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डॉलर का भूखा पाकिस्तान... ईरान इजरायल मामले में कीं 5 ऐसे गलतियां जो उसे ले डूबेंगी

Pakistan on Iran Israel War: पाकिस्तान ने ईरान इजरायल युद्ध के बीच अमेरिका की गोद में बैठने की जो जल्दबाजी दिखाई है, वो उस पर भारी दिखाई पड़ रही है. पाकिस्तान को घर और बाहर दोनों जगह जलालत झेलनी पड़ रही है. 

Iran Pakistan Relations
Iran Pakistan Relations
Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jun 23, 2025, 11:59 AM IST
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Iran Pakistan Relations: ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों तगड़ी मार खाने के बाद अमेरिका के गले पड़ने की पाकिस्तान हुक्मरानों की बेचैनी से देश की छीछालेदर हो रही है. इस्लामिक मुल्कों का सूबेदार बनने की कोशिश में लगा पाकिस्तान अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मार बैठा है. उसने पांच ऐसी बड़ी गलतियां की हैं, जो उसके दोगलेपन पर फिर मुहर लगाती हैं. 

पड़ोसी से दगाबाजी
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि उसने किसी पड़ोसी मुल्क से अच्छे रिश्ते नहीं रखे. भारत ही नहीं, अफगानिस्तान और ईरान भी इसके उदाहरण हैं. भारत के बाद पाकिस्तान की सबसे लंबी सीमा ईरान के साथ (900 किमी) है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने जब कूटनीतिक अभियान छेड़ा तो पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ खुद इसी राह पर निकले. उन्होंने तेहरान जाकर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई से मुलाकात की और इस्लामिक मुल्कों में एकजुटता की दुहाई दी, लेकिन जब साथ खड़े होने की बारी आई तो उसने मुंह फेर लिया.  

विदेश नीति में सौदेबाजी 
पाकिस्तान की विदेश नीति कभी किसी सिद्धांत पर नहीं चली. जनरल अयूब खान से लेकर आसिम मुनीर तक उसका यही डबल गेम रहा है. भारत को चिढ़ाने की सनक में मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ इतने उतावले थे कि उन्हें इस मुलाकात की टाइमिंग और अमेरिका के बिछाए जाल के बारे में सोचना भी मुनासिब नहीं समझा. ट्रंप से कश्मीर पर चर्चा की सोच रहे मुनीर के लिए अमेरिका ने लंच का मेन्यू कार्ड ही बदल दिया. अमेरिका ने ईरान में सत्ता परिवर्तन और अफगानिस्तान की तरह वहां भी पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई के गुपचुप सहयोग पर मुनीर को हामी भरवा ली. यही वजह है कि ईरान पर इजरायली हमले के वक्त पाकिस्तान ने बड़ा बयान दिया था, लेकिन अमेरिकी हमले पर चुप्पी साध ली.

बड़ा इस्लामिक गुट बनाने का ख्वाब टूटा
पाकिस्तान-तुर्की लंबे समय से कोशिश में थे कि मध्य पूर्व में सऊदी अरब-यूएई जैसे देशों की कथित दादागीरी के खिलाफ इस्लामिक देशों का नया गुट बनाया जाए. तुर्की-ईरान और पाकिस्तान इसकी धुरी बनते, लेकिन ईरान के मुद्दे पर पाकिस्तान ने ऐसे पीठ दिखाई कि अब खामेनेई क्या कोई और भी इस्लामिक मुल्क उसे भरोसेलायक नहीं समझेगा. सऊदी-यूएई जैसे देश इसे बखूबी समझ चुके हैं. वो अब पाकिस्तान के इस्लामिक कार्ड में फंसने की बजाय खुलकर भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं.

चीन से भी चालबाजी
अमेरिकी डॉलर की भूख में पाकिस्तान इस कदर अंधा हो गया कि उसने चीन से भी चालबाजी करने में कोई हिचक नहीं दिखाई. अमेरिका चाहता है कि बलूचिस्तान प्रांत में दुर्लभ खनिज तत्वों का जो भंडार है, उसके लिए पाकिस्तान उससे समझौता करे. आर्थिक और सैन्य सहयोग के मामले में वो चीन के ज्यादा करीब न जाए. शहबाज शरीफ सरकार भी चीन की नाराजगी की परवाह किए बिना अमेरिकी मदद पाने की आस में इसके लिए तैयार दिख रही है.

अपनी अवाम की नजरों में गिरा
अमेरिका से गलबहियां करने की होड़ ने पाकिस्तानी सेना और शहबाज शरीफ सरकार की साख में एक और बट्टा लगा दिया है. 25 करोड़ मुस्लिम आबादी की भावनाओं को परे रखते हुए पाकिस्तान ने अमेरिका समर्थित यहूदी देश इजरायल के ईरान पर हमले के वक्त यूएस प्रेसिडेंट ट्रंप से मुनीर की मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी जमकर भड़ास निकाल रहे हैं. इससे जेल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान को नया हथियार मिला है. पीटीआई छाती पीट पीटकर ये कह रहा है कि पाकिस्तान अमेरिका के इशारे पर कठपुतली की तरह नाच रहा है.  

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