Indus Delta: पाकिस्तान का सिंधु डेल्टा उजड़ गया है. इसी के साथ वहां उजड़ गई है एक बसी बसाई सभ्यता. बीस साल में यहां के हालात ऐसे बिगड़े की पलायन के चलते एक संस्कृति के मिटने की बातें कहीं जा रही हैं. यूं तो इस इलाके में बसे लोगों के दुख-दर्द की कहानियां अक्सर मीडिया की सुर्खियां बनती हैं. लेकिन इस बार की कहानी आपको इमोशनल कर देगी. ये वो इलाका है जहां देश की जीवन रेखा सिंधु नदी, दक्षिण में अरब सागर से मिलती है, लेकिन अब यहां के स्थानीय लोगों, किसानों और मछुआरों के पतन और पलायन का कारण बन गई है.
रियल केस स्टडी
ये दर्दनाक कहनी है खारो चान की, जिसके हालात इतने खराब हैं कि लोग पुरखों की जमीन छोड़कर जान बचाकर भाग रहे हैं. अपनों की कब्र तक की हिफाजत नहीं कर पा रहे. स्थानीय निवासी हबीबुल्लाह ने बताया कि अपना गांव छोड़ना अब मजबूरी हो गया है कि क्योंकि यहां पीने का पानी खत्म हो चुका है. नमक की परतें चटक रही हैं. चारों ओर खारा पानी है. गिने चुने चार घर बचे हैं. खारो चान में कभी 40 गांव हुआ करते थे, लेकिन ज़्यादातर बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण गायब हो गए.
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विस्थापान और पलायन का दर्द
जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, कस्बे की आबादी 1981 में 26,000 से घटकर 2023 में 11,000 रह गई है. खट्टी का कहना है कि वो अपनी मां की कब्र पर उन्हें आखिरी विदाई देने जा रहे हैं क्योंकि वो अपने परिवार को पास के कराची ले जाने की तैयारी कर रहे हैं, जो पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है और वहीं पर सिंधु डेल्टा से आने वाले दुखियारों की भरमार है.
12 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित
पाकिस्तान में मछुआरों के हितों का ध्यान रखने वाली संस्था फिशरफोक फोरम के मुताबिक डेल्टा के तटीय जिलों से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. थिंक टैंक जिन्ना इंस्टीट्यूट द्वारा इसी साल मार्च में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 20 सालों में पूपरे सिंधु डेल्टा क्षेत्र से 12 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
डेल्टा डूब रहा है और सिकुड़ रहा है...
यूएस-पाकिस्तान सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन वॉटर की साल 2018 में हुई स्टडी की रिपोर्ट से पता चला था कि यहां सिंचाई नहरों, जलविद्युत बांधों और हिमनदों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते 1950 के दशक से डेल्टा में पानी का बहाव 80% कम हो गया है. इससे इलाके में समुद्री जल का विनाशकारी घुसपैठ हुई है. 1990 के बाद से पानी में नमक की मात्रा करीब 75 फीसदी बढ़ गई है, जिससे फसलें उगाना असंभव हो गया है और झींगा और केकड़े की आबादी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. यानी डेल्टा डूब रहा है और सिकुड़ रहा है.
दूसरा चारा नहीं
तिब्बत से शुरू होकर, सिंधु नदी पूरे पाकिस्तान में बहने से पहले कश्मीर से होकर बहती है. यह नदी और इसकी सहायक नदियां पाकिस्तान की 80 फीसदी कृषि भूमि की सिंचाई करती हैं. नदियां ही लाखों लोगों की आजीविका का साधन हैं. नदी द्वारा समुद्र में मिलने पर जमा की गई समृद्ध तलछट से बना यह डेल्टा कभी खेती, मछली पकड़ने, मैंग्रोव और वन्यजीवों के लिए आदर्श था. आज वीरान हो गया है. समुद्री जल के अतिक्रमण के कारण बीस फीसदी उपजाऊ जमीन बंजर हो गई है. नावों के जरिए मीलों दूर से पीने का पानी यहां आता है और ग्रामीण इसे गधों के माध्यम से घर ले जाते हैं.
जमीन ही नहीं संस्कृति भी खत्म गई...
पीड़ितों का कहना है कि अपनी मर्जी से भला कौन अपना वतन छोड़ता है. कोई व्यक्ति अपनी मातृभूमि तभी छोड़ता है जब उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं होता. हमारी जमीन ही नहीं हमारी संस्कृति भी हमसे छूट गई है. (इनपुट: AFP)
FAQ
सवाल- पाकिस्तान के सिंधु डेल्टा का डूबना कितनी बड़ी त्रासदी है?
जवाब- 12 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी जमीन छोड़कर कराची और अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है.
सवाल- लोगों के सामने क्या संकट है?
जवाब- 1950 के दशक से अब तक की बात करें को आज सिंधु डेल्टा में पानी का बहाव 80% कम हो गया है. नदी में समुद्र का पानी मिलने से पीने का पानी खत्म हो गया है.