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बलूचिस्तान में बागियों के लिए तालिबानी ऑर्डर.. PAK ने पार कर दी हद, कुछ बड़ा होने वाला है?

Balochistan News: पाकिस्तानी सरकार के इस फैसले से करोड़ों बलूच लोगों का जनजीवन प्रभावित होने जा रहा है. बलूचिस्तान में खुद अपने ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों का गला घोंट रही है.

Photo Balochistan Post
Photo Balochistan Post
Gaurav Pandey|Updated: Aug 07, 2025, 08:42 AM IST
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Pakistan vs Balochistan: बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के दमन के खिलाफ आवाज उठ रही हैं. पाकिस्तानी हमेशा स्थानीय लोगों पर जुल्म करती आई है. वहां आजादी की मांग कर रहे बलूच बागियों की आवाज को दबाने के लिए अब इस्लामाबाद ने नया हथकंडा अपनाया है. पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी PTA के एक आदेश पर हड़कंप मच गया है. पूरे बलूचिस्तान में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई हैं. यह फैसला कथित रूप से सुरक्षा कारणों से लिया गया है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि कुछ बड़ा होने जा रहा है. 

पहुंच पूरी तरह ठप हो गई?
असल में पाकिस्तानी सरकार के इस फैसले से करोड़ों लोगों का जनजीवन प्रभावित होने जा रहा है. छात्रों की पढ़ाई ऑनलाइन काम करने वाले युवाओं की आय, कारोबार, संचार और सोशल मीडिया तक पहुंच पूरी तरह ठप हो गई है. खास तौर पर उन युवाओं में गुस्सा है जो पढ़ाई और रोजगार दोनों के लिए इंटरनेट पर निर्भर हैं.

ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं की

सरकार की ओर से इस कथित सुरक्षा खतरे की कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है और न ही ये बताया गया है कि सेवाएं कब तक बहाल होंगी. इससे लोगों में असमंजस और नाराजगी और भी बढ़ गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह बंदी बलूचों की आवाज दबाने का एक सधा हुआ प्रयास है.

इस डिजिटल ब्लैकआउट के साथ ही बलूचिस्तान सरकार ने 1 अगस्त से सार्वजनिक स्थानों पर चार या अधिक लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर भी 15 दिन का प्रतिबंध लगा दिया है. यानी Section 144 के तहत जनता के शांतिपूर्ण एकत्रीकरण तक को अवैध घोषित कर दिया गया है.

एक तरफ पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लोकतंत्र और मानवाधिकारों की बात करती है. वहीं बलूचिस्तान में खुद अपने ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों का गला घोंट रही है. इंटरनेट बंद कर देना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाना यह दिखाता है कि पाकिस्तान अब खुलेआम बलूचों की आवाज को साइलेंस मोड में डाल देना चाहता है.

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