Hafiz Mohammad Saeed Shimla Connection: भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान से आतंकी और लश्कर ए तैयबा के सरगना हाफिज मोहम्मद सईद को भारत को सौंपने की मांग की है. हाफिज सईद मुंबई में हुए भयानक 26/11 के आतंकी हमलों का आरोपी है. सूत्रों के मुताबिक भारत ने पाकिस्तान से अधिकृत रूप से पाकिस्तान से रिक्वेस्ट की है कि वह हाफिज सईद को उसके सुपुर्द कर दे, जिससे उसके खिलाफ कोर्ट में ट्रायल शुरू किया जा सके और मुंबई हमले के पीड़ितों को इंसाफ मिल सके. हालांकि पाकिस्तान के अब तक के रवैये को देखते हुए सईद के प्रत्यर्पण की उम्मीद बहुत कम है.
शिमला से गहरा नाता
बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत पर सबसे बड़ा आतंकी हमला करवाकर 166 लोगों की जान लेने वाले आतंकी हाफिज मोहम्मद सईद का भारत के शिमला से गहरा नाता है. ब्रिटेनिका वेबसाइट के मुताबिक सईद का परिवार शिमला में रहता था और पशुपालन कर अपना गुजारा करता था. वर्ष 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ तो हाफिज का परिवार भारत को छोड़कर पाकिस्तानी पंजाब के सरगोधा में शिफ्ट हो गया. वहीं पर 5 जून, 1950 को हाफिज सईद का जन्म हुआ.
वहाबी विचारधारा से जुड़ाव
चूंकि सईद का जन्म भारत से नफरत की बुनियाद पर बने कट्टरपंथी इस्लामिक देश में हुआ था और वहां जाने वाले लोग भी अधिकतर ऐसी ही मानसिकता के थे. इसलिए हाफिज मोहम्मद के मन में भी बचपन से ही भारत और हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी विचार भरने शुरू हो गए. उसने अरबी और इस्लामिक स्टडीज में पढ़ाई शुरू की. इस दौरान वह सऊदी अरब की सबसे कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा से जुड़कर और कट्टरवादी हो गया.
भारत को सबसे बड़ा जख्म
पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर उसने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना की, जो भारत के खिलाफ लगातार आतंकी हमले करता रहता है. उसने सबसे बड़ा आतंकी हमला 26 नवंबर 2008 को मुंबई में करवाया, जिसमें 166 लोग मारे गए. इस हमले को अंजाम देने के लिए लश्कर के आतंकी नावों पर सवार होकर समुद्र के जरिए मुंबई पहुंचे थे. हालांकि एक आतंकी कसाब के जिंदा पकड़े जाने पर पाकिस्तान की पूरी पोल खुल गई.
दिखावे के लिए जेल में बंद
भारत के लगातार कूटनीतिक दबाव की वजह से पाकिस्तान ने उसे दिखावे के तौर पर जेल में बंद कर रखा है लेकिन सब जानते हैं कि प्रत्यर्पण से बचाने के लिए उसे सेफ जोन में रखा गया है. सईद ने अपनी दहशतगर्दी को मानवीय मुखौटा पहनाने और मुस्लिम देशों से फंड इकट्ठा करने के लिए जमात-उद-दावा नाम के संगठन की स्थापना भी की. अब भारत की ओर से उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग किए जाने से सईद का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है.