Pakistan News: आपने कई बार एक लाश के लिए दो परिवारों को लड़ते हुए देखा या फिर किसी से सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सुना है को एक लाश के लिए दो शहर आपस में लड़ रहे हों, वो भी लावारिस लाश के लिए? शायद नहीं. आज हम आपको एक ऐसी खबर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें एक लावारिस लाश के लिए दो शहर आमने-सामने आ गए और अस्पताल के हालात को काबू करना मुश्किल हो गया. यहां तक कि मामला अदालत तक पहुंच गया.
मामला पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) का है. पीओके के मुजफ्फराबाद में 'लियाकत साईं' नाम के शख्स को लगभग हर कोई जानता है. क्योंकि कई बार उनके कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं. इन वीडियोज में लियाकत साईं को 'देगचा' (बर्तन) जमीन घसीटते हुए देखा जा सकता है. लियाकत की दिमागी स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए वो अक्सर घर से बाहर कहीं-कहीं घूमते रहते थे.
लियाकत को अक्सर मुजफ्फराबाद शहर की सड़कों पर अर्धनग्न और गंदी हालत में घूमते देखा जाता था. इस सबके बावजूद लोग उनका बहुत सम्मान करते थे. शायद इसीलिए उनके नाम के आगे 'साईं' लगा दिया गया था. लियाकत लगभग 40 वर्षों से सड़कों पर अपनी ज्यादातर समय गुजारते थे. जब भी कोई देखता था तो उनके हाथ में एक देगचा होता था, जिसे वो घसीटते रहते थे. इसको लेकर कहा जाता है कि उन्हें घिसटते हुए देगचे की आवाज बहुत पसंद थी. इसीलिए वो कई बार लोगों से नया देगचा खरीदने के लिए भी कहते थे.
हालांकि बकरीद से एक दिन पहले से लियाकत ने किसी को नहीं देखा था. वैसे यह पहली बार नहीं था जब लियाकत गायब हुए हैं. इससे पहले भी वो कई-कई दिन तक गायब रहते थे और फिर वहीं आ जाया करते थे. लेकिन इस बार ज्यादा दिन होने पर कुछ लोगों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई. एक शख्स को जो उनका भाई होने का दावा करता है, ने यह शिकायत दर्ज कराई थी.
इसके बाद 11 जून को लियाकत की लाश इस्लामबाद में मिली, जिसे वहां के अस्पताल में शिफ्ट करवा दिया गया था. हालांकि हालात तब बिगड़ गए जब इस्लामाबाद और मुजफ्फराबाद के लोग लियाकत की लाश को लेकर अड़ गए, दोनों ही इस लाश पर अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे थे. एक तरफ मुजफ्फराबाद में उनके कथित रिश्तेदार तो दूसरी तरफ पंजाब के मुर्री के कुछ निवासी भी लियाकत का रिश्तेदार होने का दावा कर रहे थे. नौबत यहां तक कि आ गई लाश को लेकर छीना-झपटी होने लगी थी. जिसके बाद अस्पताल ने पीछे की दरवाजे से लाश को फिर से लॉकर में रखवाया.
विवाद बढ़ने के बाद अस्पताल ने दोनों ही पक्ष को लाश देने से इनकार कर दिया. आखिर में मामला स्थानीय अदालत तक पहुंचा और यहां जज साहब ने DNA कराने का निर्देश दिया. हालांकि DNA कराने से पहले ही मामले को समझौते के तौर सुलझा लिया गया. BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पक्ष इसलिए समझौता करने को राजी हो गए क्योंकि DNA रिपोर्ट आने में कई दिन लगते और लाश को इतने दिन तक रखना मुनासिब नहीं लग रहा था. आखिर में शव को मुजफ्फराबाद ले जाने दिया गया और लियाकत को वहीं पर दफनाया गया.