Pakistan missile program: पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय रडार पर है. इस बार मामला सीधे FATF यानि कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की नई रिपोर्ट से जुड़ा है. इसमें पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद को छिपाने के लिए फर्जी डाक्यूमेंट्स का सहारा लिया. इसके चलते वैश्विक स्तर पर उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं. ऐसे में भारत के लिए मौका बन गया है.
भारत द्वारा की गई जांच का हवाला
असल में FATF की रिपोर्ट Complex Proliferation Financing and Sanctions Evasion Schemes में भारत द्वारा की गई जांच का हवाला दिया गया है. इसमें बताया गया कि 2020 में एक चीनी जहाज Da Cui Yun को गुजरात के कांडला पोर्ट पर रोका गया जो कराची के कासिम पोर्ट जा रहा था. जहाज से जो सामान जब्त हुआ उसके डाक्यूमेंट्स में उसे सामान्य ऑटोक्लेव बताया गया. लेकिन भारतीय जांच में पाया गया कि ये मिसाइल मोटर केमिकल कोटिंग और हाइ एनर्जी मैटेरियल से जुड़ा डुअल यूज सामान था.
जांच में यह भी सामने आया कि यह सामान पाकिस्तान के नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (NDC) के लिए था जो देश में मिसाइल निर्माण का प्रमुख केंद्र है. इसका मतलब यह है कि चीन से भेजे जा रहे खतरनाक उपकरण जानबूझकर गलत तरीके से डिक्लेयर किए गए. ताकि वे वैश्विक प्रतिबंधों और एक्सपोर्ट कंट्रोल नियमों से बच सकें.
हथियारों के प्रसार को लेकर लापरवाही
भारत ने इस रिपोर्ट को एक मौके की तरह लिया है और अब वह FATF के समक्ष नया डोजियर पेश करने की तैयारी कर रहा है. इसमें पाकिस्तान की आतंकवाद के वित्तपोषण और हथियारों के प्रसार को लेकर लापरवाही को उजागर किया जाएगा. अगर यह डोजियर मंजूरी पाता है तो पाकिस्तान को फिर से FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला जा सकता है.
पाकिस्तान पहले भी तीन बार ग्रे लिस्ट में रह चुका है और आखिरी बार उसे 2022 में सूची से हटाया गया था. अब भारत की कोशिश है कि FATF इस बार ज्यादा कड़ा रुख अपनाए जिससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और वैश्विक निवेश पर गहरा असर पड़े. आने वाले महीने में FATF की इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही पाकिस्तान पर नया अंतरराष्ट्रीय दबाव बनना तय माना जा रहा है.