India-Pakistan War: एक तरफ हम मॉकड्रिल कर रहे हैं तो दूसरी तरफ पाकिस्तान सोमालिया के डाकुओं और लुटेरों को मनाने की ड्रिल में जुटा है. समुद्री डाकू मांगने के लिए सोमालिया की सरकार के आगे गिड़गिड़ा रहा है. पाकिस्तान क्यों दुनिया के सबसे कुख्यात समुद्री लुटेरों के देश से मदद मांग रहा है.
भाड़े के सैनिक चाहता है पाक
आज हम इसी बारे में आपको बताएंगे. पिछले कुछ समय से मध्य पूर्व में इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है. वहीं यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई हो रही है. इन दोनों लड़ाई में भाड़े के सैनिक जिसे आप प्राइवेट मिलिशिया भी कह सकते हैं, लड़ रहे हैं. भाड़े के सैनिक मतलब पैसे लेकर युद्ध लड़ने वाले लोग. डॉलर के बदले भाड़े के सैनिक कहीं भी, किसी से भी लड़ने के लिए तैयार रहते हैं.
समुद्री डाकुओं से करवाना चाहता है सुरक्षा
यूक्रेन के खिलाफ रूस वैगनर मिलिशिया की मदद ले रहा है तो क्या पाकिस्तान भी सोमालिया से इसी तरह की डील कर रहा है. क्या पाकिस्तान, सोमालिया के समुद्री डाकुओं के भरोसे अपनी समुद्री सीमा की हिफाजत करना चाहता है. एक मई को पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इस्हाक डार ने सोमालिया के उप प्रधानमंत्री अब्दे-अली से फोन पर बात की थी. इसके बाद पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर दावा किया जाने लगा कि पाकिस्तान भाड़े के विदेशी सैनिकों की भर्ती कर रहा है. और ऐसी Private Military Companies यानी PMC से संपर्क कर रहा है जो भारत से जंग की सूरत में पाकिस्तान के सीनियर अफसरों की सुरक्षा करेंगे.
क्या काम करती हैं प्राइवेट मिलिट्री कंपनियां
Private Military Companies ऐसी निजी कंपनियां होती हैं जो पैसे के बदले युद्ध, सुरक्षा और ट्रेनिंग जैसी सेवाएं देती हैं. पाकिस्तान में अमेरिका की ‘Forward Observations Group’ और ब्रिटेन की ‘Delta PMC’ को हायर करने का दावा किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स और तस्वीरों के जरिए ये दावा किया जा रहा है कि भाड़े के हथियारबंद सैनिकों को इस्लामाबाद और लाहौर जैसे शहरों में देखा गया है. पाकिस्तान एयरफोर्स के नोहर खान एयरबेस पर भी FOG की तैनाती का दावा किया जा रहा है.
तो क्या अमेरिकी और ब्रिटिश प्राइवेट सैनिकों के बाद, अब पाकिस्तान सोमालिया के कुख्यात समुद्री लुटेरों की भर्ती करने की कोशिश में है. सोमालिया पूर्वी अफ्रीकी देश है. इसकी सीमा अदन की खाड़ी से मिलती है. इस पूरे इलाके को हॉर्न ऑफ अफ्रीका भी कहा जाता है.
समुद्री डाकुओं का ऐसा है इतिहास
द मैरीटाइम एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक अस्थिरता के बाद 1990 के दशक में सोमालिया के समुद्री डाकू एक्टिव हो गए. लाल सागर और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले जहाजों को अगवा कर फिरौती वसूलना इनकी कमाई का अहम जरिया है. वर्ष 2006 से 2013 के बीच सोमालिया के इन समुद्री लुटेरों ने 27 हजार करोड़ की फिरौती वसूली है. सोमालिया के ये डाकू तेज रफ्तार स्टीमर्स से चलते हैं. ये AK-47 और चाकुओं से लैस होते हैं.
ये ऑयल टैंकर्स और कार्गो शिप को अगवा कर ब्लैक मार्केट में बेचते हैं या फिरौती वसूलते हैं. कार्गो शिप के क्रू को अगवा कर फिरौती वसूलना इनकी कमाई का मुख्य जरिया है. खाली खजाना वाला पाकिस्तान कर्ज के भरोसे अपनी अर्थव्यवस्था चला रहा है.
उधार के लिए पाकिस्तान किन-किन देशों के आगे अपना दामन फैला रहा है ये किसी से छिपा नहीं है. लेकिन अब पाकिस्तान को सोमालिया से मदद की जरूरत पड़ रही है, जिसकी हालत पाकिस्तान से भी गई गुजरी है. ग्लोबल पॉवर इंडेक्स के 145 देशों की लिस्ट में सोमालिया का नंबर 142वां है. अब ऐसे देश के आगे गिड़गिड़ाने से पाकिस्तान को क्या हासिल होगा, ये पाकिस्तान के हुक्मरान ही बेहतर बता सकते हैं.