Hafiz Saeed Security: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को भारत के गुप्त ऑपरेशन का डर सता रहा है. इस बीच पाकिस्तान ने एक और नापाक हरकत की है. आईएसआई और पाकिस्तान सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) की सुरक्षा बढ़ा दी है. सूत्रों ने बताया है कि स्पेशल सर्विस ग्रुप के पूर्व कमांडो को हाफिज की सुरक्षा में लगाया गया है और लाहौर के मोहल्ला जोहर सहित उसके घरों पर अतिरिक्त लोगों को तैनात किया गया है. हाफिज सईद को जानबूझकर घनी आबादी वाले इलाके में रखा गया है, जहां आम पाकिस्तानी नागरिकों के घरों के अलावा एक मस्जिद और मदरसा भी है.
हाफिज के घर को टेम्पररी जेल में बदला
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, हाफिज सईद (Hafiz Saeed) अभी जेल में है, इसलिए कागजों पर उसके घर को अस्थायी उप-जेल में बदल दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि एक किलोमीटर के दायरे में जेस्चर डिटेक्शन सीसीटीवी कैमरों के जरिए सभी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. बता दें कि 77 साल का हाफिज सईद साल 2008 के घातक मुंबई हमलों के अलावा पहलगाम हत्याकांड के लिए वॉन्टेड है.
हाफिज सईद को बिश्नोई गैग की धमकी
लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट ने बुधवार को पहलगाम में नागरिकों की हत्या का बदला लेने की कसम भी खाई. सईद की एक फोटो शेयर करते हुए बिश्नोई गैंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर धमकी दी और कहा कि गैंग पाकिस्तान के लिए बेहद मूल्यवान व्यक्ति को निशाना बनाएगा.
46 साल की सजा काट रहा है हाफिज सईद
हाफिज सईद (Hafiz Saeed) पाकिस्तान सरकार की तथाकथित हिरासत में है और आतंकवाद के वित्तपोषण के सात मामलों में दोषी ठहराए जाने के परिणामस्वरूप 46 साल की सजा काट रहा है. 7 अप्रैल 2022 के आदेश में सईद को आतंकवाद के वित्तपोषण के दो मामलों में 31 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. 2019 से कागजों पर गिरफ्तार दिखाया गया सईद पहले से ही 2020 में दिए गए इसी तरह के आरोपों में 15 साल की सजा काट रहा था. अदालत ने सजा को एक साथ चलाने का आदेश दिया.
सईद पिछले तीन सालों में दो दर्जन से ज्यादा बार सार्वजनिक रूप से पेश हो चुका है, जिसमें सबसे ताजा पेशी इस साल फरवरी में हुई थी. मल्टी-लेयर सुरक्षा घेरे से घिरा सईद, जिसमें पूर्व SSG कमांडो भी हैं, अक्सर PoK में आतंकी लॉन्च पैड के साथ-साथ मुरीदके, बहावलपुर और रावलकोट में कैंपों में देखा जाता है. भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद सईद ने 2020 में लश्कर का नाम बदलकर द रेसिस्टेंस फ्रंट रख दिया.