' से जुड़े 'टीआरएफ' ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. भारत की सेना अब टीआरएफ के समूल नाश के लिए आगे बढ़ चुकी है. वहीं जल संधि की बात करें तो सूत्रों ने बताया कि औपचारिक नोटिस देने के लिए शुरुआती कार्य पूरा हो चुका है और इसे आने वाले दिनों में राजनयिक माध्यमों से भेज दिया जाएगा.
वर्ल्ड बैंक से मिलेगी पाकिस्तान को राहत?
सिंधु आयोग के सूत्रों ने बताया, 'नोटिस में भारत से 1960 की ऐतिहासिक संधि को निलंबित करने के लिए ठोस स्पष्टीकरण मांगा जाएगा, जो दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को नियंत्रित करती है.'
पाकिस्तान क्या कर सकता है...
इसके अलावा, पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक (डब्ल्यूबी) सहित वैश्विक मंचों पर औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की दिशा में भी काम कर रहा है. वर्ल्ड बैंक इस समझौते का गारंटर है. पाकिस्तान राजनयिक पहुंच के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और अन्य वैश्विक मंचों पर भी शिकायतें दर्ज करने पर विचार कर रहा है.
क्या है ट्रीटी?
सिंधु समझौता सिंधु नदी बेसिन में बहने वाली नदियों के पानी से जुड़ा है. पानी का उपयोग सिंधु जल संधि के तहत होता है, जिसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी और सितंबर 1960 में इस पर भारत-पाकिस्तान ने हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते के तहत सिंधु और उसकी सहायक नदियों को दोनों देशों के बीच विभाजित कर दिया गया.
भारत को तीन पूर्वी नदियों - सतलुज, ब्यास और रावी - के पानी का उपयोग करने की अनुमति दी गई, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब - का अधिकांश हिस्सा दिया गया. (इनपुट: IANS)