Pakistan On Indus Water Treaty: पाकिस्तान सिंधु जल संधि खत्म होने पर बौखलाया हुआ है. वह इससे कुछ राहत पाने के लिए भारत को इंटरनेशनल कोर्ट मे ले जाने का प्लान बना रहा है. भारत-पाक के बीच यह समझौता साल 1960 में हुआ था. साल 1965, 1971 और 1999 में हुई लड़े गए 3 युद्धों के बावजूद यह संधि कायम रही, लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने इसे खत्म करने का फैसला लिया है. इस फैसले से बौखलाए पाकिस्तान ने कहा कि पाकिस्तान के जल प्रवाह को रोकने या मोड़ने की कोशिश युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी.
भारत के खिलाफ एक्शन लेगा पाक?
पहले से ही जल संकट की समस्या से जूझ रहे पाकिस्तान ने इस मुसीबत का नया समाधान खोजना शुरू कर दिया है. इसको लेकर कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा कि पाकिस्तान 3 अलग-अलग कानूनी विकल्पों पर काम कर रहा है. अकील मलिक ने कहा कि पाक इंटरनेशनल कोर्ट में कार्रवाई करने का विचार कर रहा है. इसके अलावा वह विश्व बैंक के सामने भी इस मुद्दे को उठा सकता है. पाक इंटरनेशनल कोर्ट में आरोप लगा सकता है कि भारत ने संधियों के कानून पर 1969 के वियना कन्वनेंशन का उल्लंघन किया है. इसके अलावा पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी इस मुद्दे को उठाने पर विचार कर रहा है.
ये भी पढ़ें- पहलगाम में पाकिस्तान के सैनिक ने बरसाई पर्यटकों पर गोलियां, खुला पाक का काला चिट्ठा
क्यों फेल होगा पाक का प्लान?
बता दें कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ( ICJ) पूरी तरह राज्यों की सहमति पर आधारित है. इसमें राज्यों को क्षेत्राधिकार की घोषणाओं के जरिए अपनी स्वीकृति पूरी तरह से या आंशिक रूप से घोषित करनी होती है. वहीं 27 सितंबर साल 2019 को भारत ने ICJ की क्षेत्राधिकार को अनिवार्य रूप से मान्यता देने वाली एक घोषणा पेश की थी. इस घोषणा में भारत ने उन 13 उपवादों के बारे में बताया था, जिनमें भारत पर ICJ का क्षेत्राधिकार लागू नहीं होगा. इसमें एक अपवाद ये है कि ICJ के पास किसी ऐसे राज्य की सरकार के साथ विवादों के लिए क्षेत्राधिकार नहीं होगा जो राष्ट्रमंडल देशों ( Commonwealth Nations) का सदस्य है या रहा हो. वहीं पाकिस्तान ICJ का सदस्य है तो वह भारत को ICJ में नहीं ले सकता है. इसके अलावा ICJ के पास शत्रुता, सशस्त्र संघर्ष, आत्मरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय रक्षा के लिए उठाए गए कदमों से जुड़े मामलों पर भी क्षेत्रधिकार नहीं होगा.
ये भी पढ़ें- SC ने खारिज की पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट की जमानत याचिका, काट रहे उम्रकैद की सजा
विश्व बैंक क्यों नहीं कर सकता मदद?
विश्व बैंक के पास भी सिंधु जल संधि को लेकर कोई क्षेत्राधिकार नहीं है सिवाय दोनों पक्षों के बीच संधि या सुलह करवाने के. विश्व बैंक केवल एक सलाहकार के रूप में अपनी सुविधा दे सकता है. साल 1960 में भी विश्व बैंक ने मध्यस्थ के रूप में भारत-पाक के बीच सिंधु जल संधि करवाई थी. वहीं इसके किसी भी सुझाव या सिफारिश को अस्वीकार भी किया जा सकता है.