Karachi Panchmukhi Hanuman Temple News: कराची में पंचमुखी हनुमान मंदिर सैकड़ों सालों से मौजूद था, है और आगे भी रहेगा. कोई भी कट्टरपंथी या आततायी इस मंदिर की तरफ आंख नहीं उठा सकता है. न ही इस ऐतिहासिक मंदिर को अपनी नापाक साजिशों में जकड़ सकता है. बावजूद इसके पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में मौजूद 1500 साल पुराने पंचमुखी हनुमान मंदिर के वजूद को मिटाने की कोशिश की गई. पाकिस्तान के कट्टपंथी मौलाना-मौलवी और हुक्मरानों ने पंचमुखी हनुमान मंदिर के जमीन को हड़पने की साजिश रची. लेकिन रामभक्त हनुमान के पंचमुखी अवतार ने ऐसा जलवा दिखाया. जिसके चलते पाकिस्तानी जिहादियों के होश फाख्ता हो गए. खुद पाकिस्तानी हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ने लगे. आखिर कैसे. ये भी जान लीजिए.
25 हजार वर्ग फुट में फैला है मंदिर
कराची के सोल्जर बाजार इलाके में पंचमुखी हनुमान मंदिर है. जो कि करीब 25 हजार स्क्वायर फीट इलाके में फैला हुआ है. मगर प्राचीन मंदिर की जमीन पर मुस्लिमों ने कब्जा कर अवैध निर्माण कर लिया. इस पर आपत्ति जताते हुए पाकिस्तानी हिंदू जमीन से कब्जा हटवाने के लिए कोर्ट पहुंचे. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला किया.
साल 2018 में पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने ये कबूल किया कि पंचमुखी हनुमान मंदिर का इतिहास तो पाकिस्तान की पैदाइश से भी सैकड़ों साल पुराना है. लिहाजा कोर्ट ने पाकिस्तानी हिंदुओं के पक्ष में फैसला लेते हुए पंचमुखी मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण हटाने को कहा.
हिंदुओं पर अत्याचार पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के खून में!
मगर पाकिस्तानी कट्टरपंथी ये मानने को तैयार नहीं थे. उन्हें ये कबूल नहीं था कि पाकिस्तान जैसे मुस्लिम मुल्क में आखिर सनातन के हक में फैसला क्यों आया. आखिर क्यों मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा हटाने का फरमान सुनाया गया क्योंकि पाकिस्तान में तो मंदिरों को तोड़ने की कवायद है. हिंदुओं का कत्लेआम करना. हिंदुओं पर अत्याचार करना पाकिस्तान के कट्टरपंथी मुसलमानों के खून में है.
दरअसल, पाकिस्तान में कट्टरपंथ इन्हीं लोगों के चलते चरम पर है क्योंकि ये पाकिस्तानी मजहब के ऐसे जाल में फंस चुके है. जिससे उबरना कतई संभव नहीं है. ये बात खुद पाकिस्तानियों को भी पता है. तभी तो पाकिस्तान के अमन पसंद लोग खुद अपने ही लोगों को खरी-खोटी सुना रहे हैं. मजहब की बजाय इंसानियत का ख्याल रखने की बात कर रहे हैं.
मंदिर में परिक्रमा कर मन्नत मांगते हैं लोग
पाकिस्तानी के मौलाना-मौलावी-कट्टरपंथी ये सब कहां मानने वाले. तभी तो पाकिस्तानी की अदालत ने सरकार ने. यहां तक की सेना ने ये मान लिया था कि कराची के पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन को हड़पा गया था. उस पर अवैध कब्जा किया गया था, जो सरासर गलत था. बावजूद इसके पाकिस्तानी कठमुल्ले मंदिर की जमीन को कब्जा किए हुए थे. लिहाजा पाकिस्तानी सेना को अवैध कब्जा हटाना पड़ा. कठमुल्लों के अतिक्रमण को ढहाना पड़ा.
दरअसल, पाकिस्तान के कराची में मौजूद पंचमुखी हनुमान मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. मंदिर को लेकर मान्यता है कि 18वीं शताब्दी में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था. मंदिर में हनुमान जी की पंचमुखी स्वरूप में मूर्ति स्थापित है. भक्त पंचुमखी हनुमान की 11 परिक्रमाएं कर मन्नत मांगते हैं.
अपने आप प्रकट हुई पंचमुखी मूर्ति!
मंदिर के पुजारी के मुताबिक, ये मंदिर वैसे 1500 साल लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों के हिसाब से इसे 17 लाख साल हो गए हैं. त्रेतायुग में ये मंदिर बना था. दावा है कि प्रभु श्री राम यहां पर आए थे. इसीलिए इस मंदिर को पूरी दुनिया में लोग देखते हैं. यहां आने के लिए तरसते हैं. पंचमुखी हनुमान जी के गर्भगृह में परिक्रमा लगाने के लिए सिंदूर चढ़ाने के लिए लोग तरसते हैं. हमारा अकेला ऐसा मंदिर है पूरी दुनिया में, जहां पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति खुद प्रकट हुई है. इस मूर्ति को किसी ने बनाया या फिर तराशा नहीं है.
ये पंचमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी है. जो दावा कर रहे हैं कि पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति स्वंय प्रकट हुई. इस मूर्ति को त्रेतायुग से भी संबंध है. शायद यही वजह है कि पंचमुखी हनुमान मंदिर को लेकर पाकिस्तानी हिंदुओं की भावना पूरे चरम पर है. तभी तो साक्षात पंचमुखी हनुमान जी ने अपना जलवा दिखाया और अपनी गदा से पाकिस्तानी कट्टरपंथियों की साजिश को नेस्तनाबूद कर दिया.