India China Relations: आतंकवाद पर पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने के बाद भारत अब चीन से इस मुद्दे पर आंखों में आंखें डालकर बात करने वाला है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. माना जा रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के साथ एनएसए डोभाल इस दौरान आतंकवाद पर दोहरा रवैया रखने वाले देशों को घेरने का मौका नहीं चूकेंगे.
पिछले छह महीनों की बात करें तो एनएसए डोभाल का यह दूसरा बीजिंग दौरा होगा. यहां शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से पहले राष्ट्रीय सुक्षा सलाहकारों की बैठक हो रही है. एससीओ समिट सितंबर 2025 में प्रस्तावित है. डोभाल बीजिंग में चीन और रूस के एनएसए से मुलाकात करेंगे.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी अड्डों के खिलाफ जो ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, उसके बाद ये बैठक बेहद अहम मानी जा रही है. ईरान-इजरायल युद्ध के परिप्रेक्ष्य में भी ये यात्रा बेहद अहम होगी. डोभाल इस दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात कर सकते हैं. भारत और चीन के बीच रिश्तों में जमी बर्फ हालिया कुछ महीनों में पिघली है, लेकिन भारत सतर्क है. कैलास मानसरोवर की यात्रा दोबारा शुरू करना इसका संकेत है.दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर शुरू हो सकती हैं.
डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात की थी. रिश्तों में सामान्यता रही तो वांग यी जल्द ही नई दिल्ली आकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात कर सकते हैं. चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान परोक्ष तौर पर पाकिस्तान को समर्थन दिया था. चीन के जेएफ-10 लड़ाकू विमानों और पीएलए-15 मिसाइलों का भी पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया था, लेकिन वो फुस्स साबित हुईं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसए अजीत डोभाल आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीति पर जोरदार तरीके से बात रखेंगे. भारत ने सख्त लहजे में कहा है कि पहलगाम जैसे किसी भी आतंकी हमले की पड़ोसी मुल्क को कीमत चुकानी पड़ेगी. इसे आतंकी संगठन ( नॉन स्टेट एक्टर्स) का कारनामा बताकर पाकिस्तान पल्ला झाड़ नहीं सकता. भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं के साथ संलिप्तता की तस्वीरें भी दुनिया को दिखाई हैं. भारत चीन को पहले भी बता चुका है कि आतंकवाद पर दोहरी नीति रखना ठीक नहीं है.
पहलगाम हमले पर फोकस
भारत की कोशिश रहेगी कि पाकिस्तान प्रायोजित पहलगाम आतंकी हमले की बैठक में निंदा की जाए. पाकिस्तान का प्रयास है कि बलूचिस्तान के अशांत इलाके में हुए आतंकी हमले को इसमें शामिल किया जाए. हालांकि दोनों ही मामले अलग हैं. पहलगाम किसी दूसरे मुल्क द्वारा प्रायोजित आतंकी हमले से जुड़ा है. जबकि बलूचिस्तान में ट्रेन पर हमला वहां का आंतरिक मसला है.एससीओ की आतंकवाद रोधी यूनिट भी ऐसे मामलों की निगरानी करती है.